उज्जैन। प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अनिता भिलवार ने बताया कि प्रतिवर्ष 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस (तीव्र श्वसन रोग) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में निमोनिया बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
निमोनिया (तीव्र श्वसन रोग) शिशु को होने वाली एक प्रमुख बीमारी है। शिशु को खांसी, बुखार या तेज सांस चल रही हो और उसकी छाती में अन्दर की और धंसाव हो, यह निमोनिया का गंभीर लक्षण है। उपरोक्त लक्षण पाये जाने पर उसे तुरन्त ही अस्पताल मे भर्ती करवाना आवश्यक है।
• शिशु को गर्म रखें एवं हवा से बचायें।
• शिशु की नाक बंद हो और इससे उसे दूध पीने में परेशानी हो रही हो तो, साफ करें।
• थोड़ी-थोड़ी देर में और हर बार अधिक समय तक दूध पिलाएं। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान ही करायें।
• खांसी या जुकाम के दौरान शिशु को सामान्य आहार देना जारी रखें। ऐसा करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे शिशु कुपोषित नहीं होगा और उसे शीघ्र स्वस्थ होने में मदद मिलेगी।
• यदि शिशु सामान्य मात्रा में भोजन न खा पा रहा हो, तो उसका भोजन थोडी-थोड़ी मात्रा में बांटकर थोड़ी-थोड़ी देर के बाद खिलायें।
• शिशु को अधिक गाढ़ा भोजन, जैसे खिचड़ी, दलिया, सूजी या दूध-चावल, और इडली इत्यादि भी दिया जा सकता है।
• अतिरिक्त उर्जा के लिए भोजन में थोड़ा घी/तेल भी मिलायें।
• बीमारी के बाद, शिशु को कम से कम एक सप्ताह तक एक अतिरिक्त भोजन दिया जाना चाहिए ताकि वह शीघ्र स्वस्थ हो सके।
• तरल पदार्थ अधिक मात्रा में पिलाएं।
• अतिरिक्त तरल पदार्थ (जितना शिशु ले सके) दें जैसे- पतली दाल, सब्जियों का सूप, साफ सादा पानी या स्थानीय स्तर पर उपलब्ध अन्य पेय पदार्थ।
• हमेशा कटोरी और चम्मच से दूध पिलाएं। बोतल का प्रयोग भी न करें।
• छह माह से अधिक आयु के बच्चों के गले को आराम देने और खांसी शांत करने के लिये सौफ, इलायची, अदरक की चाय का प्रयोग किया जा सकता है।
शिशु को यदि खांसी या बुखार तीन दिनों से ज्यादा समय तक रहे तो उसे निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाएं। जिले की समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में उपचार निःशुल्क उपलब्ध है।