मेरे शहर का व्यक्ति गरीब नही, बल्कि स्वाभिमानी है - राम सिंह जादौन पूर्व सैनिक


कोरोना संकट के दौरान जरूरतमंद परिवारों की सेवा करने का सौभाग्य, मुझे भी प्राप्त हुआ। संकट के समय सेवा के कार्य को करना मुझ जैसे नोकरीपेशा और आम नागरिक के लिए असंभव था। लेकिन कहते है जब कुछ करने की इच्छाशक्ति प्रबल होती है तो असंभव कार्य भी संभव लगने लगता है। बस इसी सोच के साथ कोरोना काल में सेवा के कार्य को करने का संकल्प लिया और अपने परिवार में इस विषय पर चर्चा कर शहर के जरूरतमंद परिवार को राशन उपलब्ध करवाने का निर्णय ले लिया। लॉकडाउन के पहले दो चरण तक मेरे द्वारा कोई राशन वितरण नही किया गया। लेकिन जब लॉकडाउन का तीसरे चरण शुरू हुआ तब पता चला कि स्तिथि गंभीर है। आज भी जरूरतमंद परिवार के सामने राशन का संकट है। क्योंकि वह परिवार प्रतिदिन कमाने वाला था। लेकिन कोरोना की वजह से काम धंधे सब ठप पड़े हुए थे। ऐसे में उन परिवारों के सामने संकट खड़ा हो गया। केंद्र और राज्य सरकार अपने स्तर पर सुविधा मुहैया करवा रही थी। शहर के अन्य संग़ठन भी सेवा के कार्य कर ही रहे थे। लेकिन फिर भी शहर के अशिकांश परिवारों तक जरूरत का राशन नही पहुँच पा रहा था। फिर तय किया कि उन्ही परिवारों तक राशन पहुचाँना है, जिनके पास किसी भी प्रकार की सुविधा नही पहुँच पा रही है। और आज दिनांक तक उन्हीं जरूरतमंद परिवारों तक राशन निः शुल्क पहुँचा जिनके पास इस संकट में समय कोई भी नही पहुँचा था। सेवा के इस कार्य से जो अनुभूति मिली है वह मेरे लिए बाबा महाकाल का आशीर्वाद है। लेकिन जब लॉकडाउन का अंतिम चरण खत्म हुआ और अनलॉक का पहला चरण प्रारंभ हुआ उसके कुछ दिन बाद मुझे सूचना मिलना बंद हो गई कि आज इस परिवार को राशन की जरूरत है। मुझे यह जानकर अच्छा लगा और सुकून भी मिला, इसलिये नही कि मुझे इतने दिनों बाद अब राहत मिली और अब में आराम करूँगा। इसलिये क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि मेरे शहर का व्यक्ति गरीब नही बल्कि स्वभिमानी है। वह अब काम की तलाश में घर से बाहर निकल गया है। एक बार फिर अपने दम पर अपने घर की जिम्मेदारी को उठाने में सक्षम होगा। और फिर कभी उसके सामने राशन का संकट नही आएगा। ऐसे स्वभिमानी जनता को मैं पूर्व सैनिक राम सिंह जादौन सैल्यूट करता हूँ। मैंने राशन का वितरण कर कोई उपकार नही किया है। बल्कि संकट के समय एक बार फिर देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस दौरान मुझे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मेरे शुभचिंतकों एवं मेरे मार्गदर्शकों का भी सहयोग प्राप्त हुआ। यह मेरे लिए हमेशा स्मरणीय रहेगा। आज भी हमारे समाज में समाज हितेषी है जो समाज के लिए कुछ न कुछ अपना योगदान देना चाहते हैं। लेकिन किसी न किसी वजह से वह अपना सहयोग प्रदान नही कर पाते। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से किया गया उन लोगो का सहयोग भी उतना ही सार्थक होता है जितना प्रत्यक्ष रूप से किया गया हो। एक बार पुनः मेरे मानव सेवा राष्ट्र सेवा के कार्य में मुझे सहयोग प्रदान करने वाले सभी शुभचिंतकों का ह्रदय से आभार व्यक्त करना हूँ। आप सभी के सहयोग से ही आज संकट के समय 664 जरूरतमंद परिवारों तक 33 क्विंटल आटा, 19 क्विंटल चावल का राशन उपलब्ध करवा पाया। इसके अतिरिक्त 3 क्विंटल गैहूँ, 4 क्विंटल आलू, 1 क्विंटल प्याज भी दिया गया।


      - पूर्व सैनिक राम सिंह जादौन


नीचे दीये गये आंकड़े आज दिनांक तक किए गए सेवा के कार्य का विवरण है। जिसमें वार्ड स्तर पर जरूरतमंद परिवारों की संख्या है। और अन्य तरह की सेवा का विवरण है। राशन किट में 5 किलो आटा और 2 किलो चावल शामिल थे। जो कि पूर्णतः निः शुल्क थे।



'महाकाल की आवाज' श्री जादौन द्वारा किए गए सेवा कार्य की सराहना करता है।


Comments