प्रिय साथियो।
🌹राम-राम🌹
🌻 नमस्ते।🌻
आज की बात आपके साथ मे आप सभी साथीयों का दिनांक 28 मई 2020 गुरुवार की प्रातः की बेला में हार्दिक वंदन है अभिनन्दन है।
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आज की बात आपके साथ अंक मे है
A कुछ रोचक समाचार
B आज के दिन जन्मे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी एवम राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय लेख.
C आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
D आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
E आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
F आज का दिवस का नाम ।
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(A) कुछ रोचक समाचार
(संक्षिप्त)
💐(A/1) करोड़ 10 लाख मील लंबी पूंछ से हरे और नीले रंग की आतिशबाजी करते गुजरा धूमकेतु,💐
💐(A/2)चीन से बढ़ते तनाव के बीच पीएम मोदी ने की अहम बैठक, डोभाल ने भी सेना प्रमुखों से की मुलाकात💐
💐(A/3)LIC ने प्रधानमंत्री वय वंदन योजना PMVVY में किया बड़ा बदलाव, जानिए बुजुर्गों को अब हर महीने कितनी पेंशन मिलेगी💐
💐(A/4)भारत-पाकिस्तान का गर्मी से बुरा हाल, दुनिया के 15 सबसे गर्म स्थानों में 10 भारत के, 50 डिग्री तक पहुंचा पारा💐
🌻💐🌹🌳🌺🥀🌼 (A)कुछ रोचकसमाचार(विस्तृत)
💐(A/1) करोड़ 10 लाख मील लंबी पूंछ से हरे और नीले रंग की आतिशबाजी करते गुजरा धूमकेतु,💐
खगोलीय घटनाओं में रूचि रखने वाले लोगों के लिए बुधवार का दिन बेहद खास रहा। जब हजारों वर्षो के बाद धूमकेतु (कॉमेट) स्वान एक करोड़ 10 लाख मील लंबी पूंछ के साथ सूर्य के सबसे नजदीक से हरेऔर नीले रंग कीआतिशबाजी करते गुजरा। सुबह सूर्योदय के वक्त इसे धरती से टेलिस्कोप या ऑनलाइन देखा गया।
बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि बुधवार की सुबह ये सूर्य के करीब से गुजरा है।
11,597 साल में एक बार ऐसी अनोखी खगोलीय घटना का दीदार होता है।
यह धूमकेतु दक्षिण से उत्तर की ओर तेजी से बढ़ रहा था।इस वजह से इसकीरोशनी
में भी तेजी से इजाफा हुआ। सूर्य के ताप और उससे बचकर निकल जाने की वजह से ये ज्यादा चमकदार नजर आया।
💐क्या होता है धूमकेतु💐
धूमकेतु या कॉमेट सौरमण्डलीय में पाए जाने वाले ऐसे तारे होते हैं, जो मूल रूप से पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं। यह ग्रहों के समान ही सौरमंडल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग 6 से 200 साल में एक बार पूरी करते हैं।कुछ धूम
केतु तारों का पथ वलयाकार होता है और वो अपने पूरे जीवनकाल में मात्र एक बार ही दिखाई देते हैं। लंबे पथ वाले धूमकेतु अक्सर एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं।
बर्फ, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन से होता है तैयार
अधिकतर धूमकेतु बर्फ,कार्बनडाइऑक्सा
इड, मीथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं। इन्हें सामान्य भाषा में पुच्छल तारा भी कहा जाता है क्योंकि इनके पीछे उक्त तत्वों की लंबी पूंछ बनी हुई होती है जो सूर्य के प्रकाश से चमकती रहती है। धूमकेतू का नजर आना अपने आप में दुर्लभ घटना है क्योंकि ये कई बरसों में एक बार नजर आते हैं।
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💐(A/2)चीन से बढ़ते तनाव के बीच पीएम मोदी ने की अहम बैठक, डोभाल ने भ सेना प्रमुखों से की मुलाकात💐
,चीन से बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ अहम बैठक की और हालात का जायजा लिया. सूत्रों से मिली खबर के अनुसार NSA अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना प्रमुखों से मुलाकात की.
