विश्व हास्य दिवस - सुखी, सेहतमंद जीवन और लंबी उम्र के लिए हास्य योग कीजिये और अपनी ज़िंदगी को ओर भी बेहतर बनाइये - योग गुरु महेश अग्रवाल


दर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि लगातार कई वर्षो से निशुल्क योग प्रशिक्षण के दौरान हास्य योग को विशेष महत्व दिया जाता है सभी उम्र के लोग सामूहिक हास्य की क्रियायें करते है जिससे सबके चेहरे पर मुस्कान आती है सब खुलकर हँसते है तनाव कम होता है आत्म विश्वास बढ़ता है।दुःख कम करने का सबसे अच्छा इलाज दूसरों को खुश करना। हास्य योग जो आपके शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों को सुदृढ़ बनाता है। विश्व भर में मई  महीने के पहले रविवार को हास्य दिवस मनाया जाता है।

हँसना मानवीय स्वभाव है:—मानव ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसमें हँसने की क्षमता होती है। यह उसका स्वभाव भी है तथा उसके खुशी की अभिव्यक्ति का माध्यम भी। किसी बात पर मुस्कुराना अथवा हँसना किसी को देखकर हँसना, कुछ व्यंग्य सुनकर हँसना, कुछ पढ़कर हँसना, किसी को हँसते हुए देखकर हँसना, किसी से मुस्कुराते हुए मिलना, खुशी के प्रसंगों पर मुस्कुराना मानव व्यवहार की सहज क्रियाएँ हैं।


स्वास्थ्य वर्धक औषधि -जब मुस्कान हँसी में बदल जाती है तो स्वास्थ्यवर्धक औषधि का कार्य करने लगती है। हँसना स्वस्थ शरीर की पहचान है जो मानसिक प्रसन्नता के लिए आवश्यक है। नियमित हँसने से शरीर के सभी अवयव ताकतवर और पुष्ट होते हैं। हास्य तनाव का विरेचन है। सच्चा हास्य तोप के गोले की तरह छूटता है और मायूसी की चट्टान को बिखेर देता है। हास्य से रोम रोम पुलकित होते हैं, दु:खों का विस्मरण होता है, खून में नई चेतना आती है। शरीर में कुछ भाग हास्य ग्रंथियों के प्रति विशेष संवेदनशील होते हैं। हँसी मानसिक रोगों के उपचार का प्रभावशाली माध्यम होता है। खुलकर हँसने से रक्त की गति बढ़ जाती है एवं रक्त परिभ्रमण में आने वाले अवरोधक तत्व दूर होने लगते हैं। श्वसन क्रिया सुधरती है।

ऑक्सीजन का संचार अधिक मात्रा में होने लगता है और दूषित वायु का पूर्ण निष्कासन होता है। शरीर के अधिकांश चेतना केन्द्र जागृत होने लगते हैं। अधिक हँसने वाले बच्चे फुर्तीले एवं अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली होते हैं। १० मिनट हँसने मात्र से इतनी ऊर्जा मिलती है जो साधारणतया लगभग एक किलोमीटर प्रात: स्वच्छ वातावरण में भ्रमण करने से प्राप्त होती है।

योग गुरु अग्रवाल कहते है कि वर्तमान महामारी में लोगों के चेहरे से मुस्कान गायब होती जा रही है | आज के समय में हर व्यक्ति अपने जीवन को हंसी खुँसी बिताना चाहता है लेकिन ज़िंदगी की भाग दौड़ में कही न कही किसी न किसी रूप में वह अपने आप को अकेला महसूस करता है| अपने काम या नौकरी का तनाव या किसी अन्य परेशानी की वजह से लोगो के चेहरे की मुस्कान तक जैसे गायब हो गयी है ।

मनुष्य अपनी सेहत को बनाये रखने के लिए क्या नहीं करता है। हर व्यक्ति अपने - अपने तरीके से सेहत को बनाये रखने के लिए कुछ न कुछ जरूर करते है। कोई नियमित कसरत करता है, कोई जिम जाता है, कोई नियमित घूमने को जाता है। यह सभी क्रियाएँ शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए सही है, परन्तु इन सब प्रक्रियाओ के अलावा भी कुछ ऐसी सामान्य योगासन है, जो हर व्यक्ति कही भी किसी भी वक्त कर सकता है।

