संत श्री लिखमीदासजी की जयंती 5 जुलाई को मनाई जाएगी


      5 जुलाई रविवार को प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि श्री लिखमीदास जी महाराज की 271 वी जयंती इस वर्ष 5 जुलाई 2020 रविवार, आषाढ़ सुदी गुरु पूर्णिमा को देश-विदेश में धूमधाम से मनाई जावेगी।
       इस हेतु भारत सरकार एवं राज्य सरकार के नियमो की पालना करते हुए, हम सभी संत शिरोमणि की जयंती श्रद्धा पूर्वक मना कर, आशीर्वाद प्राप्त कर  अपने आप को धन्य करे। सरकारी आदेशों की पालना करते हुए हम सभी संत शिरोमणि लिखमीदास जी महाराज की जयंती अपने घरों पर रहकर उनके चित्र पर फूलमाला,.प्रसाद ,अगरबत्ती ,दीपक लगाकर 'भजन कर परमपिता से प्रार्थना करे कि देश में आया हुआ कोरोना संकट जल्द से जल्द समाप्त होकर आम जनजीवन पुनः सामान्य हो। 
      संत शिरोमणि लिखमीदास जी के साथ उनके आराध्य देव द्वारिकाधीश अवतारी बाबा रामदेव हमेशा उनके साथ अप्रत्यक्ष  साथ रहकर मारवाड़ की धरा पर रह कर अनेक चमत्कार किये जिसे आने वाले युगों युगों  तक  उन्हें याद करते रहेंगे । लिखमीदास जी ने धर्म जाति उपर से उठकर समाज में आई बुराइयां ,छुआछूत, गरीबी, अमीरी, ऊंच-नीच की भावना मिटाने में अपना अमूल्य योगदान दिया ,उन्हाने भजन वाणी सत्संग के माध्यम से सभी को एकता एवं मैत्री का संदेश दिया ।उन्होंने उस समय के अनबुझे सवालों, समस्याओं का निराकरण कर सभी के आदरणीय बन गये।
       संत शिरोमणि लिखमीदास जी को माली सैनी समाज के ही नहीं बल्कि सभी जाति धर्म के लोग उन्हे पूरा पूरा सम्मान देते हैं। इसी कारण पूरे वर्ष भर अमरपुरा में उनकी समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर , सभी को अपनी समस्याओं का समाधान मिल जाता ,     इसलिए वर्ष भर प्रतिदिन हजारों यात्री अमरपुरा में लिखमीदास जी महाराज की समाधि पर आकर दर्शनों का लाभ ले रहे हैं।
     पूर्व जन्म के दक्षिण भारत के जाने-माने सबसे धनाढ्य सेठ किरोड़ीमल की गणना की जाती थी, सेठ किरोड़ीमल की ईमानदारी, सत्य निष्ठा, परोपकारी की चर्चा पूरे भारतवर्ष में होती थी ,वह दीन दुखियों की सेवा तथा अनेक धर्मार्थ कार्य नियमित रूप से करते थे। सेठ किरोड़ीमल भगवान विष्णु के परम भक्त थे और और अपना अधिकांश समय प्रभु भक्ति में लगे रहते थे।जब माता सीता का हरण हुआ,  भगवान राम रावण से युद्ध करने हेतु अपनी असंख्य सेना लेकर किरोडीमल के नगर से प्रस्थान कर रहे थे ,उसी समय सेठ किरोड़ीमल ने भगवान राम से दोनों हाथ जोड़ सादर विनम्र निवेदन किया प्रभु एक रात्रि अपने भक्त के यहां भोजन कर,विश्राम करें तो भगवान ने मना कर दिया और कहा मेरी असंख्य सेना, रीछ, भालू तथा अनेको जीव, मेरे साथ इतना बड़ा लवाजमा हैं। इन सबके भोजन एवं रात्रि विश्राम का कितना खर्चा आएगा, जिससे तुम्हारा व्यापार संतुलन बिगड़ जाएगा। इस पर किरोड़ी मल ने पुनः हाथ जोड़कर निवेदन किया प्रभु यह सब आप का दिया हुआ है, मेरा कुछ भी नहीं है, इसलिए आपको मेरा आत्य अवश्य स्वीकार करना पड़ेगा तब भगवान राम भक्त की बात मान गए। भगवान राम ने अपनी सेना सहित स्वादिष्ट भोजन किया और रात्रि विश्राम किया।सेना सहित भगवान राम ने भी सेठ किरोड़ीमल के आथित्य की भूरी भूरी प्रशंसा की विदा लेते समय भगवान राम ने सेठ किरोड़ीमल को वर मांगने को कहा, इस पर सेठ ने कहा भगवान आपका दिया मेरे पास सब कुछ है, अगर देना है तो मुझे भजन, भक्ति का वर दो इसके अतिरिक्त मुझे कुछ भी चाह नहीं,मैं हमेंशा आपके गुणगान कर अपना जीवन सफल बनाना चाहता हूँ ।इस पर भगवान ने कहा आप अपना जीवन समाप्त कर मेरे धाम में रहना ,कलयुग के प्रथम चरण में तुम मारवाड़ में जन्म लोगे ,मैं भी तुम्हारे साथ  अप्रत्यक्ष रूप से साथ रहूंगा ,उस समय तुम्हारे भजन भक्ति की चर्चा पूरे भारतवर्ष में होगी। 


      भगवान के वरदान स्वरूप सेठ किरोड़ीमल ने मारवाड़ नागौर के चैनार में 19 जुलाई, 1750,विक्रम संवत, 1807 आषाढ़ सुदी गुरु पूर्णिमा को मारवाड़ की धरा पर जन्म लेकर भक्ति,भजन  की ऐसी गंगा बहाई जिसे आने वाले युगो युगो  तक याद करेंगे।
        ऐसे संत शिरोमणि श्री लिखमीदास जी महाराज ने अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित किया हम सब उनकी जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर उनसे  आशीर्वाद प्राप्त करेंगे ।
   ।। जय लिखमीदासजी महाराज।। 


  - हरगोपाल भाटी, अन्नपूर्णा मंदिर, बड़ा बाजार, झालावाड़, राजस्थान


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