नई दिल्ली: चीन से बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ अहम बैठक की और हालात का जायजा लिया. सूत्रों से मिली खबर के अनुसार NSA अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना प्रमुखों से मुलाकात की. बता दें कि लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं बड़ी संख्या में तैनात हैं. सीमा तक सड़क, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने से चीन बौखलाया हुआ है.इसी महीनेकैलाश
मानसरोवर के लिए चीनसीमा तक सड़क
का उद्घाटन हुआ है. तनाव के बीच भारत चीन के साथ लगने वाली करीब 3,500 किमी लंबी सीमा के रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों मेंभारत अपनी ढांचागत विकास की परियोजनाएं बंद नहीं करेगा.भारत नेचीन सीमा तक इंफ्रास्ट्रक्चर का काम तेज कर दिया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के शीर्ष अधिकारियों को यह कहा है कि कई संवे
दनशीलइलाकों मेंचीन के सैनिकोंकेआक्रा
मक व्यवहार केबावजूद लद्दाख,सिक्किम उत्तराखंडऔर अरुणाचल प्रदेश में वास्त
विक नियंत्रण रेखा पर महत्वूर्ण परियोज
नाओं केक्रियान्वयन की पुन:समीक्षाकरने कीआवश्यकता नहीं है. हालांकिचीन इन्हें रोकनेके लिए सोचे-समझे प्रयास कर रहा है औरइसके लिए पूर्वीलद्दाख जैसेइलाकों में हालात को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है। दोनों पक्षों के बीच करीब 20 दिन तक चले गतिरोध के मद्देनजर भारतीय सेनाने उत्तर सिक्किम,उत्तराखंड,अरुणा-
चल प्रदेश व लद्दाख में संवेदनशील सीमा
वर्तीइलाकों मेंअपनी मौजूदगीउल्लेखनीय
ढंग से बढ़ाई है और यह संदेश दिया हैकि भारत चीन के किसी भी आक्रामक सैन्य रुख के आगे रुकने वाला नहीं है।.
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💐(A/3)LIC ने प्रधानमंत्री वय वंदन योजना PMVVY में किया बड़ा बदलाव, जानिए बुजुर्गों को अब हर महीने कितनी पेंशन मिलेगी💐
LIC ने एक बयान मेंकहा हैकि प्रधानमंत्री
वय वंदन योजना (Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana) आज से तीन वित्त वर्ष के लिये यानी मार्च 2023 तक के लिये उपलब्ध रहेगी.
Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana (PMVVY): भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) नेसंशोधित प्रधानमंत्री वय वंदन योजना (पीएमवीवीवाई) पेश कीइस पेंशनयोजना केलिये केंद्र सरकार अनुदान प्रदान करती है.संशोधित योजना आज यानि मंगलवार से खरीद के लिये
उपलब्ध होगी.केंद्रसरकारने इस योजना
में संशोधन कर60वर्ष या इससे अधिक
आयु वाले लोगों के लिये दरों में बदलाव किया है.इसयोजना कोचलाने का एकाधि
कार एलआईसी के पास है.।.
पहले साल 7.40 प्रतिशत का सुनिश्वित प्रतिफल मिलेगा
एलआईसीने एक बयान में कहा कि संशो
-धित योजना खरीद के लिये मंगलवार से तीन वित्त वर्ष के लिये यानी मार्च 2023 तक के लिये उपलब्ध रहेगी.कंपनी नेकहा
कि इसेऑफलाइन के साथ हीउसकी वेब
साइट से ऑनलाइन भी खरीदा जासकता है.इस योजना की परिपक्वता अवधि 10 साल है. इसमें पहले साल 7.40 प्रतिशत का सुनिश्वित प्रतिफल दिया जाएगा.
मार्च 2023तक केलिए बढ़ाई गई योजना
हाल ही में मोदी सरकार ने वरिष्ठनागरिकों
की सामाजिक सुरक्षा योजना प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) तीन साल यानी मार्च 2023 तक के लिए बढ़ादी।प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी कीअध्यक्षता
में मंत्रिमंडल की बैठकमें योजना तीन साल के लिए 31 मार्च 2023 तक बढ़ाने का निर्णय किया गया था।.10 साल तक मिलता है पेंशन का लाभप्रधानमंत्री वय वंदनायोजना के तहत बुजुर्गों को हरमहीने एक निश्चित पेंशन मिलती है।. हालांकि पेंशन की यह रकम सिर्फ 10 साल तक ही मिलती है।. अगर किसी व्यक्ति को 10 साल बाद फिर से पेंशन शुरू करना है तो उसे दोबारा इस योजना में निवेश करना होगा. इस योजना केतहत निवेशककी ओर से चुनेगए समय पर उसकेअकाउंट मेंपैसा क्रेडिटहोजाएगा
निवेशक मासिक,तिमाही,छमाही, वार्षिक
विकल्पों के साथ पेंशन के क्रेडिट के लिए समय के विकल्प को चुन सकते हैं.
