उज्जैन। आज मदर्स डे है। मां के लिए वैदिक और पौराणिक काल के ग्रंथों ने जो कहा है, वो आज भी अक्षरशः वैसा ही है। वेदों ने माता को मानव जीवन में सबसे ऊंचा स्थान दिया है। उज्जैन के संस्कृत विद्वान डॉ. ऋषि तिवारी के मुताबिक वेदों ने माता को ही सबसे बड़ा दानी कहा है। वेदों से संहिताओं तक, वाल्मीकि रामायण से महाभारत तक, सारे ग्रंथों ने निर्विवाद रूप से माता को ही देवताओं के भी ऊपर माना है। पंचतंत्र में कहा गया है, माता यस्य गृहे नास्ति...अरण्ये तेन गंतव्यम् अर्थात जिस व्यक्ति के घर में माता नहीं हो, उसे तो वन में चले जाना ही उचित है।
शास्त्रों और साहित्यो में माता के लिए कही गई खास बातें....
- दस उपाध्यायों के समान एक आचार्य, सौ आचार्यों के समान एक पिता और हजार पिताओं से अधिक एक माता गौरव पूर्ण होती है। - मनुस्मृति
- मनु स्मृति प्राचीन भारत की पहली स्मृति मानी जाती है, जो मनु महाराज द्वारा लिखी गई थी। सामाजिक व्यवस्था और मानव जीवन पर लिखी गई किताबों में इसका स्थान सबसे पहला है, मनु के द्वारा ही अयोध्या की स्थापना भी मानी जाती है।
- माता सभी तीर्थों से युक्त होती है, अर्थात माता में ही सारे तीर्थ समाए है। पिता सभी देवताओं का रूप है। इसलिए माता-पिता हर तरह से पूजनीय है। - पद्मपुराण
- पद्मपुराण 18 महापुराणों में से एक माना जाता है। भगवान विष्णु की लीलाओं और उनके अवतारों की कथाओं पर आधारित इस ग्रंथ में संसार के सभी प्रमुख विद्याओं का सार तत्व है।
- जननी मतबल माँ और जन्मभूमि मतलब मातृभूमि दोनों ही स्वर्ग से भी बढ़कर है। - वाल्मीकि रामायण
- वाल्मीकि रामायण संस्कृत साहित्य का पहला महाकाव्य माना गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा इसे भगवान राम के रहते ही लिखा गया था, ये भी प्रमाणित है कि इसी रामायण को लव-कुश ने भगवान राम को सुनाया था। वाल्मीकि रामायण में भी सामाजिक व्यवस्था और मानव जीवन पर कई महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं।
- माता पृथ्वी के समान ही सभी तीर्थों से युक्त है। - अथर्ववेद
- चार वेदों में चौथा वेद अथर्व माना जाता है। ये मूलतः अर्थशास्त्र से जुड़ा है। अर्थ इसी अथर्व से बना है। ये वेद मानव सभ्यता के विकास में बहुत सहायक है। इसकी शाखाओं और ऋचाओं में बहुत गूढ़ ज्ञान समाहित है।
- माता ही शक्तिशाली है। - ऋग्वेद
- ऋग्वेद का वेदों में पहला स्थान है। वैदिक मान्यता ये भी है कि प्रारंभिक काल में ऋग्वेद ही एकमात्र वेद था। कुछ काल के उपरांत पाराशर ऋषि के पुत्र कृष्णद्वैपायन व्यास ने इसे चार भागों में बांटा, इसी से उनका नाम वेद व्यास पड़ा।
- माता ही सबसे मधुर वचन बोलने वाली और सबसे बड़ी दानी है। - ऋग्वेद
- ऋग्वेद वैदिक स्तुतियों का एक संकलन है, यज्ञ पद्धति का प्रादुर्भाव भी इसी से हुआ माना जाता है। सामवेद में जो संगीतबद्ध ऋचाएं हैं, वो ऋग्वेद का ही अंश हैं।
- माता देवताओं से भी बढ़कर होती है। - तैत्तिरीय उपनिषद
- तैत्तरीय उपनिषद प्राचीन 108 उपनिषदों में से एक है। ये तैत्तरीय ब्राह्मणों द्वारा रचे होने के कारण इस नाम से जाना जाता है।
- माता केवल मनुष्यों की ही नहीं देवताओं की दैव या भाग्य कही गई है। - भास्कृत मध्यम न्यायोग
- भास गुप्त काल के पूर्व या प्रारंभिक काल के लेखक माने जाते हैं। उन्होंने संस्कृत साहित्य में अपनी कई अनुपम कृतियां दी हैं। वे मूलतः नाटककार थे। कालिदास ने भी अपने साहित्य में कहीं-कहीं भास का उल्लेख किया है। इससे साफ होता है कि भास कालिदास के पहले थे।
- माता इस भूमि से कई अधिक भारी होती है। - महाभारत, वनपर्व
- महाभारत 5000 साल से ज्यादा पुराना ग्रंथ माना जाता है। वेद व्यास ने इसकी रचना बद्रीनाथ धाम में व्यास गुफा में की थी। वेद व्यास ने इसे रचा था और उनके कहने पर भगवान गणेश ने इसे लिपीबद्ध किया था। महाभारत में एक लाख श्लोक हैं।