हास्य योग की विधि – आम ज़िंदगी में क्रोध, भय, तनाव जैसे नकारात्मक भाव हमारे शरीर पर घातक प्रभाव डालते है। वहीं हास्य योग के जरिए हमारे शरीर में ऐसे रसायनो का स्त्राव होता है, जो स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालते है। यह एक प्रकार के टॉनिक की तरह काम करता है। यह एक आसन है जिसे करने के लिए आपको किसी मुद्रा में बैठने की जरुरत नहीं है। इसे आप पद्मासन, सुखासन, घूमते-फिरते तथा घर या ऑफिस में बैठे हुए भी इसका अभ्यास आसानी से किया जा सकता है। शुरुआत में मंद-मंद मुस्कुराए, फिर धीरे-धीरे खूब ठहाके लगा- लगाकर हाथों को ऊपर उठाकर हसते रहें। शुरू-शुरू में 2 से 3 मिनट तक करें, फिर धीरे-धीरे अपनी सुविधानुसार आप इसे कर सकते है। इसका अभ्यास 8 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक कर सकते है।

हास्य रोग के लाभ -हंसने और हँसाने से मानसिक तनाव तो दूर होता है ही साथ ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है तथा रोगों से लड़ने की हमारी ताकत बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों ने माना है कि जो व्यक्ति जी भर कर हंसता है, वह अधिक जीता है।खुलकर और जोर-जोर से ठहाके लगाने से शरीर में रक्त के संचार की गति बढ़ती है। पाचन तंत्र अधिक सक्रियता से कार्य करता है तथा हँसने के कारण फेफड़ो के रोग भी नहीं होते है, दूषित वायु बहार निकल जाती है। हसने से पसीना अधिक आता है जिससे शरीर की गंदगी बाहर निकल जाती है। हँसना जीवन की नीरसता, अकेलापन, थकान, तनाव और शारीरिक दर्द से भी राहत दिलाता है। यह हमारे लिए एक प्रकार की थेरेपी  है। 

हास्य में बाधक सामाजिक मर्यादाएँ—आज के सभ्य समाज में अकारण हँसने वालों को मूर्ख अथवा पागल समझा जाता है। सामाजिक मर्यादाओं के प्रतिकूल होने से बिना बात हँसने से लज्जा आती है। अत: घर में बच्चों के अलावा अन्य परिजन विशेषकर महिलाओं एवं वृद्धों का, धर्म संघ में संतो का, कार्यालय में पदाधिकारियों एवं नेताओं का समूह में ऐसी हँसी हँसना प्राय: असंभव है।

बिना आवाज हँसी का महत्व—चाहे अकेले में हों, या समूह में, व्यक्ति को हँसना तो स्वयं ही होता है। आलम्बन भले ही सब कार्य बंद कर मन ही मन जितनी लंबी देर एक ही श्वास में हँस सके, बिना आवाज निकाले हँसना चाहिए। जिससे ऐसी हँसी से प्राणायाम का भी लाभ भी स्वत: मिल जाता है। इस प्रकार बार बार पुनरावर्तन कर हँसने से हास्य योग का लाभ मिल जाता है। कोई भी प्रवृत्ति का सर्वमान्य स्पष्ट मापदण्ड नहीं हो सकता। प्रत्येक व्यक्ति को स्वविवेक और स्वयं की क्षमताओं तथा हँसने से होने वाली प्रतिक्रियाओं का सजगता पूर्वक ध्यान रख अपने लिए उपयुक्त और आवश्यक विधियों का चयन करना चाहिए, न कि देखा देखी , सुनी सुनाई पद्धति के आधार पर । प्रदूषण रहित स्वच्छ एवं खुले प्राणवायु वाले वातावरण में प्रात: काल उदित सूर्य के सामने हँसना अपेक्षाकृत अधिक लाभप्रद होता है, क्योंकि हास्य क्रिया के साथ—साथ सौर ऊर्जा एवं आक्सीजन अधिक मात्रा में सहज प्राप्त हो जाते हैं।

हास्य योग हेतु आवश्यक सावधानियाँ:- कभी—कभी किसी को देखकर, उसकी असफलता पर, उसकी बात सुनकर अथवा व्यंग्यात्मक भाषा में हँसते हुए उनका उपहास या मजाक करना क्रूर हास्य होता है। जिससे बैर भाव और द्वेष बढ़ने की संभावना होने से कषाय का कारण बनता है। अत: ऐसी हँसी का निषेध करना चाहिए। अत: हमको कब, क्यों, कहाँ कितना, कैसे हँसने का विवेक आवश्यक होता है। अन्यथा तनाव चिन्ता दूर करने वाली हँसी स्वयं उसको पैदा करने का कारण बन जाती है।

हास्य योग यह एक आसान और सरल सा आसन है, लेकिन अनेक शारीरिक और मानसिक विकारो को दूर करने में सहायक है। इसलिए बिना संकोच किये खूब हंसिए और दुसरो को भी हंसाइए। हसते मुस्कुराते रहना ही सफल ज़िंदगी की असली पहचान है। रोते हुए आते है सब हँसता हुआ जो जायेगा वो मुकद्दर का सिकंदर कहलायेगा।

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