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💐(A/4)भारत-पाकिस्तान का गर्मी से बुरा हाल, दुनिया के 15 सबसे गर्म स्थानों में 10 भारत के, 50 डिग्री तक पहुंचा पारा💐
देश में सूरज की तपिश और तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है।45से 50डिग्री
तापमान में लोग झुलस रहे हैं।आलम यह है किपिछले 24 घंटे मेंदुनिया के15सबसे
गर्म स्थानों में 10 भारत के हैं तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी लोग गर्मी से इसी तरह बेहाल हैं।
जयपुर से महज 20 किलोमीटर उत्तर में स्थित राजस्थान के चुरु में मंगलवार को देश में सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। यहां पारा 50 डिग्री सेल्सियस को छू गया। चुरु को थार रेगिस्तान का गेटवे कहा जाता है।पाकिस्तान का जकोबाबाद पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थान रहा।
इस लिस्ट में राजस्थान के तीन और शहर बिकानेर, गंगानगर और पिलानी रहे। दो शहर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के थे। यूपी के बांदा और हरियाणा के हिसार में भी तापमान 48 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अन्य सबसे गर्म शहरों की बात करें तो दिल्ली में 47.6 डिग्री सेल्सियस, बिकानेर में 47.4 डिग्री सेल्सियस, गंगानगर में 47 डिग्री सेल्सियस,झांसी में 47 डिग्री सेल्सि
यस, पिलानी में 46.9 डिग्री सेल्सियस, नागपुर सोनेगांव में 46.8 डिग्री सेल्सियस और महाराष्ट्र के अकोला में 46.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
चुरु में मई महीने में पिछले 10 सालों का यह दूसरा सबसे गर्म दिन था।इससे पहले 19 मई 2016 को यहां पारा 50.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था। चुरु में 22 मई से ही बहुत अधिक गर्मी है,उस दिन ताप
मान 46.6 डिग्री दर्ज किया गया था और इस दिन से लगातार तापमान बढ़ रहा है। राज्य में 2 और शहर कोटा और जैसल
मेर में तापमान 45 डिग्री से अधिक रहा।
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(B)आज के दिनजन्मेभारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी एवम राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय लेख
.नाम;- ;-विनायक दामोदर सावरकर
जन्म:- 28 मई 1883
मृत्यु:- 26 फ़रवरी1966
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे।उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर ,वीर सावरकर
के नाम से सम्बोधित किया जाताहै। हिन्दूराष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व)को विकसित
करनेका बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है
स्वाधिनता-संग्राम के एकतेजस्वी सेनानीथे| अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्ध
हस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे।वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं
जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढंग से
लिपिबद्ध किया है।उन्होंने 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था|
💐विनायक दामोदर सावरकर💐
विनायक दामोदर सावरकर
जन्म:-28 मई 1883
जन्मस्थल:-ग्राम भागुर, जिला नासिक
बंबई प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत
मृत्यु;-फ़रवरी 26, 1966 (उम्र 82)
बम्बई, भारत
मृत्यु का कारण:-इच्छा मृत्यु यूथेनेशिया
प्रायोपवेशनम् सल्लेखना
राष्ट्रीयता;-भारतीय
अन्य;- नामवीर सावरकर
शिक्षा;-कला स्नातक,
1.फर्ग्युसन कॉलिज,पुणे
2.बार एट ला लन्दन
प्रसिद्धि कारण:-भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन,
हिन्दुत्व राजनैतिक पार्टी
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा
धार्मिक मान्यता ;- हिन्दू;- नास्तिक जीवनसाथी:-यमुनाबाईबच्चे
पुत्र: प्रभाकर (अल्पायु में मृत्यु)
एवं विश्वास सावरकर,
पुत्री: प्रभात चिपलूणकर
वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं के हिंदू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं आंदोलन चलाये। सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिएहिंदुत्व का शब्दगढ़ाउनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद,तर्कवाद और सकारात्मकवाद,मानवतावाद और सार्वभौमिकता,
व्यावहारिकताऔर यथार्थवाद के तत्व थे।सावरकर एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्तिथेजो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे।
💐जीवन वृत्त💐
💐 प्रारंभिक जीवन💐
विनायक सावरकर का जन्म महाराष्ट्र (तत्कालीननाम बम्बई)
प्रान्त में नासिकके निकट भागुर गाँव में हुआ था। उनकी माता जी का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था।इनके दोभाई गणेश(बाबाराव)व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थीं। जब वे केवल नौ वर्ष के थे तभी हैजे की महामारी में उनकी माता जी का देहान्त हो गया। इसके सात वर्ष बाद सन् 1899 में प्लेग की महामारी में उनके पिताजी भी स्वर्ग सिधारे।इसके बाद विना
यक केबड़े भाई गणेश ने परिवारके पालन
-पोषण का कार्य सँभाला।दुःख और कठिनाई कीइस घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बचपन से ही वे पढ़ाकू तोथे ही अपितु उन दिनों उन्होंने कुछकविताएँभी लिखी थीं।आर्थिक संकट के बावजूद
बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। इस अवधि में विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठितकरके मित्रमेलों
काआयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी।सन् 1901में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ। उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठाया। 1902 में मैट्रिक की पढाई पूरी करके उन्होने पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बी०ए० किया।
💐लन्दन प्रवास💐
1904 में उन्हॊंने अभिनव भारत नामक एक क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की
1905में बंगालके विभाजन केबादउन्होने
पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। फर्ग्युसन कॉलेज,पुणेमेंभी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोतओजस्वी भाषण देते थे।बाल गंगाधर तिलक के अनुमोदन पर 1906 में उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली।इंडियनसोशियोलाजिस्ट व तलवार नामक पत्रिकाओं में उनके अनेक लेख प्रकाशित हुये, जो बाद में कलकत्ता के युगान्तर पत्र में भी छपे। सावरकर रूसी क्रान्तिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे।10 मई, 1907 को इन्होंने इंडिया हाउस,लन्दन में प्रथम भार
-तीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती मनाई।इस अवसर पर विनायक सावरकर नेअपने ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित 1857केसंग्राम को गदर नहींअपितुभारत
के स्वातन्त्र्य का प्रथम संग्राम सिद्धकिया।
11जून1908 मेंइनकी पुस्तक द इण्डियन
वार ऑफ इण्डिपेण्डेंस :1857 मेंतैयार हो गयी परन्त्तुइसके मुद्रण की समस्याआयीइसकेलियेलन्दनसेलेकर पेरिसऔरजर्मनीतक प्रयास किये गये किन्तु वे सभीप्रयास असफल रहे।बाद में यह पुस्तक किसी प्रकार गुप्त रूप से हॉलैंड सेप्रकाशित हुई और इसकीप्रतियाँ फ्रांस
पहुँचायी गयीं। इसपुस्तक में सावरकर ने1857 केसिपाही विद्रोह को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई बताया। मई 1909 में इन्होंने लन्दन से बार एट ला (वकालत) की परीक्षा उत्तीर्ण की, परन्तु उन्हें वहाँ वकालत करने की अनुमति नहीं मिली।इस पुस्तक को सावरकार जी ने पीक वीक पेपर्स व स्काउट्स पेपर्स के नाम से भारत पहुचाई थी।
💐इण्डिया हाउस की गतिविधियां💐
वीरसावरकरनेलंदन केग्रेजइन्न लॉ कॉलेज
मेंप्रवेश लेनेके बाद इंडिया हाउस में रहना
शुरू कर दिया था।इंडिया हाउस उससमय राजनितिक गतिविधियों का केंद्र था जिसे पंडित श्याम प्रसाद मुखर्जी चला रहे थे। सावरकर ने 'फ्री इण्डिया सोसायटी' का निर्माण कियाजिससे वो अपनेसाथी भार
-तीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित करते थे। सावरकर ने 1857 की क्रांति पर आधारित किताबे पढी और “The History of the War of Indian Independenceनामक Book किताब लिखी। उन्होंने 1857की क्रांतिके बारे में गहनअध्ययन किया कि किस तरहअंग्रेजो को जड़ से उखाड़ाजा सकता है।
