सुबह 5 बजे उठती हैं, बच्चों और पति का खाना तैयार करती है, खुद के खाने का सामान बैग में रखकर निकल पड़ती है कोरोना से युद्ध करने


      उज्जैन। उज्जैन शहर एवं जिले में कोरोनावायरस के मरीजों के आंकड़े बढ़ रहे हैं। और उतनी ही तेजी से जिला प्रशाशन ने कोरोना से गंभीर लड़ाई छेड़ दी है । इस लड़ाई में उज्जैन जिले में किया जा रहा सर्वेक्षण एक बड़ा हथियार बन कर सामने आया है। सर्वे के माध्यम से ही अब तक 12 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजो का पता लगा है, जो छुपे बैठे थे । सर्वे से यह मालूम पड़ रहा है कि कौन लोग गंभीर रूप से सर्दी खासी बुखार से पीड़ित हैं और किनको जांच की जरूरत है। 


         कोरोना से हो रही इस लड़ाई में उज्जैन शहर में 184 आशा कार्यकर्ता एक योद्धा की तरह कोरोना को रोकने के लिए उसके सामने खड़ी हो गई है।


           आशा कार्यकर्ता श्रीमती लक्ष्मी कुंभकार बताती है कि उनकी दिनचर्या प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शुरू हो जाती है । वह प्रातः 8 बजे से अपनी टीम के साथ निरंतर शाम 4:00 बजे तक सर्वे कार्य में घर-घर जाकर लोगों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करती हैं ।जानकारी एकत्रित करती है और उसको दर्ज कर चिकित्सकीय टीम को भेजती है।


          लक्ष्मी कुम्भकार के 10 वर्ष का बेटा और 12 वर्ष की बेटी हैं। जिनके लिए सुबह जल्दी उठकर खाना बनाती है साथ ही अपने खाने का सामान भी साइड बेग में लटका कर चल पड़ती है सर्वे के लिए। फिलहाल वे और उनकी टीम अथर्व विहार और तिरुपति हाइट्स में सर्वे कर रही है। 


       आशा कार्यकर्ताओं को इस तरह का सर्वेक्षण का अनुभव तो पहले से ही था। इसमें वे गर्भवती महिलाओं का, टीकाकरण का एवम नवजात बच्चों के आंकड़े इकठ्ठा करती रही है। किंतु अबकी बार एक नया काम मिला है। इससे वे काफी उत्साहित भी हैं। आशा कार्यकर्ता श्रीमती लक्ष्मी कुंभकार बताती हैं कि विगत 10 दिन से वे सर्वेक्षण का कार्य कर रही है। उनके साथ आशा कार्यकर्ता रंजना चौहान, ममता वालेचा, सहायक शिक्षक दिनेश शर्मा हैं। उन्होंने अब तक 360 घरों का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और वार्ड नंबर 48 का जैसा ही सर्वे पूर्ण होगा फॉलोअप सर्वे में लग जायेगी।  


       आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी बताती हैं कि कोरोनावायरस से डर का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। यह एक बहुत ही अच्छा कार्य है और जीवन में शायद आगे करने को ना मिले। उनका कहना है कि कोरोनावायरस से युद्ध में एक छोटा सा योगदान आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से भी दिया जा रहा है जिसे शायद समाज आने वाले समय में याद रखेगा।


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