छलक उठा आउटसोर्स कर्मियों का दर्द..!!! कहा इस संकट के समय मेें भी हमारा ध्यान क्यों नहीं...??


      उज्जैन। मध्सप्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी अब हर विभाग का अभिन्न हिस्सा बन चुके है, भृत्य से लेकर बडे-बडे पदों पर भी आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्ति कि जा रही है, उन कर्मचारियों से काम तो नियमित कर्मचारियों से भी अधिक लिया जाता है। आउटसोर्स कर्मचारी स्थानीय होते है और वे तुरन्त अपने कार्य स्थल पर पहुँच भी जाते है। फिर भी उनके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता। ऐसा कई आउटसोर्स कर्मचारी संगठनों का कहना रहा है।  


      एक गंभीर मामला यह भी है कि कोरोना महामारी के संक्रमण के दौरान में आउटसोर्स कर्मीयों के बीमे को लेकर एक तरफ जहां मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री ने कोरोना से लड़ रहे कोरोना योद्धाओं के लिए 5 लाख के बीमे की घोषणा की है वहीं इसमें से आउटसोर्स कर्मचारियों को कहीं न कहीं वंछित रखा गया है।


      इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा भी वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज से अपील की गई है कि ‘‘शासन के विभिन्न विभागों के अनेक आउटसोर्स कर्मचारी अत्यन्त ही अल्प वेतन पर कार्य करते हैं और जो वर्तमान में कोरोना से लड़ने के लिए अपने और अपने परिजनों के प्राणों को संकट में डालते हुए अपने कर्तव्यों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं।


      मेरा मत है कि शासन के ऐसे समस्त कर्मचारियों, चाहे वे आउटसोर्स हो अथवा अन्य किसी प्रकार से नियुक्त हो, उन्हें भी लाभान्वित किया जाना चाहिए।


        देश की इस संकट की घड़ी में जब पूरा देश एकसाथ हो कर इस संकट से उबरने के लिए लगा हुआ है। सभी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर है। ऐसे में क्या आउटसोर्स कर्मियों से काम लेने वाले विभाग और सम्बन्धित अधिकारी अपने कर्मचारियों की मदद करने में भी संकुचा रहे है?? क्या सम्बंधित अपने कर्मचारियों को इस संकट के दौर में जरा भी सहयोग नही कर सकते?? क्या वे इन आउटसोर्स कर्मियों को जरा भी आर्थिक सहायता नही कर सकते???


      विभागों और सम्बन्धितों से आग्रह है कि इस प्रकार के समस्त कर्मचारियों को सुरक्षा और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए निम्नानुसार निर्णय लेने का कष्ट करें :-



  1. ऐसे समस्त कर्मचारियों को प्रतिमाह 10,000 रुपये प्रोत्साहन राशि पृथक से प्रदान की जाये।

  2. ऐसे समस्त कर्मचारियों का 50 लाख रूपये का बीमा किया जाए।


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