जाई कोरोना - कविता
भइया छोड़ि दा रोना-धोना 
लग्गी टीका जाई कोरोना 

जिन भागा चला हाथ बढ़ावा 
टिकवइयन से बोला लगावा 
लगवा के सूई सुनि ल पहिले
अउरी सभन के जा सहकावा

बन्नल तब्बै रही चोना-मोना
लग्गी टीका जाई कोरोना

त रही बहुरिया तूहूं रहबा 
जिउ जवन चाही ऊहै करबा 
न कारन करि-करि केहू रोई 
जिनगी जेतना चाही जियबा

चल्ली ना फेरु केहू क टोना
लग्गी टीका जाई कोरोना 

कहा लगवाके सबसे आके
रहीमा रजुई चुम्मन बाँके 
किछु हेन-तेन न घोखैं सगरी
धउड़ैं जल्दी लगवावैं जाके 

त रीन्हें चाउर अउर निमोना
लग्गी टीका जाई कोरोना

अउर सभन के एक ना जूरल 
हमनी क दुद्दू दुद्दू गो पूरल 
सगर जगत हमनिये से पाई
हमन के हण्डा वैक्सीन चूरल 

बगैर टीका लगल केहू हो ना
लग्गी टीका जाई कोरोना 

सहकावा-उकसाइये 
चोना-मोना - प्यार-मोहब्बत
बहुरिया- पत्नी
हेन-तेन - आनाकानी
रीन्हना- पकाना


डॉ. एम.डी.सिंह
पीरनगर, गाजीपुर (यू.पी.)
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