ज़ी सिनेमा पर आगामी 26 जून को रात 8 बजे फिल्म अटैक के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ भारत के अब तक के पहले सुपर-सोल्जर से मिलने के लिए तैयार हो जाइए। एक देसी कहानी के साथ इंटरनेशनल लेवल के जबर्दस्त एक्शन के साथ फिल्म ‘अटैक’ में जॉन अब्राहम सुपर-सोल्जर के रूप में नजर आए हैं, जिनके साथ रकुल प्रीत सिंह और जैकलीन फर्नांडिस ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। इस जॉनर को अगले लेवल पर ले जाते हुए जॉन अब्राहम ने फिल्मों के अपने असाधारण चुनावों के बारे में बताया, साथ ही अटैक के निर्माता बनने और एक्शन जॉनर में प्रयोग करने को लेकर भी चर्चा की।
यह फिल्म एक बिल्कुल नए कॉन्सेप्ट पर आधारित है। एक प्रोड्यूसर और एक एक्टर के रूप में किस बात ने आपको यह प्रोजेक्ट करने के लिए प्रेरित किया?
मैं हमेशा भारत में एक्शन को एक नए लेवल पर ले जाना चाहता था और इस फिल्म ने मुझे वो मौका दिया। लेकिन सच कहूं तो यह फिल्म एक्शन नहीं बल्कि एटीट्यूड के बारे में है और हमने इस फिल्म में यही बरकरार रखने की कोशिश की है। एक प्रोड्यूसर के रूप में मैं कॉन्टेंट को लेकर रिस्क लेना चाहता हूं। यदि आप वही करते रहें, जो आप हमेशा करते आ रहे हैं, तो आपको शायद निराशा का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यदि आप कुछ अलग कर रहे हैं और जिसमें असफल होने का जोखिम है, तो कम से कम आपने कुछ अलग तो आजमाया। यदि आप नए जमाने की युद्ध सामग्री देखेंगे, तो अब यह पारंपरिक नहीं रही। इसके मद्देनजर देशभक्ति की अपील को सबसे पहले रखते हुए इस फिल्म को तकनीकी रूप से विकसित किया गया। इस फिल्म की सबसे अच्छी बात यही है कि इसे हर पीढ़ी के लोग देख सकते हैं।
आपने अटैक, बटला हाउस, नो स्मोकिंग जैसी फिल्मों के साथ हमेशा ऐसे प्रोजेक्ट्स किए हैं, जो अलग हैं। फिल्मों का चुनाव करने की आपकी प्रक्रिया किस तरह की होती है?
हमें खुद से पूछना चाहिए कि हमें जिंदगी में क्या चाहिए। आपको प्यार चाहिए या सम्मान? मुझे तो सम्मान चाहिए। और मैं अपने फैसलों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। इसमें हर दिन एक सीखने वाली प्रक्रिया होती है। हर दिन आपके सामने एक चॉइस होती है। या तो आप पूरी तरह से गलत होते हैं या फिर आपका फैसला सर्वोत्तम होता है। आपको अपने मन की बात पर इतना दांव तो लगाना पड़ता है। अब मुझे असफलता का डर नहीं लगता, क्योंकि हमेशा एक दूसरा मौका जरूर होता है। इसलिए मैं ऐसी फिल्में चुनता हूं, जो पूरी तरह अलग हों। यही बात मुझे आगे बढ़ाए रखती है।
आपने ऐसी कई फिल्में की हैं जिनमें देशभक्ति की भावना दिखाई गई है। ऐसे में आपने ऐसी कहानी लिखने का फैसला क्यों किया, जिसमें देश भक्ति में टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है?
टेक्नॉलॉजी और देशभक्ति का कॉम्बिनेशन बड़ा अनोखा और रोमांचक है। जब हम पर्दे इस तरह की इंटरनेशनल फिल्में देखते हैं तो हमेशा बड़ा कूल लगता है। मेरे मन में हमेशा यह विचार आता था आखिर भारत ऐसी फिल्में क्यों नहीं बना सकता? इसलिए अटैक के साथ हमने एक ऐसी फिल्म बनाने की कोशिश की, जो भारत के लिए अनोखी है। हमारा विचार था कि हम एक साइंस फिक्शन एक्शन थ्रिलर फिल्म बनाएं, लेकिन मुझे लगता है इस प्रक्रिया में हमने भारत का पहला सुपर सोल्जर भी बना दिया है। मैं ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनने की कोशिश करता हूं, जो मेरे विचार से दर्शकों को रोमांचित करे, ऐसी फिल्में जो सभी की सोच को चुनौती दे। इसके पीछे एक अच्छी फिल्म बनाने की मंशा भी होती है, जो मुझमें खुशी भी जगाए।
आपने बहुत-सी एक्शन फिल्में भी की हैं, तो ऐसे में आपका पसंदीदा पार्ट कौन सा है?
एक्शन हीरो बनने के लिए आपको एक्शन हीरो की तरह दिखना होता है और आपको उस तरह का शरीर बनाना पड़ता है। मेरा रुझान हमेशा फिटनेस की तरफ रहा है, तो मुझे लगता है कि मैं इस बात को आसानी से समझता हूं। यह मुझमें स्वाभाविक तौर पर आता है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मैं अपनी बाइक पर सबसे ज्यादा खुश रहता हूं। तो कोई भी फिल्म जिसमें बाइक की रफ्तार और स्टंट हो, उसके लिए मैं तुरंत हां कह दूंगा।