🌻प्रिय साथियो
🌻राम-राम🌻 ,
🌻 नमस्ते🌻
आज की बातआपके साथ मे आप सभी साथीयों का दिनांक 23 मार्च 2020 सोमवार की प्रातः की बेला में हार्दिक वंदन है अभिनन्दन है।
सभी भारतीयों को जनता कर्फ्यू को सफल बनाने हेतु बधाई एव धन्यवाद। सरकार ने दिनांक 31 मार्च 20 तक शहर कोलॉक डाउन कर दिया है आप सभी को कोरोना वायरस से मुकाबला करने हेतु नियमो का पालन कर इसे सफल बनाना है।
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आज की बात आपके साथ अंक मे है
A कुछ रोचक समाचार
B आज के दिन जन्मे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता.डॉ॰ राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय लेख. ।
C आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
D आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
E आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
F आज का दिवस का नाम ।
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💐(A) कुछ रोचक समाचार(संक्षेप)💐
🌻(A/1)दिल्ली में लॉकडाउन:बॉर्डर सील,बसें-दफ्तर
बंद, जानें क्या-क्या बदलेगा।💐
💐(A/2)सबसे ज्यादा Locked Down केरल व महाराष्ट्र में दिल्ली के सभी सातों जिले लॉकडाउन Locked💐
🌻(A/3)Coronavirus: बॉलीवुड अभिनेत्री का पीएम मोदी पर तंज, लिखा- 'डोनाल्ड ट्रंप के लिए 120 करोड़ का खर्चा💐
🎂(A/4)आमिताभ से अनिल तक, बॉलीवुड ने थाली बजाकर किया कोरोना कमांडोज को सलाम💐
🌻💐🌹🌲🌱💐🌸💮🌸🌱💐🌲💐🌹🌻 (A) कुछ रोचक समाचार(विस्तृत)
🌻(A/1)दिल्ली में लॉकडाउन: बॉर्डर सील, बसें-दफ्तर बंद, जानें क्या-क्या बदलेगा।💐
कोरोना वायरस के बढ़ते संकट को लेकर दिल्ली सरकार ने दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान किया है. दिल्ली में लॉकडाउन की शुरुआत 23 मार्च सुबह 6 बजे से होगी, जो कि 31 मार्च रात 12 बजे तक जारी रहेगा।.
💐दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान💐
💐दिल्ली में 31 मार्च तक लॉकडाउन💐
कोरोना वायरस केबढ़ते संकट को लेकर दिल्लीसरकार
ने दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान किया है। दिल्ली में लॉकडाउन की शुरुआत 23 मार्च सुबह 6 बजे सेहोगी,
जो कि 31मार्च रात 12 बजे तक जारी रहेगा.इसदौरान
कई सेवाएं बंद रहेंगलेकिन जरूरत की सुविधाए लोगों
के लिए खुली रहेगी।.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हम नहीं चाहते हैं कि यह संक्रमण तीसरे स्टेज में पहुंच जाए और मौत का आंकड़ा बहुत बढ़ जाए।।, इसलिए हम कल यानी 23 मार्च सुबह 6 बजे से 31 मार्च की रात 12 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान करते हैं.।
💐लॉकडाउन के दौरान क्या रहेगा बंद?💐
लॉकडाउन काऐलानकरते हुएसीएमअरविंदकेजरीवाल
ने बताया किइस दौरानपब्लिकट्रांसपोर्टबंदरहेंगे लेकिन डीटीसी की 25 % बसें चलेगी।. लॉकडाउन के दौरान कोईभीपब्लिक ट्रांसपोर्ट जारी नहीं रहेगा।इसमें प्राइवेट बसें, टैक्सी, रिक्शा, ई-रिक्शा बंद रहेंगी।.
दिल्ली की दुकानें, बाजार, ऑफिस, गोदाम,साप्ताहिक
बाजार, प्रतिष्ठान बंद रहेंगे. दिल्ली के बॉर्डर सील रहेंगे लेकिन दूसरेराज्यों से खाने-पीने के सामान जैसे सब्जी और जरूरी सामानों को लाने वाले वाहनों की अनुमति होगी।लॉकडाउन केदौरान निर्माण संबंधीकामभीदिल्ली
में बंद रहेगा. इसके अलावा प्राइवेट दफ्तर बंद रहेंगे।
इसके अलावा सीएम केजरीवाल ने सभी फ्लाइट्स को भी दिल्लीएयरपोर्ट पर बंद रखने केआदेश दिएहैंदिल्ली
मेंआनेवाली इंटरनेशनलऔर डोमेस्टिक फ्लाइट सस्पेंड कर दीगई हैंवहींइंटरस्टेट बसें,ट्रेनेंऔरमेट्रोभीलॉकडाउन
के दौरान बंद रहेंगे.धार्मिक स्थलभीलॉकडाउन के तहत बंद रहेंगे।
💐ये सेवाएं जारी रहेंगी💐
सीएम केजरीवाल ने कहा कि रेस्टोरेंट से टेकअवे और होम डिलिवरी जारी रहेगी. टेलीकॉम, सब्जी, राशन, मेडिकल समेत जरूरत की दूकानें खुली रहेंगी. वहीं पांच या पांच से ज्यादा लोगों को इकट्ठे नहीं होने दिया जाएगा. आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।.
