कार्तिक मेला नहीं लगने से 5 हजार परिवारों पर संकट साथ ही नगर निगम को भी होगा 40 से 50 लाख का नुकसान

उज्जैन। कार्तिक मेला व्यापारी एसोसिएशन ने प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी क्षिप्रा तट पर कार्तिक मेला आयोजित करने की मांग की है। व्यापारियों ने कहा लॉकडाउन होने के बाद से कहीं पर कोई मेला नहीं लगा है जिसकी वजह से मेले से जुड़े सभी सदस्यों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है।



कार्तिक मेला में व्यवसाय करने वाले करीब 5 हजार परिवारों की आजीविका सीधे तौर पर प्रभावित हुई है। वहीं कार्तिक मेला नहीं लगने से नगर निगम को भी सीधे तार पर करीब 40 से 50 लाख का नुकसान होगा। कार्तिक मेला समस्त व्यापारी एसोसिएशन अध्यक्ष सुरेन्द्र सारवान एवं सुनील डागर ने कहा कि कार्तिक मेला 2020 शासन के अनुरूप आयोजित किया जाए। व्यापारी मेले के चारों गेट को सेनेटाईज कर थर्मल स्केनिंग कर सहयोग प्रदान करेंगे। हर दुकान, झूले पर सेनेटाईजेशन की सुविधा रहेगी एवं कर्मचारी केप व हैंड ग्लोब्स आदि पहनकर काम करेंगे। जिस तरह महाकाल मंदिर में स्लाट बुकिंग की व्यवस्था है वैसी ही परिसर के आकार के आधार पर बुकिंग करने की सुविधा प्रदान करने पर व्यापारी सहमत हैं ताकि कोविड 19 के नियमों का पालन हो सके। इसके अलावा भी कोरोना से बचाव हेतु जो शर्तें आवश्यक हों उसमें व्यापारी सहयोग प्रदान करने में सहयोग करेंगे। सब खुल गया, मेला भी लगाएं जिला प्रशासन द्वारा हाट बाजार, सब्जी मंडी, फटाके वाले, होटल, रेस्टोरेंट, माल, शराब की दुकान, एम्युजमेंट पार्क, वाटर पार्क, इंटरटेनमेंट पार्क, सिनेमाघर, म्यूजियम, प्रदर्शनी, ट्रेड फेयर, मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा, चर्च, धार्मिक पर्व, नहान आदि को छूट दी गई है उसी तर्ज पर हमें भी इस विषयक कोविड 19 की गाईड लाईन अनुसार मेले में व्यवसाय की अनुमति दी जावे ताकि मेले से जुड़े परिवारों को आर्थिक बल मिल सकेगा। व्यापारियों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि आर्थिक मंदी के इस दौर में कार्तिक मेले का आयोजन करना न्याय एवं नीति संगत होगा।


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