इंदौर। शासकीय सर सेठ हुकुमचंद हाॅस्पिटल, महारानी रोड, इन्दौर के बाहर लिखा एक वाक्य सभी आने जाने वालों को वरवश आकर्षित करता है- ‘‘बच्चा फेकें नहीं.. हमें दें.. हम पालेंगे’’। छोटे बच्चे का एक पालना टंगा है उसपर अलग से छाया बनाई हुई है और उसके पीछे दीवार पर उक्त वाक्य लिखा है। देखकर सब समझ में आ जाता है। अवांछित नवजात बच्चों को कहीं भी फेक दिया जाता है। आये दिन ऐसी घटनायें प्रकाश में आती रहती हैं कि अमुक जगह कूड़दान में जीवित नवजात बच्चा मिला, जिसे कुत्ते नुकसान पहुंचा रहे थे, उसे किसी तरह बचाया गया। ऐसी घटनाओं को देखते हुए इन्दौर के महिला बालविकास विभाग ने एक योजना निकाली थी कि मुख्य स्थानों व प्रजनन कराने वाले अस्पतालों के बाहर ऐसे पालने लगवाये जायें जिनमें लोग अवांछित बच्चों को छोड़ जायें, जिससे उसे कोई नुकसान न पहुंचे।
सर सेठ हुकुमचंद हाॅस्पिटल के प्रभारी डाॅ. आशुतोष शर्मा ने डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ को एक भेंट में बताया कि उनके हाॅस्पिटल ने इस योजना को महत्व देते हुए मूर्त रूप दिया और इस हाॅस्पिटल के बाहर यह पालना लगवा दिया। डाॅ. शर्मा ने बताया कि उनका चाचा नेहरु चाइल्ड हास्पिटल जो कि एम.वाय हाॅस्पिटल की ही एक शाखा है-से उनका टाईअप है कि ज्यों ही कोई शिशु मिलेगा वे तुरंत इस शिशु रोग चिकित्सालय में पहुंचवा देंगे जिससे उसे उचित उपचार मिल सके तथा महिला बाल विकास विभाग से भी टाईअप है कि वह उस प्राप्त शिशु का लालन पालन करेगा।
इस चिकित्सालय के निकट ही रेलवे स्टेशन और सरवटे बस स्टैण्ड है, इस कारण यह महत्वपूर्ण हो जाता है। पालना इतनी ऊँचाई पर टांगा गया है कि आसनी से कुत्ते आदि की पहुंच से दूर रहे। यह बहुत ही अनुकरणीय और प्रशंसनीय तथा अनूठा कदम है। इस तरह के झूले सभी शहरों के उन अस्पतालों के बाहर लगना चाहिए जहां प्रसव कार्य होते हैं। और इसका प्रचार प्रसार भी होते रहना चाहिए, जिससे किसी अवांछित शिशु को अपनी जान न गंवाना पड़े। डाॅ. शर्मा ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले ही इन्दौर के एम वाय आस्पताल से बच्चा चोरी की घटना हुई थी और चोरी करने वाली महिला उस शिशु को संयोगितागंज थाना के निकट फेक गई थी।
-डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर
22/2, रामगंज, जिन्सी इन्दौर 9826091247
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