कानून व्यवस्था को लागू करने वाले और मजिस्ट्रेट के सारे ऑफिस खुले रहेंगे. पुलिस का कामकाज जारी रहेगा।सभी अस्पताल,दमकल,जेल जारी रहेंगे बिजली
के दफ्तरों में काम जारी रहेगा।पानी के सप्लाई से जुड़े सभीविभागोंमें काम होगा। दिल्लीविधानसभाका बजट सत्र है,तो उससेजुड़े सभीविभागों में काम होगा।.प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिकमीडियाकाकामजारीरहेगा।बैंकों केकैशियर
और टेलरजारीरहेंगे ताकि लोगअपने पैसे निकाल सके. इसके अलावा टेलीकॉम, इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सर्विस जारी रहेंगी।
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🌻(A/2)सबसे ज्यादा Locked Down केरल व महाराष्ट्र में दिल्ली के सभी सातों जिले लॉकडाउन
Locked Down वाली सूची में शामिल हैं। इसके अलावा हरियाणा के पांच जिले (फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पंचकुला, पानीपत), Locked Down हैं। चंडीगढ़, पंजाब के होशियारपुर, एसएएस नगर, एसबीएस नगर Locked Down हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, वाराणसी, लखीमपुर खेरी व लखनऊ Locked Down हैं। उत्तराखंड का देहरादून, हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा, जम्मू व कश्मीर का श्रीनगर व जम्मू, लद्दाख के दोनोंं शहर लेह व कारगिल Locked Down सूची में शामिल हैं। सबसे ज्यादा केरल व महाराष्ट्र के 10-10 जिले शामिल हैं।
💐इतने राज्यों में घोषित हुआ है💐
राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू कश्मीर और बिहार ने भी लॉक डाउन की घोषणा की है। हालांकि इस दौरान जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी। Coronavirus कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र में कल से 31 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है। यूपी में जनता कर्फ्यू को सुबह 6 बजे तक बढ़ा दिया गया है। यूपी के 15 जिलों में 23 से 25 मार्च तक Locked Down लॉकडाउन घोषित किया गया है, जिसमें नोएडा, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर, सहारनपुर, लखीमपुर, आजमगढ़, वाराणसी, लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद बाराबंकी शामिल हैं।
💐क्या होता है लॉकडाउन?💐
लॉकडाउन Locked Down एक इमर्जेंसी व्यवस्था होती है। अगर किसी क्षेत्र में लॉकडाउन Locked Down घोषित कर दिया जाता है तो उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है। जीवन यापन के लिए आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति प्राप्त होती है। ऐसे में यदि किसी शख्स को दवा या अनाज की जरूरत है तो वह बाहर जा सकता है। उसे अस्पताल और बैंक के काम के लिए भी जाने की अनुमति मिल सकती है। इसके अलावा छोटे बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के काम से भी बाहर निकलने की अनुमति मिल सकती है।
💐क्यों करते हैं लॉकडाउन?💐
इंसान और किसी इलाके को किसी खतरे से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा लॉकडाउन Locked Down किया जाता है। Coronavirus कोरोना के संक्रमण को लेकर कई देशों में Locked Down किया गया है। Coronavirus कोरोनावायरस का संक्रमण एक-दूसरे इंसान में न हो इसके लिए जरूरी है कि लोग घरों से बाहर कम निकले। बाहर निकलने की स्थिति में संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में कुछ देशों में लॉकडाउन जैसी स्थिति हो गई है।
💐लॉकडाउन के दौरान राज्यों में अब यह होगा💐
Locked Down लॉकडाउन के दौरान कोई भी ट्रेन नहीं चलेगी। साथ ही मेट्रो का परिचालन भी सीमित होगा। इसमें दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, नोएडा मेट्रो, कोलकाता मेट्रो, कोच्चि मेट्रो, बेंगलुरु मेट्रो बंद किया गया है। रेलवे ने 31 मार्च रात 12 बजे तक के लिए सभी ट्रेनें रद्द कर दी हैं। सिर्फ मालगाड़ी चलेगी। उप नगरीय ट्रेनों और कोलकाता मेट्रो रेल की न्यूनतम सेवाएं 22 मार्च रात 12 बजे तक जारी रहेंग
आज का जनता कर्फ्यू भले ही रात 9 बजे खत्म हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सेलिब्रेशन शुरू कर दें। इसको सफलता न मानें। यह एक लम्बी लड़ाई की शुरुआत है। आज देशवासियों ने बता दिया कि हम सक्षम हैं, निर्णय कर लें तो बड़ी से बड़ी चुनौती को एक होकर हरा सकते हैं।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जा रहे निर्देशों का जरूर पालन करें। जिन जिलों और राज्यों में Lockdown की घोषणा हुई है, वहां घरों से बिल्कुल बाहर न निकलें। इसके अलावा बाकी हिस्सों में भी जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक घरों से बाहर न निकलें।
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🌻(A/3)Coronavirus: बॉलीवुड अभिनेत्री का पीएम मोदी पर तंज, लिखा- 'डोनाल्ड ट्रंप के लिए 120 करोड़ का खर्चा और👍'💐
💐पूरे विश्व में हाल फिलहाल कोरोना वायरस💐
पूरे विश्व में हाल फिलहाल कोरोना वायरसका प्रकोप देखने को मिल रहा है। आम लोगों से सितारों तक और राजनेताओं से लेकर खिलाड़ी तक, सभी पर कोरोना वायरस का बड़ा असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर सितारे अपनी अपनी राय भी रख रही हैं। लेकिन इस बीच एक अभिनेत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी पर ही तंज कसते हुए एक ट्वीट किया है।
बॉलीवुड अभिनेत्री नगमा ने हाल ही में ट्विटर पर एक पोस्ट किया। नगमा ने इस ट्वीट में पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कोरोना वायरस और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक का जिक्र किया है। नगमा ने ट्वीट में लिखा, 'डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के लिए 120 करोड़ का खर्चा और कोरोनावायरस के लिए सिर्फ ताली और थाली 1 दिल को कितनी बार जीतोगे मोदी जी।'
नगमा के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स जमकर रिएक्ट कर रहे हैं। कोई नगमा के इस ट्वीट का समर्थन कर रहा है तो वहीं कई यूजर्स नगमा को ऐसे ट्वीट के लिए ट्रोल कर रहा हैं। वैसे बता दें कि नगमा के अलावा भी कई बॉलीवुड सितारों ने सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर अपनी राय रखी है। आखिर क्यों कोरोना वायरस की वजह से डिज्नी की Tangled फिल्म की अब हो रही चर्चा? जानें पूरा मामला
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ट्विटर ने इसलिए हटा दिया रजनीकांत का वीडियो संदेश, भारत में ट्रेंड हो रहा।। कनिका कपूर से परेशान हुए डॉक्टर और जनता कर्फ्यू के लिए रजनीकांत ने की फैंस से अपील, पांच खबरे बता दें कि अब तक कोरोना वायरस के 300 से अधिक संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं। वहीं अभी तक कुल चार लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में आम लोगों को पीएम मोदी ने घर पर ही रहने की सलाह दी है। वहीं अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, रणवीर सिंह, आयुष्मान खुराना जैसै कई सितारे भी अपने फैंस को सुरक्षित रहने की सलाह दे रहे है।
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🎂(A/4)आमिताभ से अनिल तक, बॉलीवुड ने थाली बजाकर किया कोरोना कमांडोज को सलाम💐
देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का दिल खोलकर समर्थन किया है. जनता कर्फ्यू के समर्थन में बॉलीवुड सितारे भी पीछे नहीं रहे. पीएम मोदी की अपील पर अमिताभ बच्चन से लेकर अनुपम खेर तक थाली बजाते हुए नजर आए हैं.