💐लन्दन और मार्सिले में गिरफ्तारी💐
लन्दन में रहते हुये उनकी मुलाकात लाला हरदयालसे हुईजो उनदिनों इण्डियाहाउस
की देखरेख करते थे।1जुलाई 1909 को मदनलाल ढींगराद्वारा विलियम हट कर्जन वायली को गोली मार दिये जाने के बाद उन्होंने लन्दन टाइम्स में एक लेख भी लिखा था। 13 मई 1910 को पैरिस से लन्दन पहुँचने पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया परन्तु 08 जुलाई 1910 को एस.एस.मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते
हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।24 दिसम्बर 1910 कोउन्हेंआजीवन
कारावास कीसजा दी गयी।
इसके बाद31जनवरी1911
कोइन्हें दोबाराआजीवन कारावास दिया गया इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकारने क्रान्ति कार्योंके लिए दो-दो आजन्म कारावास की सजा दी,जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। सावरकर के अनुसार -
मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैंअपना मन अर्पित कर चुका हूँ।देश-सेवाही ईश्वरसेवा है,यहमानकरमैंने तेरीसेवा केमाध्यम से भगवान की सेवा की।
💐 परीक्षण और दण्ड💐
सावरकर नेअपने मित्रो को बम बनानाव गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई।1909 में सावरकर के मित्र और अनुयायी मदनलाल ढींगरा ने एक सार्वजनिक बैठक में अंग्रेज अफसर कर्जन की हत्याकर दी। ढींगरा के इस काम से भारत और ब्रिटेन में क्रांतिकारी गतिविधिया बढ़ गयी। सावरकर ने ढींगरा को राजनीतिक और कानूनी सहयोग दिया, लेकिन बाद में अंग्रेज
सरकार ने एक गुप्त और प्रतिबंधित परीक्षणकर ढींगरा को मौत की सजा सुना दी, जिससे लन्दन में रहने वाले भारतीय छात्र भड़क गये। सावरकर ने ढींगरा को एक देशभक्त बताकर क्रांतिकारी विद्रोह को ओर उग्र कर दिया था। सावरकर की गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने हत्या की योजना में शामिल होने और पिस्तौलेभारत भेजने केजुर्म में फंसा दिया
जिसके बाद सावरकर को गिरफ्तार कर लिया गया।अब सावरकर कोआगे केअभि
योग के लिए भारत लेजानेकाविचारकिया
गया। जब सावरकरको भारत जाने की खबर पता चलीतो सावरकर ने अपने मित्र कोजहाजसेफ्रांसके रुकते वक्त भाग जाने कीयोजनापत्र में लिखी।जहाज रुका और सावरकर खिड़की से निकलकर समुद्र के पानी में तैरते हुए भाग गए, लेकिन मित्र कोआने में देर होने की वजह से उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। सावरकर की गिरफ्तारीसेफ्रेंच सरकार नेब्रिटिश सरकार का विरोध किया।
💐पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल के सामने वीर सावरकर की आकर्षक प्रतिमा स्थापित है💐
नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें 7अप्रैल,
1911 को काला पानी की सजापर सेलुलर जेल भेजा गयाउनकेअनुसार यहां स्वतंत्रता सेनानियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता था।कैदियों को यहां नारियल छीलकरउसमें से तेल निकालना पड़ता था। साथ ही इन्हें यहां कोल्हू में बैल कीतरह जुत कर सरसों व नारियल आदि का तेल निकालना होता था। इसके अलावा उन्हें जेल के साथ लगे व बाहर के जंगलोंको साफकर दलदलीभूमी वपहाड़ी
क्षेत्र को समतलभी करना होता था। रुकने परउनको कड़ी सजा व बेंत व कोड़ों से पिटाई भी की जाती थीं।इतने पर भी उन्हें भरपेट खानाभीनहीं दिया जाता था।
सावरकर 04 जुलाई, 1911 से 21 मई,
1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे।
💐दया याचिका💐
1920 में वल्लभ भाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक के कहनेपर ब्रिटिश कानून ना तोड़ने और विद्रोहना करने की शर्त पर उनकी रिहाई हो गई। सावरकर जी जानते थेकि सालों जेलमें रहने से बेहतर भूमिगतरह करकेउन्हें कामकरने का जितनामौका मिले,उतना अच्छा है। उनकी सोच ये थी कि अगर वो जेल के बाहर रहेंगे तो वो जो करनाचाहेंगे,वो कर सकेंगे जोकि अंडमान निकोबार की जेल से संभव नहीं था। कई लोगों द्वारा शुरू से ही उन्हें भारत रत्न की मांग की जा रही है।
