आज की बात आपके साथ - विजय निगम


प्रिय साथियो। 
🌹राम-राम🌹 
🌻 नमस्ते।🌻


आज की प्रातः बेला में हार्दिक वंदन है अभिनन्दन है।
🌻💐🌹🌲🌱🌸💮🌳🌺🥀🌼🌻
आज की बात आपके साथ अंक मे है 


 A कुछ रोचक समाचार
B आज के दिन जन्मे प्रसिद्ध राजनेता एवम पुर्व मुख्यमंत्री हेमवतीनंदन का                  जीवन परिचय  लेख. 
C आज के दिन   की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
D आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण    
    व्यक्तित्व
E आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
F आज का दिवस का नाम ।
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🌱(A) कुछ रोचक समाचार(संक्षिप्त)🌱


🌻(A/1)महाभारत: द्रौपदी चीर हरण शूट के बाद आधे घंटे तक रोती रहीं रूपा गांगुली🌻
🌻(A/1/a)रामायण को मिल रही बंपर टीआरपी से खुश अरुण गोविल, कही ये बात🌻
🌻(A/2)3 मई के बाद भी लॉकडाउन रह सकता है जारी क्योकिं जून और जुलाई होगा सबसे🌻.
🌻(A/3)कोरोना का अब नया लक्षण आया सामने, पैरों के रास्ते हमला कर रहा है वायरस।🌻
🌻(A/4)  2020 मई 03  के  बाद रैल्वे विभाग  करने वाला है यात्रियों के लिए बड़े बदलाव, बनाया नये नियम🔆 
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🔆(A) कुछ रोचक समाचार(विस्तृत)🔅


🌻(A/1)महाभारत: द्रौपदी चीर हरण शूट के बाद आधे घंटे तक रोती रहीं रूपा गांगुली🌻
द्रौपदी के चीर हरण का सीक्वेंस इतना दमदार था कि इसे पूरा एक बार में शूट कर लिया गया था. मेकर्स ने बताया कि द्रौपदी के चीर हरण का सीक्वेंस इतना दर्दनाक था कि उसे करते वक्त रूपा गांगुली रोने लगी थीं. वह सेट पर इतना रोईं कि उन्हें चुप कराने में ही आधा घंटा लग गया था।
               🔆रूपा गांगुली🔅
बी.आर.चोपड़ाकेनिर्देशन मेंबनी महाभारत भारतीय टीवी इतिहास के सबसे कामयाब शोजमेंसे एक है।इस शो में काम करनेवाले सभी कलाकार सुपरस्टार बन गए थे।जिन कलाकारों ने निगेटिव रोल किए उन्हें कई बार जनता की नफरत से भी दो चार होना पड़ा।जो भी हो एकबातजोकही जा सकती है,वो येकि सभी कलाकारों ने न सिर्फ महा
भारत को समझा था बल्किइसके किरदारों के लिए काफी ज्यादा मेहनत भी की थी. रूपागांगुली नेइस शो में द्रौपदीका किरदार निभाया था।.बी.आर. चोपड़ा इस बात को अच्छीतरह जानतेथेकि महाभारत होता ही नहीं अगर द्रौपदी का चीर हरण नहीं हुआ होता।.इसलिए वो इस घटना को जितना हो सके उतना वास्तविक और प्रबल ढंग से दिखाना चाहते थे।उन्होंनेपहले रूपागांगुली को बुलाया और उन्हें समझाया कि अगर किसी महिला को बालों से पकड़ कर भरी सभा में लाया जाए और वहां उसके सारे
कपड़े उतारने की कोशिश की जा रही हो तो उसकी हालत कैसी होगी,उस मूड में खुद को लेजाने की कोशिश करिए।  ये 
सीक्वेंस इतना दमदार था कि इसे पूरा एक बारमेंशूट कर लियागया था।मेकर्सनेबताया कि द्रौपदी के चीर हरण का सीक्वेंस इतना दर्दनाक था किउसे करते वक्त रूपा गांगुली रोने लगी थीं। वह सेट पर इतना रोईं कि मेकर्स और बाकी की स्टार कास्ट को उन्हें चुप कराने में ही आधा घंटा लग गया था।. फिल्म में चीर हरण के सीन के लिए मेकर्स ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों सेबात करके 250 मीटर की साड़ी की व्यवस्था करवाई थी जो पूरी एक ही ट्रेल में थी।
   🔆री-टेलीकास्ट में भी मारी बाजी🔅
महाभारत कोलॉकडाउनके दौरान दूरदर्शन केनेशनलटेलीविजन पर पुनःप्रसारितकिया जारहा है।शो एक बार फिर से दूरदर्शन को टीआरपी के मामले में जबरदस्तउछाल देने में कामयाब रहा है।महाभारत के अलावा रामानंद सागर की बनाई रामायण भी दूर
-दर्शन को टीआरपी के मामले में जबरदस्त जम्प दिलाने में कामयाब रही है।.
