नई दिल्ली। इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा। फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी। प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरणी जमा नहीं कर पाएंगे। साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए, अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे।
भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक द्वारा इस वर्ष से प्रकाशकों को विषम परिस्थितियों में डाल दिया है। एक तरफ तो समाचार पत्र को व्यवसाय या उद्योग का दर्जा सरकार ने आज तक नहीं दिया है। वर्षों से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र तक जारी नहीं किए गए है। अनेकों शीर्षक संबंधी मामले, पंजीयन संबंधी मामले इत्यादि कई मामले लम्बित है। पंजीयन प्रमाण पत्र में संशोधन के मामले लम्बित है। इन सब प्रकरणों को निराकृत किए बिना प्रेस सेवा पोर्टल को लागू किया जाना न्याय संगत नहीं है। ज्ञातव्य हो कि प्रेस सेवा पोर्टल में अनेकों ऐसे प्राविधान रखे गए है, जिन्हें छोटे व मझौले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के प्रकाशकों के द्वारा पूरा किया जाना असंभव है। प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था, प्रकाशकों एवं मुद्राकों से सुझाव या सलाह-मशवरा लेना था, ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित किए जाने थे। इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा, फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी। प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरणी को दाखिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए, अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे। ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रिंट मीडिया को समाप्त करने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है। हम आव्हान करते कि इस प्रेस सेवा पोर्टल का सभी प्रकाशकों को बहिष्कार करना चाहिए। जब तक प्रेस सेवा पोर्टल में वार्षिक विवरण को दाखिल करने में सरलीकरण न कर दिया जाए तब तक किसी हालत में वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाएं। वर्तमान परिदृश्य में सभी प्रकाशकों को एकता के साथ इसका कड़ा विरोध करने की जरूरत है, अन्यथा छोटे व मझौले अखबारों को बंद करने की योजना सफल हो जायेगी।