सफलता की कहानी - कोरोना से कैसे लड़े ये हमें गांवों से सिखना चाहिये

  • कोरोना संकट से लड़ने में ग्रामीणों और सरपंचों ने निभाई विशेष भूमिका

  • प्रवासी मजदूरों को वापस लौटने पर ग्राम पंचायतों में मिला रोजगार

  • राशन से लेकर हर जरूरी सामान उपलब्ध करवाया गया



उज्जैन। कोरोना संकट के चलते काफी तादाद में प्रदेश के प्रवासी मजदूर हाल ही में कुछ महीनों में अपने-अपने गांवों में लौटे हैं। इस महामारी के चलते बेरोजगार हुए मजदूरों को ग्राम पंचायतों द्वारा रोजगार के बेहतर अवसर प्रदाय किये जा रहे हैं। साथ ही राशन व पेयजल से लेकर हर जरूरी सामान श्रमिकों को समय-समय पर उपलब्ध करवाया गया है। शासन द्वारा श्रमिकों के लिये चलाई गई संबल योजना पुन: प्रारम्भ की गई है। हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सरपंचों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा की।


 उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के खिलाफ जंग में प्रदेश के ग्रामीणजनों और सरपंचों ने विशेष भूमिका निभाई है। इस कारण एक ओर जहां ग्रामीण अंचलों में कोरोना संक्रमण के बारे में काफी जागरूकता आई है, वहीं पंचायत स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों में मिलने वाले काम से हमारे श्रमिक ‘आत्मनिर्भर’ बन रहे हैं।


 महिदपुर तहसील की ग्राम पंचायत धुलेट के सरपंच महेश शर्मा ने बताया कि उनके पंचायत क्षेत्र में आये प्रवासी मजदूरों के लिये शुरू के 10 से 15 दिनों तक भोजन की व्यवस्था पंचायत स्तर से की गई। साथ ही उन्हें राशन भी उपलब्ध करवाया गया। जब प्रवासी मजदूरों ने गांव में ही रोजगार के लिये आवेदन दिया तो मनरेगा के अन्तर्गत किये जाने वाले विभिन्न निर्माण कार्य जैसे कूप निर्माण, खेत सड़क निर्माण आदि में उन्हें काम दिया गया।


 सरपंच श्री शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता काफी बढ़ी है। इसी कारण अभी तक उनके पंचायत क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का एक भी प्रकरण सामने नहीं आया है।


 घट्टिया तहसील की ग्राम पंचायत अमरपुर के सरपंच श्री महेन्द्रसिंह ने बताया कि उनकी पंचायत क्षेत्र में रहने वाले कई मजदूर मुम्बई और सूरत रोजगार की तलाश में गये थे। कोरोना संकट के कारण जब वे वापस लौटे तो काफी दु:खी थे। उनके चेहरे पर चिन्ता की लकीरें व आंखों में आने वाले भयावह कल का खौफ साफ झलक रहा था। वजह साफ थी कि इस संकट के कारण लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ श्रमिकों की रोजी-रोटी पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे।


 सरपंच श्री महेन्द्रसिंह ने बताया कि सबसे पहले बाहर से आये श्रमिकों को एहतियातन 10 से 15 दिनों के लिये घरों और पंचायत भवनों तथा सामुदायिक भवनों में क्वारेंटाईन किया गया, ताकि यदि कोई भी कोरोना संक्रमित हो तो यह रोग फैल ना सके। इसके बाद पूरे गांव की एक-एक गली को सेनीटाइज किया गया। मजदूरों को खेत सड़क निर्माण और कूप निर्माण में संलग्न कर रोजगार दिया गया। श्रमिकों के बच्चों और वृद्ध माता-पिता को ग्राम पंचायत की ओर से नि:शुल्क भोजन और अनाज वितरित किया गया। गांव की जनता ने भी श्रमिकों की सहायता के लिये बढ़-चढ़कर सहयोग किया।


 इस दौरान सभी ने सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। शायद यही वजह है कि आज दिनांक तक उनकी ग्राम पंचायत में कोरोना का एक भी पॉजीटिव केस नहीं आया है। जनता की सूझबूझ और सतर्कता की वजह से ही ग्राम पंचायत अमरपुर अभी तक कोरोना से अनछुई रह सकी।


 ग्राम पंचायत हामूखेड़ी के सरपंच जयसिंह दांगी ने बताया कि उनके गांव में हर घर में मास्क और सेनीटाइजर मिलेंगे। पंचायत द्वारा ऐसा एक भी घर नहीं छोड़ा गया, जहां मास्क और सेनीटाइजर वितरित न किये गये हों। साथ ही लोगों को इनके महत्व और उपयोग के बारे में बताया गया। जनता ने भी जिम्मेदार नागरिक की तरह समय-समय पर दिये गये सभी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया। सरपंच श्री दांगी ने बताया कि गांव के मन्दिर में प्रतिदिन माइक से कोरोना संक्रमण से बचाव के सम्बन्ध में घोषणा की जाती है तथा सभी लोगों को अपडेट किया जाता है।


 दूसरे स्थानों से आने वाले लोगों के बारे में तत्काल ग्रामीणजन सरपंच को सूचना देते हैं। यदि कोई ग्रामीणों के सगे-सम्बन्धी हों तो उन्हें कुछ दिन क्वारेंटाईन में रखा जाता है। वहीं किसी भी अपरिचित व्यक्ति को कोरोना संकट के चलते गांव की सीमा में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणजनों द्वारा समय-समय पर स्वत: ही चिकित्सकों से अपना रूटिन चेकअप भी कराया जाता है। हमारी ग्रामीण संस्कृति में अक्सर पहले शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों में बहुत भीड़भाड़ होती थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते अब ग्रामीणजनों ने विवाह और मृत्युभोज जैसे कार्यक्रमों में भी लोगों की संख्या में शासन के निर्देश अनुसार कटौती की है। हाल ही में उनके पंचायत क्षेत्र में हुई एक शादी में मात्र 10 लोग ही सम्मिलित हुए। पूरे विवाह कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा गया।


 सरपंच श्री दांगी ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद दिया कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिये ग्राम पंचायत स्तर पर कई हितग्राहीमूलक योजनाएं प्रारम्भ की, जिससे महामारी के इस संकट में भी मजदूरों की रोजी-रोटी की व्यवस्था हो सकी और उन्हें अपने गांव में ही रोजगार के अवसर मिल सके। इसके अलावा कोरोना संकट से जूझने की ग्रामीणों की कला भी वाकई काबिले तारीफ है। इस संकट से लड़ने में हमें इनसे काफी सीख लेनी चाहिये। कोरोना संकट से लड़ने में ग्रामीण क्षेत्र शहरों, यहां तक की महानगरों के लिये भी मिसाल बन रहे हैं।


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