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💐(A/1/a)रामायण को मिल रही बंपर टीआरपी से खुश अरुण गोविल, कही ये बात।
लॉकडाउनमेंअरुण गोविलअपनेपूरेपरिवार के साथ रामायण देख रहे हैं. उनका मानना है कि रामायण के री-टेलीकास्ट से लोगों की जिंदगी में बेहतरी आएगी।मालूम हो,14वें हफ्ते की बार्क रेटिंग में रामायणतीनों कैटिगरी में नंबर वन शो था. वहीं दूरदर्शन नंबर वन चैनल.।
               🌻अरुण गोविल🌻
जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है, रामानंद सागर की रामायण घर में कैद लोगों का फेवरेट टाइमपास बनी हुई है।0. रामायण को बंपर टीआरपी मिल रही है।. रामायण की वजह से दूरदर्शन की व्यूअरशिप में भी कमाल का इजाफा हुआ है।33 सालों बाद भी जिस तरह लोग रामायण को अपना रहे हैं, उसे देख अरुण गोविल और रामायण की पूरी स्टारकास्ट काफी खुश है।रामायण की शानदार टीआरपी सेखुश अरुणगोविल
ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में अरुण गोविल ने रामायण को मिल रही शानदार टीआरपी पररिएक्ट किया है।एक्टरने कहा-येदेखकर
काफीअच्छा लगता है किआपकेद्वारा किए गए प्रोजेक्ट को सालों बाद भी लोगों का ऐसाप्यार,पॉपुलैरिटी मिले.।रामायण को आज के यूथ का बेहद प्यार मिल रहा है. इसपर अरुण गोविल ने कहा-रामायण एक ऐसा सब्जेक्ट है जिससे हर जनरेशनरिलेट कर सकती है. ये ऐतिहासिक शो तब भी रिलेवेंट था और आज भी।रामायणका मूल आधारकभीअपनी महत्वतानहींखो सकते. वेकभी पुराने नहीं हो सकते।.
एक्टर ने कहा- ये रिलेशनशिप्स के बारे में है जो कभी पुराना नहीं हो सकता ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है।खास बात ये है कि लॉक डाउन की वजह से यूथ को कनेक्ट 
होने का वक्त मिला है। हम इस वक्त काफी तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हैं।हम सभी के पास अभी वक्त भी है, इसलिए भी यूथ रामायण से ज्यादा कनेक्ट कर पा रहा है.
लॉकडाउन में अरुण गोविलअपने पूरे परि
-वार के साथ रामायण देख रहे हैं। उनका मानना है कि रामायण के री-टेलीकास्ट से लोगों कीजिंदगीमें बेहतरी आएगी।रामायण के अलावा दूरदर्शन महाभारत, शक्तिमान, श्रीमान श्रीमति, बुनियाद, देख -भाई देख जैसे पुराने आइकॉनिक शोज टेलीकास्ट कर रहा हैं।14वें हफ्ते की बार्क रेटिंग में रामायण तीनों कैटिगरी में नंबर वनशोथा। वहीं दूरदर्शन नंबर वन चैनल बना हुआ है।
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💐(A/2)2020 के 3 मई के बाद भी लॉकडाउन रह सकता है जारी, क्योकिं जून और जुलाई होगा सबसे..💐.
