आज की बात आपके साथ - विजय निगम

  ॐ गं गणपतये नमः।
ॐनम:भगवते वासुदेवाय आदित्याय सुर्याय नम:
  या देवी सर्व भुतेशू शक्तिरूपेण सांस्थिता 
 नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम:
ॐयमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वे नमो नमः.     
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 प्रिय साथियो। 
🌹राम-राम🌹 
🌻 नमस्ते।🌻
 आज की बात आपके साथ मे आप सभी साथीयों का दिनांक 29 नवम्बर 2020 रवि
वार.की प्रातः की बेला में हार्दिक वंदन है अभिनन्दन है।
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आज की बात आपके साथ  अंक मे है 
A. कुछ रोचक समाचार
B.आज के दिन जन्मे.परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया.का जीवन परिचय।
C. आज के दिन   की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
D. आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण    
    व्यक्तित्व
E. आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
F. आज का दिवस का नाम ।
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    (A) कुछ रोचक समाचार(संक्षिप्त)
🌻(A/1)मास्क न लगाने तथा कोरोना संबंधी अन्य सावधानियां न बरतने वाले व्यक्तियो को कुछ समय के लिए 'ओपन जेल' में रखा जाए।🌻
🌻(A/2)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के तीन प्रमुख शहरों अहमदाबाद,पुणे,
हैदराबाद का दौरा कर कोरोन के लिये बनायी जा रही वैक्सीन कोवीशील्ड की तैयारियों का जायजा लेंगे।🌻
🌻(A/3)जन्मदिन विशेष:-अली सरदार जाफ़री क्यों कहते हैं, नवंबर मेरा गहवारा है- ये मेरा महीना है!
अली सरदार जाफ़री क्यों कहते हैं, नवंबर मेरा गहवारा है- ये मेरा महीना है🌻
🌻(A/4) लता मंगेशकर जी का यह राज: कभी आपने जाना हे की जब लता जी 33 साल की थीं तो उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। इस बारे में उन्होंने कभी किसी से बात नहीं की क्योजानिए  अब🌻
🌸🌲🌹💐🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐(A)कुछ रोचक समाचार(विस्तृत)
🌻(A/1)मास्क न लगाने तथा कोरोना संबंधी अन्य सावधानियां न बरतने वाले व्यक्तियो को कुछ समय के लिए 'ओपन जेल' में रखा जाए।🌻 
भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के जिन जिलों में कोरोना संक्रमण अधिक है, वहां क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की सलाह अनुसार वैवाहिक आयोजनों में संख्या संबंधी प्रतिबंध लगाया जाएं, परंतु जिन जिलों में प्रकरण कम हैं, वहां वैवाहिक आयोजनों पर अनावश्यक प्रतिबंध न लगाए जाएं। मास्क न लगाने तथा कोरोना संबंधी अन्य सावधानियां न बरतने पर कुछ समय के लिए 'ओपन जेल' में रखा जाए। जो लोग 'होम आइसोलेशन' में हैं, उनके घर के बाहर सूचना प्रदर्शित की जाए, जिससे वे घर से बाहर न निकलें।
जिन क्षेत्रों में संक्रमण अधिक है, वहां कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं, जिससे संक्रमण आगे न फैले। भोपाल शहर में कोलार, एमपी नगर तथा अशोका गार्डन क्षेत्रों में कुल 05 संक्रमण क्षेत्र बनाए गए हैं। इन क्षेत्रों में विशेष सावधानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
होम आइसोलेशन की कड़ी निगरानी हो
जो मरीज 'होम आइसोलेशन' में हैं, उनकी कमाण्ड एंड कंट्रोल सेंटर्स के माध्यम से कड़ी निगरानी की जाए। आवश्यक होने पर तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाए। वे घर से बाहर न निकलें, इस पर सख्त पाबंदी की जाए। प्रदेश में कोरोना के कुल मरीजों में 62 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में हैं।
91.1 प्रतिशत रिकवरी रेट
