कोका-कोला इंडिया ने 'वर्ल्ड विदाउट वेस्ट' बनाने के अपने विजन पर दिया बल

इस वर्ल्ड रिसाइक्लिंग डे पर और भी मजबूत बनकर उभरा है

Text Box: महत्वरपूर्ण उपलब्धियां जो हासिल की गई हैं: 

कंपनी ने वर्ल्ड विदाउट वेस्ट नामक अपनी वैश्विक पहलों की शुरुआत के बाद से 1,10,000+ एमटी कचरा इकट्ठा किया है

पैकेजिंग एसोसिएशन फॉर क्लीन एनवायरनमेंट (पेस) की सहभागिता के साथ उद्योग के नेतृत्व वाले पीआरओ (पैकेजिंग रिसाइकलिंग ऑर्गनाइजेशन) का परिचालन

देश भर में 100 एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज) का नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है

प्रोजेक्ट पृथ्वी:

मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज और स्वच्छ्ता केंद्रों की स्थापना- संग्रह के तंत्र को मजबूत करना:  

36 शहरों में परिचालन और 4,200+ लाभान्वित अपशिष्ट कामगार

मुंबई के 43 इलाकों में 15,000+ लोगों पर सकारात्मक रूप से असर डालने के लिए डेट विद ओशन के साथ साझेदारी

सपोर्ट माई स्कूल (एसएमएस)

भारत में 10,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम

2 मिलियन स्टू0डेंट्स तक पहुंच

अलग करो – हर दिन तीन बिन प्रोग्राम

42 आवासीय सोसायटीज में स्थित 22,000 घरों, 412 कार्यालयों और 87 रेस्तरां में लागू किया गया

39 स्कूलों में 23,800 छात्रों को कचरा प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया

525 अपशिष्ट कामगार सशक्त हुए, उनकी आजीविका, स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थितियां बेहतर हुईं


एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज) जैसी बुनियादी सुविधाएं स्थापित करने की दिशा में साहस, चिंतन, हसिरुडाला जैसे एनजीओ के साथ प्लास्टिक सर्कुलर इकोनॉमी के निर्माण के लिए बहु-हितधारक साझेदारियां20 मार्च 2021:  वर्ल्ड रिसाइक्लिंग डे पर कोका-कोला इंडिया ने अपशिष्ट प्रबंधन की अपनी एक प्रमुख सस्टेनेबिलिटी प्राथमिकता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता और मजबूत की है। भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के तालमेल में काम करते हुए कंपनी की वैश्विक पहल 'वर्ल्ड विदाउट वेस्ट' ने देश में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसका लक्ष्य चक्रीय प्लास्टिक अर्थव्यवस्था निर्मित करना है। 2030 तक दुनिया को कूड़े से मुक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में बढ़ते हुए कोका-कोला कंपनी ने वर्ल्ड विदाउट वेस्ट (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के तीन प्रमुख रणनीतिक स्तंभों- डिजाइन, कलेक्ट और पार्टनर के मामले में भारत में अहम कार्य किया है।

पुराने ढर्रे पर लगाम लगाते हुए कोका-कोला कंपनी चक्रीय अर्थव्यवस्था तैयार करने के लिए अपशिष्ट इकट्‌ठा करने वालों से लेकर रिसाइकलर्स तक, प्लास्टिक रिसाइक्लिंग मूल्य श्रृंखला के प्रत्येक हिस्से के साथ जुड़ने का इरादा रखती है। बीते बरसों में, कंपनी ने अपशिष्ट संग्रह और रिसाइक्लिंग पर फोकस रखते हुए कई रणनीतिक बहु-हितधारक साझेदारियां शुरू की हैं।

हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड (एचसीसीबीपीएल) ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ साझेदारी में शुरू से लेकर अंतिम सिरे तक प्लास्टिक कचरा प्रबंधन वाले प्रोजेक्ट पृथ्वी की शुरुआत की है, जिस पर भारत के 50 शहरों में काम हो रहा है। इसके अलावा, करो संभव - क्लोजिंग मटेरियल लूप्स के लिए पैकेजिंग एसोसिएशन फॉर क्लीन एनवायरनमेंट (पेस) के साथ साझेदारी में कोका-कोला इंडिया का लक्ष्य एक ऐसी व्यवस्था विकसित करना है, जो समावेशन, आचार संहिता, पारदर्शिता, सुशासन और अपशिष्ट की ट्रेसेबिलिटी मुमकिन बनाती है।

कंपनी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी से वाकिफ है और इसके चलते वह लगातार हल्के पैकेजिंग की रिडिजाइनिंग पर काम कर रही है और अपनी 'वर्ल्ड विदाउट वेस्ट’ पहल के माध्यम से विश्व स्तर पर अभिनव पैकेजिंग समाधान पेश कर रही है।

कोका-कोला में, दुनिया को रिफ्रेश करने और एक फर्क पैदा करने के हमारी कंपनी के उद्देश्य ने पसंदीदा ब्रांड्स तैयार करने और संवहनीय ढंग से व्यवसाय करने में हमारा बेहतरीन मार्गदर्शन किया है। हम अपने सभी प्रयासों में अपने उपभोक्ताओं के साथ पारदर्शी होने की कोशिश करते हैं। हम प्लास्टिक से जुड़ी वैश्विक चिंताओं और मुद्दों के समाधान के लिए लगातार नए अविष्कार और बदलाव करते रहेंगे।

अपशिष्ट तंत्र को मजबूत करने के लिए मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज (एमआरएफ) / स्वच्छता केंद्रों की स्थापना जैसी कई अन्य पहल शुरू की गई हैं। इसके अतिरिक्त, व्यवहार में बदलाव के लिए देश भर में जन आंदोलन चलाए जा रहे हैं, और डेट विद ओशन, सपोर्ट माई स्कूल - मिशन रिसाइक्लिंग प्रोग्राम, अलग करो के साथ साझेदारी को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। अपशिष्ट कामगारों की सामाजिक सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए, कंपनी ने महिला सेवा ट्रस्ट (सेवा) के साथ भागीदारी की है, ताकि अपशिष्

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