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपने घर जलसा की छत पर बहू ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन के साथ नजर आए. यहां अमिताभ की बेटी श्वेता बच्चन भी मौजूद थींबी।.
अमिताभ बच्चन ने ब्लूटूथ स्पीकर में शंख और थाली बजाने की आवाज चलाई. प्रधानमंत्री मोदी ने भी थाली बजाने के बजाए स्पीकर का उपयोग करने की सलाह दी थी।
बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर ने भी अपने घर के बाहर थाली बजाई और देश की सेवा में लगे कर्मियों के हौसले को बढ़ावा दिया।
.बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान भी शाम 5 पांच अपने घर के बाहर आईं और ताली बजाई. गौरी खान अकेली थीं.
कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए आज पूरा हिन्दूस्तान एकजुट दिखा. वहीं, बॉलीवुड भी यहां एक साथ नजर आया. सारा काम छोड़कर सितारे भी पीएम मोदी के साथ खड़े नजर आए हैं.
बॉलीवुड एक्टर संजय कपूर भी अपने पूरे परिवार के साथ घर के बाहर नजर आए. संजय के साथ उनकी बेटी शनाया कपूर भी थीं. पूरे परिवार ने शाम 5 बजे 5 मिनट तक ताली बजाई.।
बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर के पिता शक्ति कपूर ने भी कोरोना वायरस के बीच काम पर डटे# कर्मियों का हौसला-अफजाई किया.।
बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर भी अपने घर के बाहर नजर आए. अनिल कपूर इस दौरान काफी जोश में नजर आए और उन्होंने कुछ इस अंदाज में अपनी हाजिरी दी।.
बॉलीवुड एक्टर बोबी देओल भी अपनी पत्नी के साथ जनता के साथ खड़े नजर आए. एक्टर ने भी ताली बजाकर अपनी समर्थन दिया.।
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🌻(B)आज के दिन जन्मे भारतीय
राजनेता डॉ॰ राममनोहर लोहिया का
जीवन परिचय 🌻
🌻डॉ॰ राममनोहर लोहिया🌻
डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च 23,-1910- मृत्यु 12 अक्टूबर,1967) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे।
🌻 जीवनवृत्त 🌻
🌻आरम्भिक जीवन एवं शिक्षा🌻
डॉ॰ राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तरप्रदेश के फैजाबाद जनपद में(वर्तमान-अम्बेडकरनगरजनपद) अकबरपुर नामक स्थान में हुआ था।उनकेपिताजी
श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। ढाई वर्ष की आयु में ही उनकी माताजी (चन्दा देवी) का देहान्त हो गया।। उन्हें दादी के अलावा सरयूदेई, (परिवार की नाईन) ने पाला। टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए।
उनके पिताजी गाँधीजी के अनुयायीथे।जब
वे गांधीजी से मिलने जाते तो राम मनोहर कोभीअपने साथ ले जाया करतेथे।इसके
कारण गांधीजी के विराट व्यक्तित्व का उन परगहराअसर हुआ।पिताजी केसाथ1918
में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।बंबई के मारवाड़ी स्कूल में पढ़ाई की। लोकमान्य गंगाधरतिलक की
मृत्यु के दिन विद्यालय के लड़कों के साथ 1920मेंपहलीअगस्त को हड़तालकीगांधी
जी की पुकार पर 10 वर्ष कीआयु में स्कूल
त्याग दिया।पिताजी को विदेशीवस्तुओं के
बहिष्कार के आंदोलन के चलते सजा हुई। 1921 में फैजाबाद किसान आंदोलन के दौरानजवाहरलाल नेहरू से मुलाकात हुई। 1924 मेंप्रतिनिधिकेरूप में कांग्रेस के गया
अधिवेशन में शामिल हुए।1925 में मैट्रिक की परीक्षा दी।कक्षा में 61 % नंबर लाकर प्रथमआए।इंटरकी दोवर्ष की पढ़ाईबनारस
के काशी विश्वविद्यालय में हुई। कॉलेज के दिनों से ही खद्दर् पहनना शुरू कर दिया। 1926 में पिताजी के साथ गौहाटी कांग्रेस अधिवेशन में गए।1927में इंटर पास किया तथाआगे कीपढ़ाई के लिएकलकत्ताजाकर ताराचंद दत्त स्ट्रीट पर स्थित पोद्दार छात्र हॉस्टल में रहने लगे। विद्यासागर कॉलेज में दाखिला लिया।अखिल बंग विद्यार्थीपरिषद
के सम्मेलन मेंसुभाषचंद्र बोस के न पहुंचने पर उन्होंने सम्मेलन की अध्यक्षता की। 1928 में कलकता में कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए। 1928 से अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन में सक्रिय हुए। साइमन कमिशन के बहिष्कार के लिए छात्रों के साथ आंदोलन किया। कलकत्ता में युवकों के सम्मेलन में जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष तथा सुभाषचंद्र बोस और लोहिया विषय निर्वाचन समिति के सदस्य चुने गए। 1930 में द्वितीय श्रेणी में बीए की परीक्षा पास की।
🌻यूरोप प्रवास🌻
1930 जुलाई को लोहिया अग्रवाल समाज के कोष से पढ़ाई के लिए इंग्लैंड रवाना हुए। वहाँ से वे बर्लिन गए। विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार उन्होंने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो॰ बर्नर जेम्बार्ट को अपना प्राध्यापक चुना। 3 महीने में जर्मन भाषा सीखी। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने दाण्डी यात्रा प्रारंभ की। जब नमक कानून तोड़ा गया तब पुलिस अत्याचार से पीड़ित होकर पिता हीरालाल जी ने लोहिया को विस्तृत पत्र लिखा। 23 मार्च को लाहौर में भगत सिंह को फांसी दिए जाने के विरोध में लीग ऑफ नेशन्स की बैठक में बर्लिन में पहुंचकर सीटी बजाकर दर्शक दीर्घा से विरोध प्रकट किया। सभागृह से उन्हें निकाल दिया गया। भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे बीकानेर के महाराजा द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने पर लोहिया ने रूमानिया की प्रतिनिधि को खुली चिट्ठी लिखकर उसे अखबारों में छपवाकर उसकी कॉपी बैठक में बंटवाई। गांधी इर्विन समझौते का लोहिया ने प्रवासी भारतीय विद्यार्थियों की संस्था "मध्य यूरोप हिन्दुस्तानी संघ" की बैठक में संस्था के मंत्री के तौर पर समर्थन किया। कम्युनिस्टों ने विरोध किया। बर्लिन के स्पोटर्स पैलेस में हिटलर का भाषण सुना। 1932 में लोहिया ने नमक सत्याग्रह विषय पर अपना शोध प्रबंध पूरा कर बर्लिन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