प्रदेश में कोरोना की रिकवरी रेट 91.1 प्रतिशत है, पॉजिटिविटी रेट 5.5 प्रतिशत है तथा मृत्यु दर 1.6 प्रतिशत है। कोरोना के एक्टिव प्रकरणों की संख्या 14 हजार 677 है तथा प्रदेश में प्रति 10 लाख व्यक्ति कोरोना टेस्ट की संख्या 42 हजार 889 है। सागर में मृत्यु दर अधिक होने पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वहां के प्रभारी अधिकारी विशेष चिकित्सकों की टीम लेकर सागर जाएं। वहां मृत्यु दर हर हालत में कम होनी चाहिए।
बुरहानपुर में कोई नया प्रकरण नहीं, केस स्टडी करें
बुरहानपुर जिले में घनी आबादी होने के बावजूद कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है। शुरूआत में जहां बुरहानपुर में बड़ी संख्या में कोरोना के प्रकरण आ रहे थे, वहीं आज जिले में कोई भी नया प्रकरण नहीं आया है तथा कोरोना लगभग समाप्ति की स्थिति में है। बुरहानपुर जिले की केस स्टडी करें तथा अन्य जिलों में भी ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिये प्रयास करें ।
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🌺(A/2)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के तीन प्रमुख शहरों अहमदाबाद,पुणे,हैदराबाद का दौरा कर कोरोन के लिये बनायी जा रही वैक्सीन कोवीशील्ड की तैयारियों का जायजा लिया।🌺
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल देश के तीन प्रमुख शहरों का दौरा किया। सबसे पहले अहमदाबाद जायडस बायोटेक कैंपस पहुंचेगे और जायकोव.डी वैक्सीन के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। वहां से पीएम मोदी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया पुणे के लिए रवाना होंगे। पुणे पहुंचने के बाद पीएम कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की तैयारियों का जायजा लेंगे। पीएम वहां लगभग एक घंटे तक रुकेंगे। इसके बाद भारत बायोटेक कंपनी हैदराबाद पहुंचकर कोवैक्सीन के निर्माण के बारे जरूरी जानकारी हासिल करेंगे। जानकारी के मुताबिक पीएम के साथ कई देशों के राजदूत भी पुणे में वैक्सीन प्रोग्राम को देखने लिए पीएम के साथ मौजूद होंगे। पुणे के विभागीय आयुक्त सौरभ राव ने कहा है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए एसपीजी की टीम पुणे पहुंच गई है।
आपको बता दें कि दुनियाभर में कोविड-19 वैक्सीन को लेकर शोध का काम चरम पर है। कई देशों में कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण जारी है। भारत में भी कोरोना के टीके का परीक्षण अंतिम चरण में है। पीएम नरेंद्र मोदी ने यह जानकारी 8 राज्यों के सीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में दी थी। पीएम ने मंगलवार को कहा था कि वैक्सीन का काम आखिरी चरण में पहुंच चुका है। वैक्सीन की डोज की मात्रा तय नहीं हुई है और न ही वैक्सीन की कीमत को लेकर कोई जानकारी है।
🌻🌸🌲🌹💐🌻🌹💐💐🌻🏵️(A/3)जन्मदिन विशेष:-अली सरदार जाफ़री क्यों कहते हैं, नवंबर मेरा गहवारा है- ये मेरा महीना है!🏵️
अली सरदार जाफ़री क्यों कहते हैं, नवंबर मेरा गहवारा है- ये मेरा महीना है
मैं सोता हूं और जागता हूं
और जागकर फिर सो जाता हूं
सदियों का पुराना खेल हूं मैं
मैं मर के अमर हो जाता हूं…
ये कहने वाले अली सरदार जाफ़री 29 नवंबर साल 1913 में यूपी के बलरामपुर में पैदा हुए. साल 2000 के अगस्त के पहले रोज़ यानी पहली अगस्त को उनका इंतक़ाल हुआ. उन्होंने ‘परवाज़’, ‘जम्हूर’, ‘नई दुनिया को सलाम’, ‘अमन का सितारा’, ‘एशिया जाग उठा’ जैसे मशहूर दीवान लिखे. ‘लखनऊ की पांच रातें’ जैसी लोकप्रिय किताब लिखने वाले जाफ़री का नाम ‘मेरा सफ़र’ के लिए खास तौर पर लिया जाता है. कई मक़बूल पुरस्कारों से सम्मानित जाफ़री को साल 1997 में भारतीय ज्ञानपीठ अवार्ड मिला. कोई 50 साल के अदबी सफ़र में उन्होंने कबीर, मीर, ग़ालिब और मीरा की रचनाओं के प्रामाणिक चयन भी तैयार किए. ‘कहकशां’ नाम के टीवी प्रोग्राम के जरिए जाफ़री ने फ़ैज़, फ़िराक, जोश, मजाज़, हसरत मोहानी, मखदूम और जिगर मुरादाबादी को एक नए अंदाज में रूबरू कराया.
