जिसने सबसे पहले विश्व
को जगाया,
जिसने सबसे पहले सूर्य
को उगाया।
हम उस विवेकानंद के
वंशज हैं,
जिसने ज्ञान गंगा जगत
में बहाया।
ज्ञानियों मुनियों ध्यानियों का,
यह देश था विद्वानों का।
तपोभूमि ऋषियों गुरुओं की
यह देश देवर्षियों का।
देश महर्षियों महाकवियों का,
रामायण गीता पुराणों का।
गला घोंट दिया विवेकानंद के
अरमानों का,
यह देश न था शैतानों का।
जिसने युवा शक्ति को जगाया,
युवा दिलों में ऊर्जा बढ़ाया।
भारत की पहचान जिसने विश्व
में बनाया,
जिसने दिया संसार को अपने
विद्या बुद्धि तेज का तपन।
आज कृतज्ञ राष्ट्र उस महान
स्वामी को करता है नमन।
- जुगेश चंद्र दास