🌻स्वदेश आगमन एवं स्वतंत्रता🌻
1933 मेंमद्रास पहुंचे।रास्ते में सामानजब्त
कर लिया गया।तब समुद्री जहाज से उतर
कर हिन्दु अखबार के दफ्तर पहुंचकर दो लेख लिखकर25 रुपयाप्राप्त करकलकत्ता
गए। कलकत्ता से बनारस जाकर मालवीय
जी से मुलाकात की। उन्होंने रामेश्वर दास बिड़ला से मुलाकात कराई जिन्होंने नौकरी काप्रस्ताव दिया,लेकिन दो हफ्ते साथ रहने के बाद लोहिया ने निजी सचिव बनने से इनकार कर दिया। तब पिता जी के मित्र सेठ जमुनालाल बजाज लोहिया को गांधी जी के पास ले गए तथा उनसे कहा कि ये लड़का राजनीति करना चाहता है।
कुछ दिन तक जमुनालाल बजाज के साथ रहने के बाद शादी का प्रस्ताव मिलने पर शहर छोड़कर वापस कलकत्ता चले गए। विश्व राजनीति के आगामी 10 वर्ष विषय पर ढाका विश्वविद्यालय में व्याख्यान देकर कलकत्ता आने-जाने की राशि जुटाई। पटना में 17 मई 1934 को आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में देश के समाजवादी अंजुमन-ए-इस्लामिया हॉल में इकट्ठे हुए, जहां समाजवादी पार्टी की स्थापना का निर्णयलिया गया।यहां लोहियाने समाज
वादी आंदोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की। पार्टी के उद्देश्यों में लोहिया ने पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य जोड़ने का संशोधन पेश किया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। 21-22 अक्टूबर 1934 को बम्बई के बर्लि स्थित 'रेडिमनी टेरेस' में 150 समाजवादियों ने इकट्ठा होकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। लोहिया राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य चुने गए।कांग्रेस सोशलिस्ट सप्ता
-हिक मुखपत्र केसम्पादक बनाए गए गांधी
जी के विरोध में जाकर उन्होंने कांउसिल प्रवेश का विरोध किया।गांधीजी ने लोहिया के लेख पर दो पत्र लिखे।1936 के मेरठ
अधिवेशन में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी ने कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के लिए पार्टी का दरवाजा खोल दिया। लोहिया बार-बार कम्युनिस्टों के प्रति सचेत रहने कीचेतावनी
जयप्रकाश नारायण जी एवं अन्य नेताओं को देते रहे। 1935 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जहां लोहिया को परराष्ट्र विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया जिसके चलते उन्हें इलाहाबाद आना पड़ा।1938 में कांग्रेस सोशलिस्टपार्टी मेंलोहिया राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य चुने गए।उन्होंने कांग्रेस के परराष्ट्र विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1940 में रामगढ़ कांग्रेस के कम्युनिस्टों को पार्टी से निकालने का निर्णय लिया गया। 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस में सुभाष चंद्र बोस को समाजवादियों ने समर्थन किया।डॉ॰ लोहिया तटस्थ बनेरहे।
लोहिया ने गांधी जी द्वारा यह कहे जाने पर कीबोसका चुनाव मेरी शिकस्तहैपर प्रस्ताव
पेशकरते हुए कहा कि यहप्रस्ताव गांधी जी से सम्मानपूर्वकआह्वान करता है किउनकी
शिकस्तनहीं हुई है।गांधीजीकी इच्छानुसार
सुभाषचंद्र बोसकार्यसमिति बनानेको तैयार नहीं हुए तथा नेहरू सहित अन्य कांग्रेस के नेताओं नेबोस के साथ कार्यसमितिमें रहने से इंकार कर दिया तब बोस ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तथा कांग्रेस से नाता तोड़ लिया।
लोहिया ने महायुद्ध के समय युद्धभर्ती का विरोध, देशी रियासतों में आंदोलन, ब्रिटिश माल जहाजों से माल उतारने व लादने वाले मजदूरों का संगठन तथा युद्धकर्ज को मंजूर तथा अदा न करने, जैसे चार सूत्रीय मुद्दों को लेकर युद्ध विरोधी प्रचार शुरू कर दिया1939 केमईमहीनेमें दक्षिण कलकता
की कांग्रेस कमेटी में युद्ध विरोधी भाषण करने पर उन्हें 24 मई को गिरफ्तार किया गया।कलकत्ता केचीफप्रेसीडेन्सी मजिस्टे्ट के सामने लोहिया ने स्वयं अपने मुकदमे की पैरवी और बहस की।14 अगस्त को उन्हें रिहा कर दिया गया।9 अक्टूबर1939 को कांग्रेस समिति के बैठक वर्धा में हुई जिसमें लोहिया ने समझौते का विरोध किया। उसी समय उन्होंने शस्त्रों का नाश हो नामक प्रसिद्ध लेख लिखा। 11 मई 1940 को सुल्तानपुर के जिला सम्मेलन में लोहिया ने कांग्रेस से 'सत्याग्रह अभी नहीं' नामक लेख लिखा। गांधी जी ने मूल रूप में लोहिया द्वारा दिए गए चार सूत्रों को स्वीकार किया।