नवंबर, मेरा गहवारा
खोल आंख, ज़मीं देख, फ़लक देख, फ़ज़ा देख
नवंबर, मेरा गहवारा है, ये मेरा महीना है
इसी माहे-मुनव्वर में
मिरी आंखों ने पहली बार सूरज की सुनहरी रौशनी देखी
मिरे कानों में पहली बार इंसानी सदा आयी
मिरे तारे-नफ़स में जुम्बिशे-बादे-सबा आयी
मशामे-रूह में
मिट्टी की ख़ुशबू फूल बनकर मुस्कुरा उट्ठी
लहू ने गीत गाया
शामे-हस्ती जगमगा उट्ठी
यह लम्हा-लम्हःए-मिलादे-आदम था
मैं सत्तर साल पहले इस तमाशगाहे़-आलम में
इक आफ़ाक़ी खिलौना था
हवा के हाथ सहलाते थे मेरे नर्म बालों को
मिरी आंखों में रातें नींद का काजल लगाती थीं
सहर की पहली किरनें चूमती थीं मेरी पलकों को
मुझे चांद और तारे मुस्कुराकर देखते थे
मौसमों की ग़र्दिशें झूला झुलाती थीं
भरी बरसात में बारिश के छींटे
गर्मियों में लू के झोंके
मुझसे मिलने के लिए आते
वो कहते थे हमारे साथ आओ
चल के खेलें बाग़ो-सहरा
मिरी मां अपने आंचल में छुपा लेती थी नन्हे से खिलौनों को
मिरी हैरत की आंखें
उस महब्बत से भरे चेहरे को तकती थीं
जिस आईने में पहली बार मैंने
अपना चेहरा आप देखा था
वो चेहरा क्या था
सूरज था, ख़ुदा था या पयम्बर था
वो चेहरा जिससे बढ़कर ख़ूबसूरत
कोई चेहरा हो नहीं सकता
कि वो इक मां का चेहरा था
जो अपने दिल के ख़्वाबों, प्यार की किरनों से रौशन था
वो पाकीज़ा मुक़द्दस सीनःए-ज़र्रीं
वह उसमें दूध की नहरें
वह मौज़े-कौसरो-तसनीम थी
या शहदो-शबनम थीं
उन्हीं की चन्द बूंदें सिह-हर्फ़ो-जादुए-लफ़्ज़ो-बयां बनकर
मिरे होंटों से खुशबू-ए-ज़बां बनकर
सरे-लौहो-क़लम आती हैं तो शमशीर की सूरत चमकती हैं
हसीनों के लिए वह ग़ाज़ःए-रुख़सारो-आरिज़ हैं
खनकती चूड़ियों, बजती हुई पायल को इक आहंग देती है
ज़मीं की गर्दिशों, तारीख़ की आवाज़े-पा में ढलती जाती है
जो अब मेरी ज़बां है
मेरे बचपन में वह मेरी मां की लोरी थी
यह लोरी इक अमानत है
मेरा हर शे’र अब इसकी हिफ़ाज़त की ज़मानत है
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🌻(A/4) लता मंगेशकर जी का यह राज: कभी आपने जाना हे की जब लता जी 33 साल की थीं तो उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। इस बारे में उन्होंने कभी किसी से बात नहीं की क्योजानिए  अब🌻
नई दिल्ली: स्वर कोकिला कही जाने वालीं लता मंगेशकर की आवाज का जादू आज भी कायम है। उनकी आवाज के दुनियाभर में करोड़ों दीवाने हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जब वह 33 साल की थीं तो उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। इस बारे में उन्होंने कभी बात नहीं की। लेकिन हाल ही में लता मंगेशकर ने इसकी सच्चाई मिडिया को बताई।
 🌻इस विषय पर परिवार  में कोई 
  नहीं करता कोई बात🌻
लता जी ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में कहा, हमारे परिवार में इस बारे में कोई बात नहीं करता है। यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। ये साल 1963 की बात है। मुझे इतनी ज्यादा कमजोरी हो गई थी कि मैं बेड से नहीं उठ पाती थी। खुद से चल फिर भी नहीं सकती थी। उस वक्त ऐसी भी कई खबरें आई थीं कि जहर देने के बाद लता जी की आवाज चली गई थी। डॉक्टर ने उन्हें कह दिया था कि वह दोबारा कभी गा नहीं पाएंगी। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है। यह एक काल्पनिक कहानी है। डॉक्टर्स ने मुझे ऐसा नहीं कहा था कि मैं नहीं गा पाऊंगी। हमारे फैमिली आर. पी कपूर ने तो मुझसे यह तक कहा था कि वे मुझे खड़ी करके रहेंगे। लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि पिछले कुछ सालों में यह गलतफहमी हुई है। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी।"