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है। लेकिन फिर भी कोरोना केसेस कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि क्या 3मई के बाद भी लॉकडाउन जारी रहेगा? एक तरफ सरकार इस से निकलने का एग्जिट प्लान बना रही है लेकिन ये भी सुनने मेंआ रहा है कि लॉकडाउन आगे बढ़ सकता है।सरकार की ,तरफसे कोआधिका
रिक बयान सामने नहीं आया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि भारत में कोरोनो वायरस की असली परीक्षा जून-जुलाई में होगी। इसका अर्थ है कि कोरोना के खिलाफ हमारी जंग अभी खत्म नहीं हुई है।
लॉकडाउन हटाने से संक्रमण बढ़ने का खतरा- डॉ पॉल ने ने एक इंटरव्यू में बताया किलॉकडाउन को हटाने याबढ़ानेका नये2
फैसला सोच समझ कर ही लेना होगा। क्योंकि ऐसा करने पर संक्रमण के फिर से फैलने का खतरा बढ़ सकता है। क्योकिं जो हमने पाया है उसे हम व्यर्थ जाने नहीं दे सकते।जून और जुलाई में असली इम्ति
हान होगाजब हम हमारेसंकल्पका परीक्षण करेंगे। डॉ पॉल ने बताया, 3 मई के बाद लॉकडाउन को हटाना बेहद गंभीर विषय है। इस पर कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार सोच लेना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य लॉकडाउन कम होने से मामले दोगुने होने की अवधि कम हुई है। अब मामले 3.4 दिन की बजाए 7.5 दिनों में हो रहे हैं। इसके अलावा इसके वेक्सीन बनाने पर भी काम जोरों शोरों से चल रहा है लेकिन तब तक पूरी तरह से इस वायरस से छुटकारा मिलना नामुमकिन ही है।
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💐(A/3)कोरोना का अब नया लक्षण आया सामने, पैरों के रास्ते हमला कर रहा है वायरस💐
कोरोना वायरस के लक्षणों के बारे में हम जानते थे, उनमें प्रमुख थे खांसी, बुखार, थकान, फ्लू, जुकाम या फिर कुछ एलर्जी लेकिन अब एक नया और नया लक्षण सामने आया है। डॉक्टरों का कहना है कि ये नया लक्षण मेडिकल स्टाफ के लिए एक वरदान बनकर सामने आ सकता है।
यूरोप के डॉक्टरों ने अपने यहां कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों में कोरोना वायरस का नया लक्षण देखा है। नए लक्षणों को खोजना हमेशा से एक कठिन काम रहा है। लेकिन इस बार यूरोपियन डॉक्टर्स ने ऐसा कर दिखाया है। डॉक्टरों ने बताया यह नया लक्ष्ण बेहद दर्दनाक और भयावह है। यूरोपीय डॉक्टरों ने अपने यहां इलाज करा रहे कोरोना से ग्रसित मरीजों के पैरों में छोटे-छोटे घाव (Lesions) को खोजा है। डॉक्टरों का कहना है कि यूरोप में भर्ती हो रहे ज्यादातर मरीजों के पैरों की उंगलियों के ऊपर, उंगलियों के बीच में या फिर पैर के तलवे में ये छोटे-छोटे लाल या गुलाबी रंग के घाव देखने को मिल रहे हैं और जैसे ही मरीज कोरोना से ठीक हो रहा है ये घाव भी ठीक हो रहे है इसके लिए अलग से उपचार की जरूरत नहीं पड़ रही है।
स्पेन में डॉक्टरों के संगठन जनरल काउंसिल ऑफ कॉलेजेस ऑफ पोडियाट्रिस्ट (CGCOP) का कहना है कि यह कोरोना वायरस के होने का एक प्रमुख निशान है और हम चाहते हैं कि इस लक्षण के बारे में पूरी दुनिया को पता चले। ताकि दुनियाभर के डॉक्टर सिर्फ खांसी, बुखार और सांस की दिक्कतों तक ही सीमित न रहें।
दरअसल, इन निशानों को बीमारी आने से ठीक पहले का प्रमुख लक्षण माना जा सकता है। पोडियाट्रिस्ट यानी जो पैरों से संबंधित बीमारियों का इलाज करता हो।  के डॉक्टरों का कहना है कि सबसे पहले पैर में अगर छोटे-छोटे लाल या गुलाबी घाव दिखने लगे तो समझ जाना चाहिए कि कोरोना वायरस का हमला होने वाला है। इसके ठीक बाद वो सारे लक्षण दिखने लगेंगे जो कोरोना वायरस के संक्रमण पर होते हैं।
CGCOP के डॉक्टरों ने कहा है कि हमें यह लक्षण यूरोप के ज्यादातर मरीजों में देखने को मिला है। जिन मरीजों में यह लक्षण दिखाई दिया है, वे सभी पुख्ता तौर पर कोरोना संक्रमित थे। फिलहाल, स्पेन समेत यूरोप के अन्य डॉक्टर कोरोना वायरस से इंसानी शरीर पर होने वाले असर, लक्षणों की खोज में लगे हैं। आपको बता दें कि स्पेन में इस समय 1.82 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से बीमार हैं। जबकि, 19000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
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💐(A/4)3 मई के बाद Railway करने वाला है यात्रियों के लिए बड़े बदलाव, बनाया नये नियम ।
भारतीय रेल ने 3 मई तकअपनी सारी पैसें
-जर ट्रेनोंको रद्द कर दिया है।यहीनहींउसने 3मई के बाद केरेलवे रिज़र्वेशन को भी बंद कर दिया है।इसका सीधा मक़सद रेल मुसा
-फिरों को संदेश देना हैकि 4 मई को लेकर वो कोई अंदाज़ा न लगाएं और न ही रेलवे स्टेशनों की ओर जाएं।रेलवे लॉकडाउन के
बाद जब भी ट्रेनेंचलाएगातो वोकेंद्र की हरी झंडीके बादचलाएगा।केंद्रभी इस मसलेपर
सभी राज्यों से बातचीत के बाद ही कोई निर्देश जारी करेगा।इस बीच जिस तरह से
कोरोना के मामले में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा हैउससे साफ है कि ट्रेनों का आपरेशन जब भीशुरूहोगा वो कोरोना के डर केसाये में होगा।.इसलिए रेलवे में भी अलग अलग ज़ोन और डिवीज़न के अधिकारी कई तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.