7 जून 1940 को डॉ॰ लोहिया को 11 मई को दोस्तपुर (सुल्तानपुर) में दिए गए भाषण के कारण गिरफ्तार किया गया। उन्हें कोतवाली में सुल्तानपुर में इलाहाबाद के स्वराज भवन से ले जाकर हथकड़ी पहनाकर रखा गया। 1 जुलाई 1940 को भारत सुरक्षा कानून की धारा 38 के तहत दो साल की सख्त सजा हुई। सजा सुनाने के बाद उन्हें 12 अगस्त को बरेली जेल भेज दिया गया। 15 जून 1940 को गांधी जी ने 'हरिजन' में लिखा, कि 'मैं युद्ध को गैर कानूनी मानता हूं किन्तु युद्ध के खिलाफ मेरे पास कोई योजना नहीं है इस वास्ते मैं युद्ध से सहमत हूं।' 25 अगस्त को गांधी जी ने लिखा कि 'लोहिया और दूसरे कांग्रेस वालों की सजाएं हिन्दुस्तान को बांधने वाली जंजीर को कमजोर बनाने वाले हथौडे क़े प्रहार हैं। सरकार कांग्रेस को सिविल-नाफरमानी आरंभ करने और आखिरी प्रहार करने के लिए प्रेरित कर रही है। यद्यपि कांग्रेस उसे उस दिन तक के लिए स्थगित करना चाहती है जब तक इंग्लैंड मुसीबत में हो।' गांधी जी ने बंबई में कहा, कि 'जब तक डॉ॰ राममनोहर लोहिया जेल में है तब तक मैं खामोश नहीं बैठ सकता, उनसे ज्यादा बहादुर और सरल आदमी मुझे मालूम नहीं। उन्होंने हिंसा का प्रचार नहीं किया जो कुछ किया है उनसे उनका सम्मान बढ़ता है।' 4 दिसम्बर 1941 को अचानक लोहिया को रिहा कर दिया गया तथा देश के अन्य जेलों में बंद कांग्रेस के नेताओं को छोड़ दिया गया। 19 अप्रैल 1942 को हरिजन में लोहिया का लेख 'विश्वासघाती जापान या आत्मसंतुष्ट ब्रिटेन' गांधी जी द्वारा प्रकाशित किया गया। गांधी जी ने टिप्पणी की कि मेरी उम्मीद है कि सभी संबंधित इसके प्रति ध्यान देंगे।
सन् 1942 में इलाहाबाद में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जहां लोहिया ने खुलकर नेहरू का विरोध किया। इसके बाद अल्मोड़ा जिला सम्मेलन में लोहिया ने 'नेहरू को झट पलटने वाला नट' कहा। गांधी जी के साथ एक सप्ताह रहकर लोहिया ने गांधी जी को वाइसराय के नाम पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया। जिसमें गांधी जी ने लिखा कि अहिंसानिष्ट सोशलिस्ट डॉ॰ लोहिया ने भारतीय शहरों को बिना पुलिस व फौज के शहर घोषित करने की कल्पना निकाली है। लोहिया जी के द्वारा दुनिया की सभी सरकारों को नई दुनिया की बुनियाद बनाने की योजना की कल्पना गांधी जी के सामने रखी गई, जिसमें एक देश की दूसरे देश में जो पूंजी लगी है उसे जब्त करना, सभी लोगों को संसार में कहीं भी आने-जाने व बसने का अधिकार देना, दुनिया के सभी राष्ट्रों को राजनैतिक आजादी तथा विश्व नागरिकता की बात कही गई थी। गांधी जी ने इसे हरिजन में छापा और अपनी ओर से समर्थन भी किया तथा अंग्रेजों के खिलाफ जल्दी लड़ाई छेड़ने को लेकर गांधी जी ने दस दिन रूकने के लिए लोहिया को कहा। दस दिन बाद 7 अगस्त 1942 को गांधीजी ने तीन घंटे तक भाषण देकर कहा, कि 'हम अपनी आजादी लड़कर प्राप्त करेंगे।' अगले दिन 8 अगस्त को 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव बंबई में बहुमत से स्वीकृत हुआ। गांधी जी ने करो या मरो का संदेश दिया।
🌻भारत छोड़ो आन्दोलन🌻
9 अगस्त 1942 को जब गांधी जी व अन्य कांग्रेस के नेता गिरफ्तार कर लिए गए, तब लोहिया ने भूमिगत रहकर 'भारत छोड़ो आंदोलन' को पूरे देश में फैलाया। लोहिया, अच्युत पटवर्धन, सादिक अली, पुरूषोत्तम टिकरम दास, मोहनलाल सक्सेना, रामनन्दन मिश्रा, सदाशिव महादेव जोशी, साने गुरूजी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, अरूणा आसिफअली, सुचेता कृपलानी और पूर्णिमा बनर्जी आदि नेताओं का केन्द्रीय संचालन मंडल बनाया गया। लोहिया पर नीति निर्धारण कर विचार देने का कार्यभार सौंपा गया। भूमिगत रहते हुए 'जंग जू आगे बढ़ो, क्रांति की तैयारी करो, आजाद राज्य कैसे बने' जैसी पुस्तिकाएं लिखीं। 20 मई 1944 को लोहिया जी को बंबई में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद लाहौर किले की एक अंधेरी कोठरी में रखा गया जहां 14 वर्ष पहले भगत सिंह को फांसी दी गई थी। पुलिस द्वारा लगातार उन्हें यंत्रणा दी गई, 15-15 दिन तक उन्हें सोने नहीं दिया जाता था। किसी से मिलने नहीं दिया गया 4 महीने तक ब्रुश या पेस्ट तक भी नहीं दिया गया। हर समय हथकड़ी बांधे रखी जाती थी। लाहौर के प्रसिद्ध वकील जीवनलाल कपूर द्वारा हैबियस कारपस की दरखास्त लगाने पर उन्हें तथा जयप्रकाश नारायण को स्टेट प्रिजनर घोषित कर दिया गया। मुकदमे के चलते सरकार को लोहिया को पढ़ने-लिखने की सुविधा देनी पड़ी। पहला पत्र लोहिया ने ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष प्रो॰ हेराल्ड जे. लास्की को लिखा जिसमें उन्होंने पूरी स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया। 1945 में लोहिया को लाहौर से आगरा जेल भेज दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने पर गांधी जी तथा कांग्रेस के नेताओं को छोड़ दिया गया। केवल लोहिया व जयप्रकाश ही जेल में थे। इसी बीच अंग्रेजों की सरकार और कांग्रेस की बीच समझौते की बातचीत शुरू हो गई। इंग्लैंड में लेबर पार्टी की सरकार बन गई सरकार का प्रतिनिधि मंडल डॉ॰ लोहिया से आगरा जेल में मिलने आया। इस बीच लोहिया के पिता हीरालाल जी की मृत्यु हो गई। किन्तु लोहिया जी ने सरकार की कृपा पर पेरोल पर छूटने से इंकार कर दिया।
🌻गोवा मुक्ति आन्दोलन🌻
11 अप्रैल 1946 को लोहिया को आगरा जेल से रिहा कर दिया गया। 15 जून को लोहिया ने गोवा के पंजिम में 'गोवा मुक्ति आंदोलन' की पहली सभा ली। लोहिया को 18 जून को गोवा मुक्ति आंदोलन के शुरूआत के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। 14 अगस्त 1946 को 'हरिजन' में गांधी जी ने लिखा कि, लोहिया को बधाई दी जानी चाहिए। 30 दिसम्बर 1946 को नवाखली में हिन्दु और मुसलमान के बीच के अविश्वास को दूर करने में गांधी जी के साथ विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया। पूरे साल नवाखली, कलकत्ता, बिहार, दिल्ली सभी जगह लोहिया गांधी जी के साथ मिलकर साम्प्रदायिकता की आग को बुझाने की कोशिश करते रहे। 9 अगस्त 1947 से लगातार हिंसा रोकने का प्रयास चलता रहा। 14 अगस्त की रात को हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई के नारों के साथ लोहिया ने सभा की। 31 अगस्त को वातावरण फिर बिगड़ गया, गांधी जी अनशन पर बैठ गए तब लोहिया ने दंगाईयों के हथियार इकट्ठे कराए। लोहिया के प्रयास से शांति समिति की स्थापना हुई तथा 4 सितम्बर को गांधी जी ने अनशन तोड़ा। 29 सितम्बर को बेलगांव में लोहिया को फिर गिरफ्तार कर लिया गया। 26, 27, 28 फ़रवरी 1947 को सोशलिस्ट पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में तटस्थ रहने का निर्णय लिया गया।