लता जी आगे कहती हैं, "इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मुझे धीमा जहर दिया गया था। डॉ. कपूर का ट्रीटमेंट और मेरा दृढ़ संकल्प मुझे वापस ले आया। तीन महीने तक बेड पर रहने के बाद मैं फिर से रिकॉर्ड करने लायक हो गई थी।" ठीक होने के बाद लता जी ने ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ गाना गाया था। यह गाना काफी हिट हुआ था। इस गाने को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।
         🌺किसने दिया जहर?🌺
इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का पता चला था कि जहर किसने दिया था? इसपर उन्होंने कहा, "जी हां, मुझे पता चल गया था। लेकिन हमने कोई एक्शन नहीं लिया। क्योंकि हमारे पास उस इंसान के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही था।
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  (B)आज के दिन जन्मे.परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया.का जीवन परिचय।
                    जीवन परिचय  लेख. 
पूरा नाम:- कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया
जन्म:' 29 नवम्बर, 1935 
जन्मभूमि:- गुरदासपुर, पंजाब
शहादत;- 5 दिसम्बर, 1961 (आयु- 26 वर्ष)
स्थान :-एलिजाबेथ विला, कांगो 
सेना:- भारतीय थल सेना 
रैंक:- कैप्टन यूनिट 3/1 गोरखा राइफ़ल 
सेवाकाल;- 1957–1961 
विद्यालय:- किंग जार्ज रॉयल मिलिट्री कॉलेज, बैंगलोर सम्मान:- परमवीर चक्र 
नागरिकता:- भारतीय 
अन्य जानकारी:- संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के साथ कांगो के पक्ष में बेल्जियम के विरुद्ध बहादुरी पूर्वक प्राण न्योछावर करने वाले योद्धाओं में कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया का नाम लिया जाता है। 
       कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया 
, जन्म: 29 नवम्बर, 1935; शहादत: 5 दिसम्बर, 1961) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक थे। इन्हें यह सम्मान सन 1961 में मरणोपरांत मिला। संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के साथ कांगो के पक्ष में बेल्जियम के विरुद्ध बहादुरी पूर्वक प्राण न्योछावर करने वाले योद्धाओं में कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया का नाम लिया जाता है जिन्हें 5 दिसम्बर 1961 को एलिजाबेथ विला में लड़ते हुए अद्भुत पराक्रम दिखाने के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया। वह उस समय केवल 26 वर्ष के थे। जीवन परिचय गुरबचन सिंह का जन्म 29 नवम्बर 1935 को शकरगढ़ के जनवल गाँव में हुआ था। यह स्थान अब पाकिस्तान में है। इनके पिता भी फौजी थे और ब्रिटिश-इंडियन आर्मी के डोगरा स्क्वेड्रन, हडसन हाउस में नियुक्त थे। इनकी माँ एक साहसी महिला थीं तथा बहुत सुचारू रूप से गृहस्थी चलाते हुए बच्चों का भविष्य बनाने में लगी रहती थीं। पिता के बहादुरी के किस्सों ने गुरबचन सिंह को भी फौजी जिंदगी के प्रति आकृष्ट किया। इसी आकर्षण के कारण गुरबचन ने 1946 में बैंगलोर के किंग जार्ज रॉयल मिलिट्री कॉलेज में प्रवेश लिया। अगस्त 1947 में उनका स्थानांतरण उसी कॉलेज की जालंधर शाखा में हो गया। 