1. ट्रेनऑपेरशन शुरू होने पर पहले केवल कुछ चुनिंदाट्रेनें चलाई जाएं।ये स्पेशल ट्रेनों की तरह होंऔरइसका किराया ज़्यादारखा जाए।इससे शुरू में ट्रेनों में भीड़ को  कम रखने में मदद मिलेगीऔर केवल वही लोग यात्राकरेंगे जिनके लिए ये बेहद जरूरी हो.
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2. रेलवे ने 19मार्च सेही दिव्यांगों, स्टूडेंट्स और मेडिकल ग्राउंड पर टिकटों पर मिलने वाले कंसेशन केअलावा सभी छूट पर रोक लगाई हुई है.इसका मक़सद ट्रेनों में भीड़ को कम करनाथा।ख़ासकर वरिष्ठनागरिकों
कोट्रेनोंकी यात्रा से दूर रखना था।संभावना यही हैकि फिलहाल रेलवे अपने इसआदेश को जारी रखेगा ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को यात्रा से दूर रखा जाए।.
3. रेलवे शुरू में केवल स्लीपर क्लास के कोच वाली ट्रेन चलाए।इसमें केवल उन्हीं लोगों को यात्रा करने दिया जाए जिनके पासकन्फर्म टिकट हो।इससे जनरलक्लास के डब्बे वाली भीड़ से बचा जा सकता है. दूसरी तरफ AC डब्बों के बंद माहौल में संक्रमण की संभावनाओं को भी स्लीपर ट्रेन से टाला जा सकता है.
4. रेलवे ने स्लीपर क्लास के 5 हज़ार से ज़्यादा डब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया है. इसके लिए बीच की एक सीट को हटा दिया गया है. हालांकि अभी आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इन डब्बों की जरूरत नहीं पड़ी है. साथ ही गर्मी की वजह से फ़िलहाल इनके उपयोग की संभावना कम है. ऐसे में रेलवे इन डब्बों से स्लीपर-2 के तौर पर स्पेशल क्लास की ट्रेन भी चला सकता है. इससे सोशल डिस्टनसिंग के पालन में भी मदद मिलेगी.
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5. शुरूमें ट्रेनें केवलचुनिंदा स्टेशनों के बीच चलाई जाएंऔर जिनइलाकों में कोरोना के ज़्यादा मामले आ रहे हों वहां से न तो कोई मआये न ही कोई ट्रेन जाए।रेलवे के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने लाखोंकर्मचारियों औरमुसाफिरों को सुरक्षित रखने की है।. उसे स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के निर्देशों मुताबिक सभी तरह के प्रोटोकाल को भी फॉलो करना है.ऐसे में मुसाफिरों के लिए ट्रेनसेवाजबभी शुरूहोगीरेलवे केऊपर
हर किसी की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेवारी होगी।
इसलिए वो ट्रेनऑपेरशन के लिए कई तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहा है-।
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    💐(B)आज के दिन जन्म प्रसिद्ध राजनेता एवम पुर्व मुख्यमंत्री हेमवतीनंदन बहुगुणा का जीवन परिचय💐


  यूपी का वो मुख्यमंत्री, जिसका करियर अमिताभ बच्चन ने खत्म कर दिया
कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने आखिरी दिनों में कांग्रेस को मिटाने की कसम खाई थी. अपने बेटे विजय बहुगुणा को मैदान में उतारा था. विजय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने. भाजपा में शामिल हुए. हेमवती की बेटी रीता बहुगुणा भी 2016 में भाजपा में शामिल हो गईं. आखिर ऐसा क्या था कि यूपी की पहली विधानसभा में शामिल हुए चाणक्य कांग्रेस को बर्बाद करने पर तुले थे? कांग्रेस से वो यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे थे और केंद्र में भी मंत्री रहे थे. इतनी नाराजगी क्यों?