🌻स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद🌻
जनवरी 1947 में लोहिया ने नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस को स्थापित करने तथा राणाशाही के विरुद्ध सत्याग्रह प्रारंभ करने की पहल की। 25 जनवरी 1948 को बंबई हड़ताल को लेकर लोहिया जी ने गांधी जी से हड़ताल का समर्थन मांगा। 28 जनवरी को गांधी जी ने कहा कि कल आना कल पेट भर की बात होगी। 30 जनवरी को लोहिया जब बिड़ला भवन के लिए निकले तब उन्हें गांधी जी की हत्या की खबर सुनने को मिली। मार्च 1948 में नासिक सम्मेलन में सोशलिस्ट दल ने कांग्रेस से अलग होने का निश्चय किया। लोहिया की प्रेरणा से रियासतों की समाप्ति का आंदोलन 650 रिसासतों में समाजवादी चला रहे थे। 2 जनवरी 1948 को रीवा में 'हमें चुनाव चाहिए विभाजन रद्द करो' के नारे के साथ आंदोलन किया गया जिसमें पुलिस ने गोली चलाई 4 आंदोलनकारी शहीद हुए। 1949 को सोशलिस्ट पार्टी द्वारा लोहिया के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला के आमरण अनशन तथा नेपाल में राणाशाही के अत्याचार के खिलाफ सभा की गई। नेपाली दूतावास की ओर जब जुलूस बढ़ा तब लाठी चार्ज किया गया लोहिया को गिरफ्तार किया गया। 20 जून को देश भर में लोहिया दिवस मनाया गया। मुकदमे में दो महीने की कैद हुई। 3 जुलाई को उन्हें रिहा कर दिया गया।
सन् 1949 में पटना में सोशलिस्ट पार्टी का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इसी सम्मेलन में लोहिया ने 'चौखंभा राज्य' की कल्पना प्रस्तुत की। पटना में 'हिन्द किसान पंचायत' की स्थापना भी हुई जिसका अध्यक्ष लोहिया को चुना गया। 25 नवम्बर 1949 को लखनऊ में एक लाख किसानों ने विशाल प्रदर्शन किया। 26 फ़रवरी 1950 को रीवा में 'हिन्द किसान पंचायत' का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। दिल्ली में 3 जून 1951 को जनवाणी दिवस पर प्रदर्शन किया गया। 'रोजी-रोटी कपड़ा दो नहीं तो गद्दी छोड़ दो', प्रदर्शनकारियों का मुख्य नारा था। 14 जून 1951 को सागर स्टेशन में लोहिया को गिरफ्तार कर बेंगलूर के हवालात में बंद कर दिया गया। 3 जुलाई को लोहिया छूटे। 24 जुलाई को वे विश्व सरकार के समर्थकों के सम्मेलन में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम गए 17 साल बाद वे पुन: बर्लिन पहुंचे। लोहिया इंग्लैंड, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण पश्चिम एशिया के कई देशों में गए; इस्रायल से होकर 15 नवम्बर को स्वेदश लौटे।
1951 में लोहिया को 3 जुलाई को समाजवादियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बुलाया गया। सम्मेलन में जर्मनी, युगोस्लाविया, अमेरिका, हवाई, जापान, हांगकांग, थाईदेश, सिंगापुर मलाया, इंडोनेशिया तथा लंका भी गए। लोहिया विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टन से प्रिंसटन में मिले। आइंस्टीन ने कहा, कि 'किसी मनुष्य से मिलना कितना अच्छा होता है आदमी कितना अकेला पड़ जाता है।' लोहिया ने अमरीका में सैकड़ों स्थानों पर भाषण किए। उस समय उन्होंने एशिया की समस्त सोशलिस्ट पार्टियों का संगठन निर्मित करने का विचार बनाया। 25 मार्च से 29 मार्च 1952 में एशियाई सोशलिस्ट कान्फ्रेंस हुई, लेकिन इसमें लोहिया शामिल नहीं हो सके। जयप्रकाश नरायण भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता बन कर रंगून गए
डॉ राममनोहर लोहिया, मणि राम बागरी, मधु लिमये, एस एम जोशी
मई 1952 में पंचमढ़ी में सोशलिस्ट पार्टी का सम्मेलन हुआ। आम चुनाव में हार के बाद लोहिया ने चुनावों की पराजय की शव परीक्षा के बदले ठोसविचारों की ओर पार्टी को ले जाने का विचार दिया। गुजरात पार्टी सम्मेलनमेंइतिहास चक्र की नई व्याख्या लोहियाद्वारा प्रस्तुत की गई।24-25 सितम्बर 1952 में सोशलिस्ट पार्टी की जनरल कौंसिल बैठक में किसान-मजदूर प्रजा पार्टी और सोशिलिस्ट पार्टी के विलय का निर्णय लिया गया। इस तरह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का जन्म हुआ। 29 से 31 दिसम्बर 1953 को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का पहला सम्मेलन इलाहाबाद में हुआ। वहां लोहिया ने इलाहाबाद थीसिस प्रस्तुत की। लोहिया को उनके मना करने के बाव
~जूद पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री चुना गया। 13-14 मई 1954 को उत्तर प्रदेश प्रजा सोशलिस्ट पार्टी द्वारा नहर रेट की बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया। 4 जुलाई 1954 को फारूखाबाद में वाणी स्वतंत्रता के संघर्ष को लेकर भाषण दिए जाने केकारण गिरफ्तार किया गया नागपुर में26-28नवम्बर1954 केबीच केरलगोली कांडपर विचार करने के लिए सम्मेलन हुआ। लोहिया केरल मंत्रीमंडल से इस्तीफा मांग चुके थे। 31 दिसम्बर 1955 तथा 1 जनवरी 1956 को सोशलिस्ट पार्टी का स्थापना हुई। लखनऊ में लोहिया के नेतृत्व में एक लाख किसानों का प्रदर्शन हुआ। 1956 में लोहिया ने "मैनकाइंड" नामक पत्रिका शुरू की। सोशिलिस्ट पार्टी का प्रथम वार्षिक अधिवेशन भारत के मध्य बिंदु मध्यप्रदेश के ग्राम सिहोरा में 28, 29, 30 दिसम्बर 1956 को हुआ। 2 नवम्बर 1957 को लोहिया क्रिमनल लॉ एमेंडमेंड एक्ट की धारा 7 की तहत डाकिए से कुछ कहने पर अकारण गिरफ्तार कर लिया गया। 12 नवम्बर 1958 को लोहिया पूर्वोतर के दौरे पर निकले, जहां उन्हें दौरा करने से रोक दिया गया। एक साल बाद फिरउसीस्थान उर्वसियम(नेफा) से लोहिया ने पूर्वोत्तरमेंप्रवेश किया,जहां उन्हेंगिरफ्तार