💐स्वतन्त्रता संग्राम💐
💐रत्नागिरी में प्रतिबंधित स्वतंत्रता💐
1921में मुक्त होने पर वे स्वदेश लौटे और फिर 03 साल जेल भोगी। जेल में उन्होंने हिंदुत्व पर शोध ग्रन्थ लिखा।इस बीच 07
जनवरी 1925 को इनकी पुत्री, प्रभात का जन्म हुआ। मार्च, 1925 में उनकी भॆंट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, डॉ॰ हेडगेवार से हुई। 17 मार्च 1928 को इनके बेटेविश्वास का जन्म हुआ। फरवरी, 1931 में इनके प्रयासों से बम्बई में पतित पावन मन्दिर की स्थापना हुई, जो सभी हिन्दुओं के लिए समान रूप से खुला था। 25 फ़रवरी 1931 को सावरकर ने बम्बई प्रेसीडेंसी में हुए अस्पृश्यता उन्मूलन सम्मेलन की अध्यक्षता की।
1937मेंवेअखिल भारतीयहिन्दु महासभाके कर्णावती (अहमदाबाद) में हुए 19 वें सत्र के अध्यक्ष चुने गये, जिसके बाद वे पुनः 07 वर्षों के लिये अध्यक्ष चुने गये। 15 अप्रैल 1938 को उन्हें मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया।13-12 1937 को नागपुर की एक जन-सभा में उन्होंने अलग पाकिस्तान के लिये चल रहे प्रयासों को असफल करने की प्रेरणा दी थी।22 जून 1941को उनकी भेंट नेताजीसुभाषचंद्र
बोस सेहुई।09अक्टूबर 1942
कोभारत कीस्वतन्त्रता के निवेदन सहित उन्होंनेचर्चिलको तारभेज कर सूचितकिया
सावरकर जीवन भर अखण्ड भारत के पक्ष में रहे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के माध्यमों के बारे मेंगान्धीऔर सावरकर का एकदम अलग दृष्टिकोण था।1943 के बाद दादर,बम्बई में रहे। 16 मार्च 1945 को इनके भ्राता बाबूराव का देहान्त हुआ।19 अप्रैल1945को उन्होंने
अखिलभारतीय रजवाड़ा हिन्दूसभासम्मेलन की अध्यक्षताकी। इसीवर्ष 08मईकोउनकी पुत्रीप्रभातकाविवाहसम्पन्नहुआ।अप्रैल1946 मेंबम्बई सरकार ने सावरकर के लिखे साहित्य पर से प्रति
बन्ध हटा लिया। 1947 में इन्होने भारत विभाजन का विरोध किया। महात्मा रामचन्द्र वीर नामक (हिन्दू महासभा के नेता एवं सन्त) ने उनका समर्थन किया। 💐सावरकरकेप्रमुख कार्य,एकदृष्टि में💐
1.वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लन्दन
में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन संगठित किया।
2.वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई।
3.वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
4.वे पहले भारतीय थे जिन्होंने 'पूर्ण स्व-
तन्त्रता' की मांग की।
5 वेभारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को 'भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए 1907 में लगभगएकहज़ारपृष्ठों का इतिहासलिखा।
6.वे भारत के पहले और दुनिया के एक
मात्रलेखक थेजिनकीपुस्तक को प्रकाशित होने केपहलेहीब्रिटिश साम्राज्य की सर
कारों ने प्रतिबन्धित कर दिया था।
7.वे दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे जिनका मामलाहेग के अन्तरराष्ट्रीय न्याया
-लय में चला था।
8.वे पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे जिसने एक अछूत को मन्दिर का पुजारी बनाया था।
9.वे गायको एक 'उपयोगी पशु' कहते थे।
10.उन्होने बौद्ध धर्म द्वारा सिखायी गयी "अतिरेकी अहिंसा" की आलोचना करते हुए केसरी में 'बौद्धों की अतिरेकी अहिंसा का शिरच्छेद' नाम से शृंखलाबद्ध लेख लिखे थे।
11.सावरकर,महात्मा गांधी के कटु आलो
चक थे। उन्होने अंग्रेजों द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जर्मनी के विरुद्ध हिंसा को गांधीजी द्वारा समर्थन किए जाने को 'पाखण्ड' करार दिया।
12.सावरकर ने अपने ग्रन्थ 'हिन्दुत्व' के पृष्ठ 81 पर लिखा है कि कोई भी व्यक्ति बगैर वेद में विश्वास किए भी सच्चा हिन्दू हो सकता है। उनके अनुसार केवल जातीय सम्बन्ध या पहचान हिन्दुत्व को परिभाषित नहीं कर सकता है
13.किसी भी राष्ट्र की पहचान के तीन आधार होते हैं – भौगोलिक एकता, जातीय गुण और साझा संस्कृति।
14.जब भीमराव आम्बेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया तब सावरकर ने कहा था, "अब जाकर वे सच्चे हिन्दू बने हैं"।