1953 में वह नैशनल डिफेंस अकेडमी में पहुँच गये और वहाँ से पास होकर कारपोरल रैंक लेकर सेना में आ गए। वहाँ भी उन्होंने अपनी छवि वैसी ही बनाई जैसी स्कूल में थी यानी आत्म सम्मान के प्रति बेहद सचेत सैनिक माने गए। एक बार इन्हें एक छात्र ने तंग करने की कोशिश की। वह एक तगड़ा सा दिखने वाला लड़का था लेकिन इसी बात पर गुरबचन सिंह ने उसे बॉक्सिंग के लिए चुनौती दे डाली। मुकाबला तय हो गया। सबको यही लग रहा था कि गुरबचन सिंह हार जायेंगे, लेकिन रिंग के अंदर उतरकर जिस मुस्तैदी से गुरबचन सिंह ने मुक्कों की बरसात की, उसके आगे वह कुशल प्रतिद्वंद्वी भी ठहर नहीं पाया और जीत गुरबचन सिंह की हुई। एक बार एक बेचारा लड़का कुएँ में गिर गया, गुरबचन सिंह वहीं थे। उन्हें बच्चे पर तरस आया और वह उसे बचाने को कुएँ में कूदने को तैयार हो गये, जब कि उन्हें खुद भी तैरना नहीं आता था। खैर उनके साथियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया।
     🌻भारतीय सेना में योगदान🌻
 3/1 गोरखा राइफल्स के कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया को संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रतिनिधि के रूप में एलिजाबेथ विला में दायित्व सौंपा गया था। 24 नवम्बर 1961 को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने यह प्रस्ताव पास किया था कि संयुक्त राष्ट्र की सेना कांगो के पक्ष में हस्तक्षेप करे और आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग करके भी विदेशी व्यवसायियों पर अंकुश लगाए। संयुक्त राष्ट्र के इस निर्णय से शोम्बे के व्यापारी आदि भड़क उठे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं के मार्ग में बाधा डालने का उपक्रम शुरु कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के दो वरिष्ठ अधिकारी उनके केंद्र में आ गये। उन्हें पीटा गया। 3/1 गोरखा राइफल्स के मेजर अजीत सिंह को भी उन्होंने पकड़ लिया था और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी थी। इन विदेशी व्यापारियों का मंसूबा यह था कि वह एलिजाबेथ विला के मोड़ से आगे का सारा संवाद तंत्र तथा रास्ता काट देंगे और फिर संयुक्त राष्ट्र की सैन्य टुकड़ियों से निपटेंगे। 5 दिसम्बर 1961 को एलिजाबेथ विला के रास्ते इस तरह बाधित कर दिये गए थे कि संयुक्त राष्ट्र के सैन्य दलों का आगे जाना एकदम असम्भव हो गया था। क़रीब 9 बजे 3/1 गोरखा राइफल्स को यह आदेश दिये गए कि वह एयरपोर्ट के पास के एलिजाबेथ विला के गोल चक्कर का रास्ता साफ करे। इस रास्ते पर विरोधियों के क़रीब डेढ़ सौ सशस्त्र पुलिस वाले रास्ते को रोकते हुए तैनात थे। योजना यह बनी कि 3/1 गोरखा राइफल्स की चार्ली कम्पनी आयरिश टैंक के दस्ते के साथ अवरोधकों पर हमला करेगी। इस कम्पनी की अगुवाई मेजर गोविन्द शर्मा कर रहे थे। कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया एयरपोर्ट साइट से आयारिश टैंक दस्तें के साथ धावा बोलेंगे इस तरह अवरोधकों को पीछे हटकर हमला करने का मौका न मिल सकेगा। कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया की ए कम्पनी के कुछ जवान रिजर्व में रखे जाएँगे। गुरबचन सिंह सालारिया न इस कार्यवाही के लिए दोपहर का समय तय किया, जिस समय उन सशस्त्र पुलिसबालों को हमले की ज़रा भी उम्मीद न हो। गोविन्द शर्मा तथा गुरबचन सिंह दोनों के बीच इस योजना पर सहमति बन गई।