1942 के आंदोलन में इनामी क्रांतिकारी थे, यूपी की राजनीति में नामी नेता बने
      💐  हेमवती नंदन बहुगुणा💐
13 अप्रैल, 1919 को जालियांवाला बाग हुआ था. और 25 अप्रैल, 1919 को तत्कालीन पौड़ी जिले के बुधाणी गांव में हेमवती नंदन का जन्म हुआ था. वो दौर था आर्यसमाज का, जो भारतीय परंपरा को फिर से जीवित करना चाह रही थी. वो दौर था गांधी का, जो भारत की राजनीति को राजे-रजवाड़ों की लड़ाई से अलग गांववालों के हाथ में देने जा रहे थे. तो उसी गर्व से बने डीएवी कॉलेज से हेमवती की भी पढ़ाई हुई थी. पढ़ाई के दौरान ही हेमवती का संपर्क लाल बहादुर शास्त्री से हो गया था. तो जाहिर सी बात है कि देश की राजनीति में इंटरेस्ट आ गया
       💐हेमवती नंदन बहुगुणा💐
1936 से 1942 तक हेमवती नंदन छात्र आंदोलनों में शामिल रहे थे. वो वक्त ही ऐसा था कि जिससे जितना हो सकता था, वो करता था. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हेमवती के काम ने उन्हें लोकप्रियता दिला दी. अंग्रेजों ने हेमवती को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 5 हजार का इनाम रखा था. आखिरकार 1 फरवरी 1943 को दिल्ली के जामा मस्जिद के पास हेमवती गिरफ्तार हुए थे. पर 1945 में छूटते ही फिर बैंड बजा दी थी अंग्रेजों की. तुरंत ही देश भी आजाद हो गया.


उसके बाद हेमवती यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गए. 1952 से वो लगातार यूपी कांग्रेस कमिटी के सदस्य रहे. 1957 में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे. ऐसा माना जाता है कि सरकार जिसको मंत्री नहीं बना पाती, उसे ये पद दे देती है. पर इससे ये पता चलता है कि हेमवती को इग्नोर करना सरकार के लिए आसान नहीं था. 1958 में प्रमोशन हुआ. सरकार में श्रम और उद्योग विभाग के उपमंत्री रहे. फिर 1963 से 1969 तक यूपी कांग्रेस महासचिव के पद पर रहे. 1967 में आम चुनाव के बाद बहुगुणा को अखिल भारतीय कांग्रेस का महामंत्री चुना गया।. इसी साल कांग्रेस में समस्या पैदा हो गई. चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी।फिर 1969 में इंदिरा गांधी को लेकर ही बवाल हो गया. कांग्रेस दो भाग में टूट गई. त्रिभुवन नारायण सिंह जैसे नेता कामराज के सिंडिकेट ग्रुप में चले गए. पर कमलापति त्रिपाठी और हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के साथ चले गये. त्रिभुवन नारायण सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए उपचुनाव में एक पत्रकार रामकृष्ण द्विवेदी से हार गए. इसके बाद कमलापति त्रिपाठी को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया. पर पीएसी विद्रोह के चलते उनको भी पद छोड़ना पड़ा. विद्रोह के अलावा कमला सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप थे.जब यूपी की हालत बिगड़ रही थी तो कमान बहुगुणा को ही मिली
कमलापति धोती पहनते थे. महंत लगते थे. प्रशासन गड़बड़ हो गया था. तो ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो शासन भी संभाले और इंदिरा के सामने चूं भी ना करे. हेमवती नंदन 1971 में पहली बार सांसद बने थे. पर उनको उम्मीद थी कि इंदिरा का लगातार सपोर्ट करने की वजह से उनको कोई ताकतवर पद मिलेगा. पर संचार विभाग में जूनियर मिनिस्टर ही बन पाए थे. उस वक्त ये इतने नाराज हुए थे कि 15 दिन तक मंत्री का चार्ज ही नहीं लिया था. तो कुढ़कर इंदिरा ने इनको स्वतंत्र प्रभार दे दिया था. इसके अलावा हेमवती को जगजीवन राम कैंप का माना जाता था. तो इंदिरा गांधी को सलाह दी गई कि इनको यूपी का मुख्यमंत्री बना दीजिए, ये आपके विश्वासपात्र हो जाएंगे. हेमवती बारा से विधायक बने.