15.सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
16.वे प्रथमक्रान्तिकारी थेजिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार नेझूठा मुकदमा चलाया और बाद में उनके निर्दोष साबित होने पर उनसे माफी मांगी।
17.वीर सावरकर ने भारत की आज की सभी राष्ट्रीय सुरक्षा सम्बन्धी समस्याओं को बहुत पहले ही भाँप लिया था
18.1962 मेंचीनद्वारा भारत परआक्रमण
करने के लगभग दस वर्ष पहले ही कह दिया था किचीनभारत पर आक्रमण करने वाला है।
19.भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद गोवा कीमुक्ति कीआवाज सबसेपहले सावरकर ने ही उठायी
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🌺(C)आज के दिन की
महत्त्वपूर्ण घटनाएँ🌺
1996 - रूस चेचेन्या को अधिकतम स्वायत्तता देने पर सहमत।
1998 - बलूचिस्तान की चगाई पहाड़ियों पर पाकिस्तान ने पाँच परमाणु परीक्षण किये, परमाणु परीक्षण के विरोध में सं.रा. अमेरिका ने पाकिस्तान के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाया।
1999 - बेंजामिन नेतान्याहू का संसद से इस्तीफ़ा, तुर्की में नयी गठबंधन सरकार का गठन।
2000 - भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए छह दिनों की राजकीय यात्रा पर पेइचिंग पहुँचे।
2002 - नेपाल में फिर आपातकाल लगा। 2008 - राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यरत पाँच न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया। विमान सेवा जेट एयरवेज को 'मध्य एशिया सर्वश्रेष्ठ चरगो एयर लाइन्स' का पुरस्कार मिला। नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही का अवसान हुआ। अमेरिका ने पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के चार नेताओं पर वित्तीय प्रतिबन्ध लगाया।
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💐(D)आज के दिन जन्मे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व 💐
1923 एन. टी. रामाराव प्रसिद्ध अभिनेता एवं तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक थे।
1883 वीर सावरकर भाषाविद,बुद्धिवादी
कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दार्शनिक और ओजस्वी वक़्ता।
1921 डी.वी.पलुस्कर - प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक
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💐(E)आज के दिन निधन हुवे
महत्वपूर्ण व्यक्तित्व💐
2005 - गोपाल प्रसाद व्यास - भारत के प्रसिद्ध कवियों,लेखकों और साहित्यकारों में से एक।
1954-विजय सिंह पथिक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी।
1964 - महबूब ख़ान - भारतीय सिनेमा इतिहास के अग्रणी निर्माता-निर्देशक थे।
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(F) आज का दिवस का नाम
1.एन. टी. रामाराव प्रसिद्ध अभिनेता एवं तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक थे का जयंती दिवस।
2. वीर सावरकर भाषाविद,बुद्धिवादी
कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दार्शनिक और ओजस्वी वक़्ता का जयंती दिवस।
3. डी.वी.पलुस्कर - प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक का जयंती दिवस।
4.गोपाल प्रसाद व्यास - भारत के प्रसिद्ध कवियों,लेखकों और साहित्यकारों में से एक थे का पुण्यतिथि दिवस
5.विजय सिंह पथिक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे का पुण्यतिथि दिवस
6.महबूब ख़ान भारतीय सिनेमा इतिहाके अग्रणी निर्माता-निर्देशक थे का पुण्यतिथि दिवस
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आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना हीकल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।
आज जन्म लिये सभी व्यक्तियोंको आज के दिन की बधाई। आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई। बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।
💐।जय चित्रांश।💐
💐जय महाकाल,बोले सो निहाल💐
💐।जय हिंद जय भारत💐
💐 निवेदक;-💐
💐 चित्रांश ;-विजय निगम।💐