- निःसंतानता के आंकडे गंभीर लेकिन उपचार संभव- डॉ. मुर्डिया
उज्जैन। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निःसंतानता विश्वव्यापी समस्या बनकर उभर रही है, दुनियाभर में 48 मीलियन कपल निःसंतानता से प्रभावित हैं। भारत में समस्या अधिक गंभीर है, जागरूकता के अभाव में ज्यादातर की समस्या डायग्नोज नहीं हो पाती है इस कारण वे निःसंतान रह जाते हैं लेकिन ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ तकनीक से मां बना जा सकता है। उज्जैन के सेकेण्ड फ्लोर, कृष्णा प्लाजा, क्षपणक मार्ग, फ्रीगंज में कोरोना महामारी से बचने के पूर्ण सुरक्षा मापदण्डों के साथ आईवीएफ केन्द्र की शुरूआत से दम्पतियों को रियायती दरों में उच्चस्तरीय उपचार मिलेगा। यह ग्रुप का मध्यप्रदेश में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, रतलाम, ग्वालियर के बाद छठा तथा देश में 93 वां सेंटर है।
इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के सीईओ डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा कि भारत में रूरल क्षेत्र के दम्पती अपनी समस्या को लेकर खुलकर बात नहीं करते हैं अगर वे जांच के लिए आगे आएं और उपचार करवाएं तो उन्हें संतान प्राप्ति हो सकती है। यहां महाकाल के दर्शन के लिए देशभर के लोग आते हैं, कई दम्पती रोजगार के लिए यहां बस गये हैं और स्थानीय आबादी में भी कई दम्पती निःसंतान हैं अब उन्हें संतान प्राप्ति के लिए आधुनिकतम उपचार के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
डॉ.मुर्डिया ने बताया कि इन्दिरा आईवीएफ में सफलता के लिए चार “ए”- अफोर्डेबिलिटी, एक्सेसीबिलिटी, अवेयरनेस और एश्योरेंस बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित कर मरीज की समस्या के अनुरूप उपचार प्रक्रिया का निर्धारण किया जाता है। इन्दिरा आईवीएफ में 200 से अधिक फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और 125 से ज्यादा भ्रूण वैज्ञानिकों की देखरेख में सालाना 33000 से अधिक आईवीएफ प्रोसिजर होते हैं जो देश में सर्वाधिक है। पिछले 10 वर्षों में उच्च सफलता दर और 93 सेंटर्स के साथ इन्दिरा आईवीएफ देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन बन गयी है यहां 2200 से अधिक अनुभवी और कुशल स्टाफ सेवाएं दे रहा है ।
सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. मंजू परमार ने बताया कि कोरोना का प्रभाव गर्भवती महिला पर भी उतना ही है जितना दूसरों पर इसलिए चिंतामुक्त होकर आईवीएफ प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है और हमारे सेंटर में कोरोना गाईडलाईन्स को फोलो करते हुए ट्रीटमेंट दिया जाएगा। इन्दिरा आईवीएफ ने आईवीएफ प्रोसिजर में सफलता बढ़ाने के लिए भारत में सर्वप्रथम अत्याधुनिक क्लोज्ड वर्किंग चेम्बर का उपयोग आरम्भ किया इसमें भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपण से पहले ही माँ के गर्भ के समान तापमान व वातावरण मिलता है । साथ ही यहां आईवीएफ प्रक्रिया में दम्पती के सेम्पल दूसरे सेम्पल से मिसमैच नहीं हो इसके लिए इलेक्ट्रोनिक विटनेसिंग सिस्टम शुरू किया गया है इसमें सेम्पल मिसमेच होते ही अलार्म के साथ सिस्टम लॉक हो जाता है, इससे आईवीएफ में पारदर्शिता बढ़ गयी है। निःसंतान दम्पतियों के मार्गदर्शन तथा जागरूकता के उद्देश्य से निःशुल्क निःसंतानता परामर्श 1 नवम्बर से 30 नवम्बर तक इन्दिरा आईवीएफ उज्जैन केन्द्र पर दिया जाएगा।