कर लिया गया। 17 अप्रैल 1960 को कानुपर के सर्किट हाउस में अनाधिकृत प्रवेश करने के कारण अपराध बताकर उन्हें पुन: गिरफ्तार किया गया।1961 में
अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान लोहिया की सभा पर मद्रास में पत्थर बरसाये गए। 1961 में लोहिया एथेंस, रोम और काहिरा गए। 1962 में चुनाव हुआ लोहिया नेहरू के विरुद्ध फूलपुर में चुनाव मैदान में उतरे। 11 नवम्बर 1962 को कलकत्ता में सभा कर लोहिया ने तिब्बत के सवाल कोउठाया
1963 के फारूखाबाद के लोकसभा उप
-चुनाव में लोहिया 58 हजार मतों से चुनाव जीते। लोकसभा में लोहिया की तीन आना बनाम पन्द्रह आना की बहस अत्यंत चर्चित रही, जिसमें उन्होंने 18 करोड़ आबादी के चारआने पर जिंदगी काटनेतथा प्रधानमंत्री पर 25 हजार रुपए प्रतिदिन खर्च करने का आरोप लगाया। 9 अगस्त 1965 को लोहियाकोभारत सुरक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया।
🌻अंग्रेजीहटाओआन्दोलन🌻
लोहिया जानते थे कि विधायिका, कार्य-
पालिका और न्यायपालिका में अंग्रेजी का प्रयोगआमजनताकीप्रजातंत्र मेंशतप्रतिशत
भागीदारी के रास्ते का रोड़ा है। उन्होंने इसे सामंती भाषा बताते हुए इसके प्रयोग के खतरों से बारंबार आगाह कियाऔरबताया कि यह मजदूरों, किसानों और शारीरिक श्रम से जुड़े आम लोगों की भाषा नहीं है। उन्होंने लिखा:
यदि सरकारी और सार्वजनिक काम ऐसी भाषा में चलाये जाएं, जिसे देश के करोड़ों आदमी न समझ सकें, तो यह केवल एक प्रकार का जादू-टोना होगा।
दुख की बात है कि लोहिया के अंग्रेजी हटाओ आंदोलन (1957) को हिंदी का वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश के तौर पर देखा गया, जबकि लोहिया ने बार-बार यह स्पष्ट किया कि अंग्रेजी हटाओ का अर्थ हिंदी लाओ कदापि नहीं है। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं की उन्नति और उनके प्रयोग की खुलकर वकालत की।उनकेअनुसारअंग्रेजी
हटाओ का अर्थ 'मातृभाषा लाओ' था।
भारतीय राजनीति का बेबाक और बिंदास चेहरा रहेराममनोहरलोहियाने 50 केदशक
में ही भांप लिया था। उन्होंने लोकसभा में बल देकर अपनी बात रखते हुए कहा था:
अंग्रेजी को खत्म कर दिया जाए। मैंचाहता
हूं किअंग्रेजी का सार्वजनिक प्रयोग बंद हो, लोकभाषा के बिना लोकराज्य असंभव है। कुछ भी हो अंग्रेजीहटनी ही चाहिये,उसकी
जगह कौन सी भाषाएं आती हैं यह प्रश्न नहीं है। हिन्दी और किसी भाषा के साथ आपके मन में जो आए सो करें, लेकिन अंग्रेजी तो हटना ही चाहिये और वह भी जल्दी। अंग्रेज गये तो अंग्रेजी चली जानी चाहिये।
🌻देहावसान🌻
30 सितम्बर 1967 को लोहिया को नई दिल्ली के विलिंग्डन अस्पताल अब जिसे लोहिया अस्पताल कहा जाता है को पौरूष ग्रंथि के आपरेशन के लिए भर्ती किया गया जहां 12 अक्टूबर 1967 को उनका देहांत 57 वर्ष की आयु में हो गया।
🌻गैर-कांग्रेसवाद के शिल्पी🌻
देश में गैर-कांग्रेसवाद की अलख जगाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया चाहते थे कि दुनियाभर के सोशलिस्ट एकजुट होकर मजबूत मंच बनाए। लोहिया भारतीय राजनीति में गैर कांग्रेसवाद के शिल्पी थे और उनके अथक प्रयासों का फल था कि 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस की पराजय हुई, हालांकि केंद्र में कांग्रेस जैसे-तैसे सत्ता पर काबिज हो पायी। हालांकि लोहिया 1967 में ही चल बसे लेकिन उन्होंने गैर कांग्रेसवाद की जो विचारधारा चलायी उसी की वजह से आगे चलकर 1977 में पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकारी बनी। लोहिया मानते थे कि अधिक समय तक सत्ता में रहकर कांग्रेस अधिनायकवादी हो गयी थी और वह उसके खिलाफ संघर्ष करते रहे।
🌻जैसी कथनी वैसी करनी🌻
लोहिया के समाजवादी आंदोलन की संकल्पना के मूल में अनिवार्यत: विचार और कर्म की उभय उपस्थिति थी- जिसके मूर्तिमंत स्वरूप स्वयं डॉ॰ लोहिया थे और आजन्म उन्होंने ‘कर्म और विचार’ की इस संयुक्ति को अपने आचरण से जीवन्त उदाहरण भी प्रस्तत किया।
अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वाले तमाम व्यक्तित्वों की भांति लोहिया प्रभावित भी थे। वे जेल भी गए और ऐसी यातनाएं भी सहीं। आजादी से पूर्व ही कांग्रेस के भीतर उनका सोशलिस्ट ग्रुप था, लेकिन पंद्रह अगस्त सैंतालिस को अंग्रेजों से मुक्ति पाने पर वे उल्लसित तो थे लेकिन विभाजन की कीमत पर पाई गई इस स्वतंत्रता के कारण नेहरू और नेहरू की कांग्रेस से उनका रास्ता हमेशा के लिए अलग हो गया। स्वतंत्रता के नाम पर सत्ता की लिप्सा का यह खुला खेल लोहिया ने अपनी नंगी आंखों से देखा था और इसीलिए स्वतंत्रता के बाद की कांग्रेस पार्टी और कांग्रेसियों के प्रति उनमें इतना रोष और क्षोभ था कि उन्हें धुर दक्षिणपंथी और वामपंथियों दोनों को साथ लेना भी उन्हें बेहतर विकल्प ही प्रतीत हुआ।
🌻मौलिक एवं ठेठ देसी चिन्तक🌻