               🌻शहादत 🌻
कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया 5 दिसम्बर 1961 को एलिजाबेथ विला के गोल चक्कर पर दोपहर की ताक में बैठे थे कि उन्हें हमला करके उस सशस्त्र पुलिसवालों के व्यूह को तोड़ना है, ताकि फोजें आगे बढ़ सकें। इस बीच गुरबचन सिंह सालारिया अपनी टुकड़ी के साथ अपने तयशुदा ठिकाने पर पहुँचने में कामयाब हो गई। उन्होंने ठीक समय पर अपनी रॉकेट लांचन टीम की मदद से रॉकेट दाग कर दुश्मन की दोनों सशस्त्र कारें नष्ट कर दीं। यही ठीक समय था जब वह सशस्त्र पुलिस के सिपाहियों को तितर-बितर कर सकते थे। उन्हें लगा कि देर करने से फिर से संगठित होने का मौका मिल जाएगा। ऐसी नौबत न आने देने के लिए कमर तुरंत कस ली। उनके पास केवल सोलह सैनिक थे, जबकि सामने दुश्मन के सौ जवान थे। फिर भी, वह परवाह किए वह और उनका दल दुश्मन पर टूट पड़े। आमने-सामने मुठभेड़ होने लगी जिसमें गोरखा पलटन की खुखरी ने तहलका मचाना शुरू कर दिया। दुश्मन के सौ में से चालीस जवान वहीं ढेर हो गए लेकिन दुश्मन के बीच खलबली मच गई। और वह बौखला उठा तभी गुरबचन सिंह एक के दाब एक दो गोलियों का निशाना बन गए।
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   🌹(C)आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ🌺
1516 - फ्रांस और स्विट्जरलैंड ने फ्रेईबर्ग के शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया।
1759 - दिल्ली के बादशाह आलमगीर द्वितीय की हत्या।
1775 - सर जेम्स जे ने अदृश्य स्याही का अविष्कार किया।
1830 - पोलैंड में रूस के शासन के खिलाफ नवंबर विद्रोह शुरु हुआ।
1870 - ब्रिटेन में आवश्यक शिक्षा कानून लागू हुआ।
1889 - बेंगळूरू के लालबाग़ गार्डन में 'ग्लास हाउस' की आधारशिला रखी गई।
1916 - अमेरिका ने डोमिनिकन रिपब्लिक में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की।
1944 - अलबानिया को नाजी कब्जे से छुड़ाया गया।
1947 - भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन होने पर निज़ाम ने भारत में शामिल होने की अपेक्षा स्वतंत्र रहना चाहा।
1949 - पूर्वी जर्मनी में यूरेनियम खदान में विस्फोट से 3700 लोग मरे।
1961 - दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन भारत आये।
1970 - हरियाणा सौ फीसदी ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य पाने वाला पहला भारतीय राज्य बना।
1987 - कोरियाई विमान फ्लाइट 858 में थाईलैंड-म्यांमार की सीमा के पास विस्फोट में 115 लोगों की मौत।
1989 - तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने इस्तीफा दिया।
1998 - कर्नल कुरु बातासयाल के नेतृत्व में भारतीय सैन्य दस्ते ने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सेना यूनीफ़िष में नार्वे के दस्ते का स्थान ग्रहण किया।
1999 - महाराष्ट्र के नारायण गाँव में विश्व का सबसे बड़ा मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप खुला।
2001 - अफ़ग़ान गुट अंतरिम परिषद पर राजी हुए।
