वैराग्य में रस की अनुभूति, नृत्यों से भर्तृहरि का स्मरण, द्विदिवसीय भर्तृहरि प्रसंग का समापन

उज्जैन। कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित भर्तृहरि प्रसंग की द्वितीय संध्या (रविवार) पर प्रतिभा संगीत एवं कला संस्थान उज्जैन के कलाकारों ने भर्तृहरि के वैराग्य को रसपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करते हुए कलात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।

कार्यक्रम प्रभारी डॉ.संदीप नागर ने बताया कि प्रतिष्ठित नृत्यांगाना इंजी.सुश्री प्रतिभा रघुवंशी ने लोक एवं शास्त्रीयता का सम्मिश्रण करते हुए भर्तृहरि को रंजक रूप में प्रस्तुत किया। नृत्य का प्रारंभ भर्तृहरि के आराधक शिव की स्तुति वंदना से किया गया। तत्पश्चात वैराग्य को आधार बनाकर नृत्य गीत की सुंदर प्रस्तुति कलाकारों ने पेश की।

नृत्य की परिकल्पना पद्मजा रघुवंशी ने की। भर्तृहरि साहित्य पर केन्द्रित इस नृत्य प्रस्तुति को डॉ.विवेक चौरसिया के परामर्श में परिकल्पित किया गया। संगीत एवं गायन का मधुर संयोजन श्रीमती अर्चना तिवारी, श्री अजय-विजय मांगोलिया एवं अरुण कुशवाह ने किया। कार्यक्रम के अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी श्री श्रीपाद जोशी थे। उन्होंने कला को जीवन की आवश्यकता निरुपित किया। उन्होंने प्रतिभा कला संस्थान द्वारा प्रस्तुत की गई नवपरिकल्पना, जो कि लोक एवं शास्त्रीयता से ओत-प्रोत थी, की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कलाकारों का स्वागत श्री श्रीपाद जोशी, कालिदास संस्कृत अकादमी की प्रभारी निदेशक श्रीमती प्रतिभा दवे एवं कार्यक्रम प्रभारी डॉ.नागर ने किया। श्री श्रीपाद जोशी का स्वागत अकादमी की उपनिदेशक डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया व सहायक निदेशक डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री शैलेन्द्र व्यास ने किया। सुधि श्रोताओं ने इस नवपरिकल्पना को खूब सराहा।

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