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के राजनेताओं में लोहिया मौलिक विचारक थे।[1] लोहिया के मन में भारतीय गणतंत्र को लेकर ठेठ देसी सोच थी। अपने इतिहास, अपनी भाषा के सन्दर्भ में वे कतई पश्चिम से कोई सिद्धांत उधार लेकर व्याख्या करने को राजी नहीं थे। सन् 1932 में जर्मनी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले राममनोहर लोहिया ने साठ के दशक में देश से अंग्रेजी हटाने का जो आह्वान किया। अंग्रेजी हटाओ आन्दोलन की गणना अब तक के कुछ इने गिने आंदोलनों में की जा सकती है। उनके लिए स्वभाषा राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि अपने स्वाभिमान का प्रश्न और लाखों–करोडों को हीन ग्रंथि से उबरकर आत्मविश्वास से भर देने का स्वप्न था– ‘‘मैं चाहूंगा कि हिंदुस्तान के साधारण लोग अपने अंग्रेजी के अज्ञान पर लजाएं नहीं, बल्कि गर्व करें। इस सामंती भाषा को उन्हीं के लिए छोड़ दें जिनके मां बाप अगर शरीर से नहीं तो आत्मा से अंग्रेज रहे हैं।’’
हलांकि लोहिया भी जर्मनी यानी विदेश से पढा़ई कर के आए थे, लेकिन उन्हें उन प्रतीकों का अहसास था जिनसे इस देश की पहचान है। शिवरात्रि पर चित्रकूट में रामायण मेला उन्हीं की संकल्पना थी, जो सौभाग्य से अभी तक अनवरत चला आ रहा है। आज भी जब चित्रकूट के उस मेले में हजारों भूखे नंगे निर्धन भारतवासियों की भीड़ स्वयमेव जुटती है तो लगता है कि ये ही हैं जिनकी चिंता लोहिया को थी, लेकिन आज इनकी चिंता करने के लिए लोहिया के लोग कहां हैं?
राजनीतिक शुचिता के पक्षधरलोहिया ही थे ।जो राजनीति की गंदी गली में भी शुद्ध आचरण की बात करते थे। वे एकमात्र ऐसे राजनेता थे जिन्होंने अपनी पार्टी की सरकार से खुलेआम त्यागपत्र की मांग की, क्योंकि उस सरकार के शासन में आंदोलनकारियों पर गोली चलाई।
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🌻 (C) आज के दिन की महत्वपूर्ण
एतिहासिक घटनाए🌻
1910 डॉ राममनोहर लोहिया का जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद में हुआ था.
1931 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन फांसी दी गई थी.
1956 पाकिस्तान दुनिया का पहला इस्लामिक गणतंत्र बना.
1965 नासा ने पहली बार जैमिनी 3 अंतरिक्ष यान से दो व्यकितयों को अंतरिक्ष में भेजा.
1976 मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का जन्म नई दिल्ली में हुआ था.
1983 अमरीका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने स्ट्रैटेजिक डिफ़ेंस इनीशियेटिव या रणनीतिक रक्षा प्रबंध की घोषणा की.
1986 केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में महिलाओं की पहली कंपनी को प्रशिक्षित किया गया.
1987 पश्चिमी जर्मनी के एक ब्रितानी सैनिक ठिकाने में हुए कार बम हमले में 31 लोग घायल हो गए हैं. विस्फोट इतना भयानक था कि सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई और पास में खड़ी कारों को काफ़ी बुरी तरह नुक़सान पहुँचा.
1996 ताइवान में हुए पहला प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें ली टेंग हुई को बतौर राष्ट्रपति चुना गया.
2012 मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतकों का कीर्तिमान बनाने वाले पहले क्रिकेटर बने.
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🌻(D)आज 23 मार्च को जन्मे
प्रमुख व्यक्तित्व🌻
1614- जहाँआरा, मुग़ल बादशाह
शाहजहाँ और 'मुमताज़ महल' की सबसे बड़ी पुत्री थी।
1880 - बसंती देवी - भारत की स्वतंत्रता सेनानी।
1910 - राममनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
1976 - स्मृति ईरानी - पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री, 'भारतीय जनता पार्टी' की प्रतिष्ठित महिला नेता।
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🌻(E)आज 23 मार्च को निधन हुवे प्रमुख
व्यक्तित्व 🌻
1931 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महान क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन फांसी दी गई थी.
1931: आज ही के दिन महान क्रांतिकारी भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी.
1988: पंजाबी कवि पाश का निधन.
2003:हरियाणा राज्य के स्वतंत्रता-संग्राम
-सेनानी,सामाजिक कार्यकर्ता,इतिहासकार
तथा शिक्षक, स्वामी ओमानन्द सरस्वती का निधन.
2010:नक्सलीआंदोलन के जनकभारतीय
कानू सान्याल का निधन
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🌻(F) आज का दिवस का नाम 🌻
1.आज शहिदी दिवस है।
2.भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महान क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन फांसी दी गई थी। आज उनका पुण्यतिथि दिवस है।
3 नक्सलीआंदोलन के जनकभारतीय
कानू सान्याल की भी पुण्यतिथि दिवस है
4.बसंती देवी - भारत की स्वतंत्रता सेनानी की जयंती है।
5.राममनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी जयंती है।
6.स्मृति ईरानी - पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री, 'भारतीय जनता पार्टी' की प्रतिष्ठित महिला नेता का आज जन्मदिन है।
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आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना ही।कल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।
आज जन्म लिये सभी व्यक्तियोंको आज के दिन की बधाई।आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई। बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप सभी को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।
💐।जय चित्रांश।💐
💐जय महाकाल,बोले सो निहाल💐
💐।जय हिंद जय भारत💐