2004 - आसियान देशों ने चीन के साथ व्यापार के समझौते को अंतिम रूप प्रदान किया।
2005 - तक बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
2005 -शिवराज सिंह चौहान - मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन।
2006 - पाकिस्तान ने मध्यम दूरी वाले मिसाइल 'हत्फ़-4', जिसे शाहीन-I भी कहा जाता है, का सफल परीक्षण किया।
2007 - जनरल अशरफ़ परवेज कियानी ने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख की कमान सम्भाली। परवेज मुशर्रफ़ ने असैनिक राष्ट्रपति के रूप में अगले पाँच वर्ष के लिए शपथ ग्रहण की।
2008 - 60 घंटे आपरेशन के बाद कमांडो ने मुम्बई को आतंकियों से मुक्त कराया। भारतीय मुक्केबाज़ मैरीकॉम ने पाँचवी महिला एआईबीए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीती।
2012 - संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलीस्तीन को गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा दिया।
🌸🌲🌹💐🌱🌸🌸🌲🌹💐(D)आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
1869 - ठक्कर बाप्पा - अपने सेवा‌ कार्यों के लिये प्रसिद्ध 
1913 - अली सरदार जाफ़री, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध शायर।
1935 - गुरबचन सिंह सालारिया, परमवीर चक्र से सम्मानित।
🌻💐🌹💐🌲🌱🌸🌸🌲🌹 (E)आज के दिन निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
1759 - आलमगीर द्वितीय - 16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया।
1909 - प्रसिद्ध बंगला इतिहासकार रोमेश चन्द्र दत्त। 
1993 - जे. आर. डी. टाटा - आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है।
 2002 - ओंकारनाथ श्रीवास्तव - कवि एवं समाचार प्रसारक
2008 - छबीलदास मेहता - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा गुजरात के नौंवे मुख्यमंत्री थे।
2015 - ओटो न्यूमैन - अमेरिकी समाजशास्त्री और शिक्षाविद।
🌲🌱🌸🌱🌸🌲🌹💐💐🌻        
           (F) आज का दिवस का नाम
1- ठक्कर बाप्पा - अपने सेवा‌ कार्यों के लिये प्रसिद्ध थे का जयंती दिवस ।
2 अली सरदार जाफ़री, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध शायर थे का जयंती दिवस।
3 गुरबचन सिंह सालारिया, परमवीर चक्र से सम्मानित थे का जयंती दिवस।
4- आलमगीर द्वितीय - 16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया थाआज उनका पुण्यतिथि दिवस 
5-प्रसिद्ध बंगला इतिहासकार रोमेश चन्द्र दत्त थे उनका पुण्यतिथि दिवस।
6 जे. आर. डी. टाटा - आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है।उनका पुण्यतिथि दिवस।
 2002 - ओंकारनाथ श्रीवास्तव - कवि एवं समाचार प्रसारक थे उनका पुण्यतिथि दिवस।
🌻🌲🌱🌸🌸🌲🌹💐💐🌹   
आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना ही।कल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।
      आज जन्म लिये  सभी  व्यक्तियोंको आज के दिन की बधाई। आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई।  बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप सभी को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।
💐।जय चित्रांश।💐
💐जयमहाकाल,बोले सोनिहाल💐
💐।जय हिंद जय भारत💐
💐  निवेदक;-💐
💐 चित्रांश ;-विजय निगम।💐


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