दिलचस्प बात ये है कि कमलापति और हेमवती के रिश्ते बहुत अच्छे थे. हेमवती अपने पिता के अलावा सिर्फ कमलापति के ही पांव छूते थे. एक बार त्रिपाठी के कहने पर बहुगुणा भांग खा कर लोटे भी थे. कमला ने भी बहुगुणा के नाम पर हां कर दी. बहुगुणा ने आते ही यूपी के हालात सम्भाले और छह महीने बाद राज्य में अधमरी हो चुकी कांग्रेस को चुनाव भी जिता दिया. कहा तो ये भी जाता है कि विपक्ष के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रभानु गुप्ता की छल-बल लगाकर ज़मानत भी ज़ब्त करवा दी थी. किंवदंतियां हैं कि चन्द्रभानु गुप्ता उनसे पूछते थे- रे नटवर लाल, हराया तो ठीक, लेकिन ज़मानत कैसे ज़ब्त करायी मेरी, ये तो बता. बहुगुणा का जवाब था- आपकी ही सिखाई घातें हैं गुरु देव
पर 1975 में इंदिरा गांधी ने सबको सरप्राइज करते हुए देश में इमरजेंसी लगा दी. कांग्रेस के भी कई नेता इस बात पर चिढ़ गए थे. पर इंदिरा के सामने बोलने का साहस किसी में नहीं था. लगभग सब इंदिरा के साथ ही थे. सबको लगता था कि बाद में सबको बड़ा पद दिया जाएगा. इसी दौरान 1975 में बहुगुणा का इंदिरा से तीन-पांच हो गया. इस्तीफा देना पड़ा. कहा ये भी जाता है कि संजय गांधी की लंठई ने इनको बहुत दुखी कर दिया था. संजय किसी को कुछ समझते नहीं थे. इसके पहले वो 4 मार्च 1974 को भी रिजाइन कर चुके थे. पर 5 मार्च 1974 को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. फिर जब 1977 में लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई तो बहुगुणा ने पहली बार कांग्रेस से बगावत की. बहुगुणा ने पूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम के साथ मिलकर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी बनाई. उस चुनाव में इस दल को 28 सीटें मिली, जिसका बाद में जनता दल में विलय हो गया. इसी पार्टी के बैनर तले बहुगुणा ने आज के उत्तराखंड की चार लोकसभा सीटें जीती. चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री रहते बहुगुणा देश के वित्त मंत्री भी रहे.
अंग्रेजी वीकली ब्लिट्ज (BLITZ) के संपादक वयोवृद्ध पत्रकार करंजिया ने रूसी नेताओं और एम्बेसडर की मौजूदगी में एक सेमिनार को सम्बोधित करते हुए बहुगुणा को देश के प्रधानमंत्री पद का काबिल मैटेरियल घोषित कर दिया. मीडिया में हंगामा मच गया. कहते हैं कि इस बात से नाराज होकर इंदिरा गांधी ने अपने चहेते यशपाल कपूर को बहुगुणा पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंप दी. कपूर लखनऊ में रहने लगे. कहते हैं कि एक दिन भड़ककर बहुगुणा ने यशपाल कपूर का बोरिया-बिस्तरा लखनऊ के अपने मुख्यमंत्री आवास से बाहर फिंकवा दिया.
इमरजेंसी केविरोध में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. इसी सिलसिले में वो लखनऊ भी गये. बहुगुणा ने उनको रोका नहीं. बल्कि रेड कारपेट वेलकम दिया. जयप्रकाश नारायण इतने प्रभावित हुए कि यूपी सरकार के खिलाफ एक भी प्रदर्शन नहीं किया. वापस हो गये. पर इंदिरा बहुगुणा से नाराज हो गईं.
कांग्रेस में फिर शामिल हुए, पर बच्चन ने करियर खत्म कर दिया।
हालांकि जनता पार्टी के बिखराव के बाद बहुगुणा 1980 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में दोबारा शामिल हो गए. 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए, तो इंदिरा गांधी ने हेमवती नंदन बहुगुणा को कांग्रेस में आने का निमंत्रण दिया और उनको प्रमुख महासचिव बनाया. 1980 में मध्यावधि चुनाव में बहुगुणा ने पूरी शक्ति के साथ चुनाव अभियान को संचालित किया. बहुगुणा गढ़वाल से जीते.
1980 के चुनाव के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा ने चौधरी चरण सिंह के बारे में कहा था, ‘इस चौधरी ने हमारा जीना हराम कर दिया. हम ही जानते हैं हम कैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में जीते हैं. यादवों का छह साल का लड़का भी हमारी पार्टी की जीप देख कर खड़ा हो जाता था और चौधरी की आलोचना तो दूर, उसका नाम आते ही ईंट चलाने लगता था.’
हेमवती नंदन बहुगुणा ने एक बार कहा था- विपक्ष की तो और बुरी हालत है. प्रधानमंत्री ने बुलाया नहीं कि विरोधी नेता कुत्ते की तरह से पूंछ हिलाते पहुंच जाते हैं.
चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई. पर इनको कैबिनेट में जगह नहीं मिली. इंदिरा का बदला लेने का अनूठा तरीका था. एकदम अपमानित कर देना. छह महीने के अंदर ही बहुगुणा ने कांग्रेस पार्टी के साथ ही लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दी. 1982 में इलाहाबाद की इसी सीट पर हुए उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी. लेकिन 1984 का चुनाव उनके लिए काल बनकर आया. राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को खड़ा कर दिया. पर बहुगुणा का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था. बहुगुणा ने अमिताभ के खिलाफ दबा के प्रचार भी किया था-
हेमवती नंदन इलाहाबाद का चंदन.
दम नहीं है पंजे में, लंबू फंसा शिकंजे में.
सरल नहीं संसद में आना, मारो ठुमका गाओ गाना.
बच्चन ने बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार वोट से हराया. बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर लोकदल में आये थे. यहां देवीलाल और शरद यादव ने उन पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिये, जिससे वो अंदर से टूट गये थे. इस हार के बाद बहुगुणा ने राजनीति से संन्यास ले लिया. पर्यावरण संरक्षण के कामों में लग गये. 3 साल बाद अमिताभ ने सीट छोड़ दी, राजनीति से संन्यास ले लिया.और उसी दौरान हेमवती नंदन बहुगुणा की मौत हो गई. क्या कहें राजनीति का.
बहुगुणा की एक बाईपास सर्जरी हो चुकी थी. डॉक्टरों ने कहा कि दूसरी कराने की जरूरत नहीं है. राजनीति से दूर रहेंगे तो आराम से रहेंगे. लेकिन बहुगुणा को आराम से बैठना गवारा नहीं था. उन्होंने डॉक्टरों से कह दिया कि बहुगुणा समोसे खाने और मजे करने के लिए पैदा नहीं हुआ है. ऑपरेशन तो करवाऊंगा.
बहुगुणा का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है
रीता बहुगुणा जोशी हेमवती नंदन की बेटी हैं. 67 साल की रीता यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. पर 2016 में उन्होंने अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा जॉइन कर ली. रीता बहुगुणा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रह चुकी हैं. हेमवती नंदन यहीं से पढ़े थे. रीता समाजवादी पार्टी की ओर से 1995 से 2000 तक इलाहबाद की मेयर भी रहीं. राष्ट्रीय महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकीं रीता ने बाद में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की कमान भी संभाली. फिर 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और इसी दौरान बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. 2012 में उन्होंने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता. 2014 में उन्होंने लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया लेकिन हार का सामना करना पड़ा. 2017 में वो भाजपा से लखनऊ कैंट से उम्मीदवार हैं.
मार्च 2016 में हेमवती के बेटे विजय ने भी भाजपा जॉइन कर ली थी. इलाहाबाद में जन्मे विजय बहुगुणा राजनीति में आने से पहले महाराष्ट्र हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने इलाहाबाद से राजनीति में कदम रखा. पर बहुत सफलता नहीं मिली. तो वो उत्तराखंड लौट गए. 1997 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी का सदस्य बनाया गया. विजय बहुगुणा को 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के कार्यकाल में उत्तराखंड योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2004 में वो 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए. इसके बाद 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुन लिए गए. 2012 के विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की वापसी हुई तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि लोकसभा चुनाव 2014 से पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा और उनकी जगह हरीश रावत ने ली. मार्च में उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों से संवैधानिक संकट खड़ा हुआ तो विजय बहुगुणा ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए.
