"आज बाबा महाकाल की महासवारी पर विशेष"

"आईये त्रिलोकेश्वर महाकाल! हम आतुर हैं आपके दर्शन को, पूजन को, चरण वंदन को" -योगेंद्र माथुर

     उज्जैन। धर्मधरा उज्जयिनी में आज फिर शिव भक्ति की गंगा प्रवाहित हो रही है। क्या बच्चा, क्या जवान और क्या बूढ़ा, समूची धर्मधरा के हर खास और आम के मन में शिवभक्ति की धर्म भावना ही हिलौरे मार रही है। हर धर्म, संस्कृति-तहजीब व सामाजिक मान्यता का अनुगामी उत्साहित है, उल्लासित है, आल्हादित है, प्रफुल्लित है और रोमांचित भी। हवा में मस्ती है और आसमान में मेघ, मल्हार गा रहे हैं। गाएं क्यों नहीं, ब्रम्हांड नायक त्रिलोकेश्वर, राजाधिराज बाबा महाकाल जो निकल रहे हैं महासावारी लेकर अपने भक्तों को दर्शन का कृपा प्रसाद देने के लिए।

    महाकाल मंदिर से पुण्य सलिला शिप्रा तट का समूचा सवारी मार्ग सज-धज कर तैयार है। सजावट ऐसी कि दुल्हन का श्रृंगार फीका पड़ जाए, हर त्योहार पर्व की छटा कमतर नजर आए। ऐसा लग रहा है मानों भारतीय संस्कृति अपनी विराटता के साथ "लोक पर्व" मना रही है।

    अपरान्ह 4 बजे पुलिस दल द्वारा बंदूक की सलामी के साथ महाकाल महाराज की महासवारी का लवाजमा जब महाकाल मंदिर से आरंभ होगा तो समां देखते ही बनेगा। सबसे आगे राजाधिराज की महासवारी के आगमन का उदघोष करते कड़ाबीन के धमाकों की गूँज होगी, ढोल-ताशों की धूम होगी, भजन-कीर्तन मंडलियों की लय होगी, शंखध्वनि के साथ डमरुओं का निनाद होगा, झाँझ-मंजीरों की झंकार होगी, करतालों की ताल होगी, मस्ती में झूमते-गाते श्रद्धालुओं की कदम थाप होगी और बाबा की बारात के दृश्य को दोहराते ना-ना प्रकार के चरित्रों से सज्जित बहुरूपियों का श्रृंगार होगा। सवारी मार्ग पर जब बैंडों के सूर साधक अपने भक्ति गीतों व भजनों से भक्ति गंगा प्रवाहित करते चलेंगे तो दर्शनार्थियों में धार्मिक भावना का जैसे सैलाब सा उमड़ने लगेगा। प्रकृति का रोम-रोम जैसे नृत्य करने लगेगा, निनाद करने लगेगा और समूचा वातावरण गूँज उठेगा हर हर महादेव, भोले शंभू-भोलेनाथ, जय महाकाल जय-जय महाकाल के जयघोष से। आनंद का ऐसा अद्भुत व अनूठा दृश्य देखकर दर्शनार्थी उत्साहित क्यों न हों? उल्लासित क्यों न हों? आल्हादित क्यों न हों? प्रफुल्लित क्यों न हों? रोमांचित क्यों न हों? हवा में जब मस्ती का आलम होगा तो श्रद्धालु का मन भक्ति की भावना में हिलौरे लेगा ही। धन्य है प्रकृति, धन्य है धरा, धन्य है उज्जयिनी, धन्य हैं सवारी में शामिल श्रद्धालु और धन्य हैं हम, जो ऐसे स्वर्गिक, आनंददायी व मोक्षदायी दृश्य के साक्षी बन रहे हैं। प्रतीक्षा है उस क्षण की जब प्रभू से साक्षात्कार होगा। 

    आइये प्रभू! हम आतुर हैं आपके दर्शन को, पूजन को, चरण वंदन को। आईये प्रभू पावन शिप्रा तैयार है आपके पग पखारने को, आपका अभिषेक करने को। आइये प्रभू यह धरा तैयार है निराकार के साकार स्वरूप के दर्शन और महासवारी के वैभवपूर्ण, स्वर्गिक, आनंददायी और मोक्षदायी दृश्य की साक्षी बनने को। आइये महाराजाधिराज महाकाल, त्रिलोकेश्वर महाकाल! आपकी जय हो!

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