बहुगुणा उन लोगों में से थे जो रोज अखबारों के अलावा मेनस्ट्रीम, इकॉनमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, टाइम और इकॉनमिक टाइम्स सब पढ़ते थे. वो एक बढ़िया वक्ता थे. हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी अच्छे से जानते थे. देश की खाद्यान समस्या, तेल समस्या, विदेश नीति,कानून व्यवस्था, माइनॉरिटीज प्रॉब्लम्स, कम्युनलिज्म, हिस्ट्री पर घंटों बोल सकते थे. हिंदुस्तान टाइम्स ने उस वक़्त बहुगुणा की एक स्पीच को पूरे एक पेज का कवरेज दिया था. उनके भाषण हमेशा फैक्ट से लैस होते थे. बहुगुणा अपने कपड़ों का विशेष ख्याल रखते थे. लखनऊ के पुराने लोग बताते हैं कि बहुगुणा मुख्यमंत्री थे तो समय-समय पर शास्त्रीय संगीत के आयोजनों में भी जाते थे. मुशायरे तो उन्हें बहुत पसंद थे. नारायण दत्त तिवारी को वो ‘लक्ष्मण’ कहते थे।
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 💐(C)आज के दिवस की ऐतिहासिक महत्त्वपूर्ण घटनाए।💐


1678  फ्रांसीसी सेना ने वाइप्रेस शहर पर कब्जा किया।
1707आलमांसा की लड़ाई; फ्रांस और स्पेनिस ने ब्रिटिश और पुर्तगाली को हराया।
1846मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध: टेक्सास की सीमाओं के सीमा विवादों से खुला संघर्ष शुरू हुआ।
1867जापान की राजधानी टोक्यो में विदेशी व्यापार की अनुमति दी गई।1891अमेरिकी राष्ट्रपति बेंजामिन हैरिसन सैन फ्रांसिस्को की यात्रा की।1901न्यूयॉर्क ऑटोमोबाइल, लाइसेंस प्लेटों का पहला अमेरिकी राज्य बना।1905दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों को मताधिकार मिला।
1925पॉल वाेन हिंडनबर्ग जर्मनी के राष्ट्रपति चुने गये।
1936ओगडेन की लड़ाई में इटली की जीत हुई।
1950कम्युनिस्ट जासूस जूडिथ कॉपल का परीक्षण न्यूयॉर्क शहर में शुरू हुआ।1954बेल लैब्स ने न्यूयार्क में पहली बार सोलर बैटरी बनाने की घोषणा की।1957सोडियम परमाणु रिएक्टर पहली बार प्रायोगिक तौर पर संचालित किया गया।
1981जापान के सुरूगा में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र में मरम्मत कार्य के दौरान 100 से अधिक मजदूर परमाणु विकिरण का शिकार हो गये।
1982दिल्ली में टेलीविजन पर पहली बार रंगीन प्रसारण की शुरुआत हुई
 1999 - वेस्टइंडीज के आल राउंडर खिलाड़ी कार्ल हूपर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्न्यास की घोषणा, वाशिंगटन में तीन दिवसीय नाटो शिखर सम्मेलन समाप्त, इस्रायल के राष्ट्रपति आईजर विजमैन चीन की सात दिवसीय राजकीय यात्रा पर बीजिंग पहुँचे।
 2003 - फ़िलिस्तीन में नये मंत्रिमंडल के गठन पर सहमति होने के साथ ही अमेरिका समर्थित शांति योजना का रास्ता साफ। 
2004 - जिम्बाव्वे में श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक दिवसीय मैचों में न्यूनतम 35 रनों का रिकार्ड बनाया। यूनानी साइप्रस ने एकीकरण योजना ठुकराई। चीन में सार्स की बीमारी एक बार फिर से फैलने की पुष्टि हुई।
2005जापान के अमागासाकी में एक रेल दुर्घटना में 107 लोग मारे गये।
 2007 - विरला इंस्टीट्यूट आफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज का नया परिसर पनामा (बहरीन) में खुला।
 2008- बालीवुड के प्रसिद्ध कलाकार व निर्देशक आमीर ख़ान को सिनेमा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान का विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया।
 2010 - भारतीय नौसेना ने पुराने हो चुके चेतक हेलीकाप्टरों की जगह नए लाइट यूटिलिटी हेलीकाप्टर (एलयूएच) ख़रीदने की प्रक्रिया शुरू की। 
2013ब्रिटेन ने सोमालिया में अपना दूतावास 22 वर्षा के अंतराल के बाद पुन: खोला।
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💐(D) आज के दिन जन्मे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व💐 


1900 - ग्लेडविन जेब - संयुक्त राष्ट्र के
1904 - चन्द्रबली पाण्डेय, साहित्यकार  प्रथम महासचिव के चुनाव तक कार्यवाहक महासचिव थे
1919 - हेमवती नंदन बहुगुणा - उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहने वाले
1969 - आई. एम. विजयन - भारत के प्रसिद्ध फ़ुटबॉल खिलाड़ी हैं।
 जानेमाने राजनीतिज्ञ और राजनेता थे। 
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   💐(E)आज के दिन निधन हुवे महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व💐


2005 भारत की सुप्रसिद्ध  अभिनेत्री     तंगुतुरी सूर्यकुमारी  का निधन   
2009 संयुक्त राज्य अमेरिका की सुप्रसिद्ध  अभिनेत्री  बीए आर्थर का 
निधन 
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   💐(F) आज के दिन के राष्ट्रीय     
      दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस💐
दिवस का नामउत्सव का स्तरविश्व 
मलेरिया दिवसअन्तरराष्ट्रीय दिवस
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       आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना ही।कल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।
      आज जन्म लिये  सभी  व्यक्तियोंको आज के दिन की बधाई। आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई।  बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप सभी को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।
💐।जय चित्रांश।💐
💐जय महाकाल,बोले सो निहाल💐
💐।जय हिंद जय भारत💐


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