प्रिय साथियो।
💐राम-राम💐
💐 नमस्ते💐
आज की बात आपके साथ मे आप सभी साथीयों का
दिनांक 26 मार्च 2020 गुरुवार चैत्रीय नवरात्रि पर्व के द्वितीय बृह्मचारिणी देवी दिवस की प्रातः की बेला में आप सभी को हार्दिक बधाई आप सभी का कोरोना कर्फ्यू द्वितीय दिवस में वंदन है अभिनन्दन है।
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💐आज की बात आपके साथ अंक मे है 💐
A कुछ रोचक समाचार
B आज के दिन जन्मी हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका कवीयत्री महादेवी वर्मा का जीवन परिचय लेख💐।
C आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
D आज के दिन जन्म लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
E आज के निधन हुवे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व।
F आज का दिवस का नाम ।
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(A )कुछ रोचक समाचार(संक्षिप्त)
💐(A/1)मोदी बोले- महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता था, कोरोना से 21 दिन में जीत की कोशिश।💐
💐(A/2)MPथप्पड़ कांडसेचर्चा मेंआईथींDM-SDM
,को शिवराज सरकार ने हटाया💐
💐(A/3)कल जी-20 सम्मलेन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शिरकत करेंगे पीएम मोदी,कोरोना पर बनेगा एक्शन प्लान💐
💐(A/4प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री निम्मी ने 88 की उम्र अपनी अंतिम सांस ली उनका मुम्बई में निधन💐
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(A) कुछ रोचक समाचार(विस्तृत)
💐(A/1)मोदी बोले- महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता था, कोरोना से 21 दिन में जीत की कोशिश।💐
महामारी कोरोना वायरस को लेकर पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि महाराभारत का युद्ध 18 दिन में जीता था, कोरोना से 21 दिन में जीत की कोशिश है।.
💐वाराणसी के लोगों से पीएम मोदी ने की बात💐
💐पीएम मोदी बोले 21 दिन में जीतेंगे यह युद्ध💐
कोरोनावायरस से जंगका ऐलानकरने केबादप्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से मुखातिबहुए।पीएम मोदी नेवीडियोकॉन्फ्रेंसिंग
के जरिए वाराणसी के लोगों से बात की। प्रधानमंत्री ने काशी के लोगों को कोरोना वायरस के खतरे के बारे में बताया और कहा कि 21 दिन में हम ये युद्ध जीत लेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि महाराभारत का युद्ध 18 दिन में जीता था, कोरोना से 21 दिन में जीत की कोशिश है.
पीएम मोदी ने कहा कि महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था, आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले हैं. हमारा प्रयास है इसे 21 दिन में जीत लिया जाए.
देश को संबोधित करने के एक दिन बाद बुधवार को काशी के लोगों से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण महारथी, सारथी थे, आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते पर हमें कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीतना है. इसमें काशीवासियों की बहुत बड़ी भूमिका है.
💐पीएम ने बताया- काशी देश को क्या सिखा सकती है💐
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी का अनुभव शाश्वत, सनातन, समयातीत है और इसलिए, आज लॉकडाउन की परिस्थिति में काशी देश को सिखा सकती है- संयम, समन्वय, संवेदनशीलता. काशी देश को सिखा सकती है- सहयोग, शांति, सहनशीलता. काशी देश को सिखा सकती है- साधना, सेवा, समाधान।.
काशी के महत्व को बताते हुए पीएम ने कहा कि काशी का तो अर्थ ही है- शिव. शिव यानी कल्याण. शिव की नगरी में, महाकाल-महादेव की नगरी में संकट से जुझने का, सबको मार्ग दिखाने का सामर्थय है.इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोगों को घरों में रहने को कहा।
पीएम ने कहा कि कोरोना बीमारी के देखते हुए देशभर में व्यापक तैयारियां की जा रही है. सभी को इस समय घरों में रहना अति आवश्यक है. यही इस बीमारी से बचने का बेहतर उपाय है।
पीएम मोदी ने इस दौरान हेल्पलाइन नंबर की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कोरोना से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार नेWhatsApp के साथ मिलकर एक हेल्पडेस्क भी बनाई है।.
पीएम ने कहा कि अगर आपके पास WhatsApp की सुविधा है तो आप इस नंबर 9013151515 पर 'नमस्ते' खिलकर भेजेंगे तो आपको उचित जवाब मिलना शुरू हो जाएगा।.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से संक्रमित दुनिया में 1 लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं. भारत में भी दर्जनों लोग कोरोना के शिकंजे से बाहर निकले हैं।.
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💐(A/2)MPथप्पड़ कांडसेचर्चा मेंआईथींDM-SDM
,को शिवराज सरकार ने हटाया💐
शिवराज सरकार ने सत्ता संभालने के 24 घंटे के अंदर ही राजगढ़ की जिलाधिकारी निधि निवेदिता और एसडीएम प्रिया वर्मा को हटा दिया है।. यह दोनों ही अधिकारी उस वक्त चर्चा में आई थीं, जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता को थप्पड़ जड़ दिया था।.
💐24 घंटे के अंदर शिवराज सरकार ने लिया फैसला
💐शिवराज सरकार ने 24 घंटे के अंदर लिया हटाने का निर्णय💐
💐राजगढ़ पहुंचकर खुद शिवराज ने किया था विरोध-प्रदर्शन💐
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने सत्ता संभालने के 24 घंटे के अंदर ही राजगढ़ की जिलाधिकारी निधि निवेदिता और एसडीएम प्रिया वर्मा को हटा दिया है।. यह दोनों ही अधिकारी उस वक्त चर्चा में आई थीं, जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता को थप्पड़ जड़ दिया था।.
इन दोनों ही अधिकारियों को हटाने का आदेश मंगलवार की शाम को सरकार ने जारी कर दिया था। मुख्यमंत्री बनने के 24 घंटे के अंदर शिवराज सिंह चौहान ने दोनों अधिकारियों को हटा दिया है।. दोनों महिला अधिकारी उस वक्त सुर्खियों में आ गई थीं, जब राजगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में रैली निकालने वाले बीजेपी नेताओं को इन्होंने ना केवल रैली निकालने से रोका, बल्कि उनके साथ बदसलूकी भी की थी।.
इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा ने दोनों ही अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।. भाजपा इस मामले को लेकर लगातार हमलावर रही थी।. भाजपा ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए।. तब शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे गोपाल भार्गव और पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भी राजगढ़ गए थे।.
भाजपा के प्रदेश स्तरीय शीर्ष नेताओं ने राजगढ़ पहुंचकर जिलाधिकारी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।. भाजपा के नेता दोनों अधिकारियों को तत्काल पद से हटाने की मांग कर रहे थे।. पार्टी की ओर से निधि निवेदिता और प्रिया वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने की भी मांग की जा रही थी।.
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(A/3)कल जी-20 सम्मलेन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शिरकत करेंगे पीएम मोदी, कोरोना पर बनेगा एक्शन प्लान।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे कल इस मुद्दे पर प्रभावी और लाभकारी चर्चा की उम्मीद कर रहे हैं. जी-20 की इस बैठक में कोरोना वायरस के असर और इसके इलाज को लेकर व्यापक चर्चा होगी. जी-20 देश इस दौरान पैकेज की घोषणा कर सकते हैं.
💐 सार्क के बाद जी-20 सम्मेलन में पीएम💐
💐 कोरोना से लड़ने को बनेगी रणनीति💐
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कोरोना वायरस पर जी-20 सम्मेलन में शिरकत करेंगे. कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार ये सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहा है. इसलिए इसे जी-20 वर्चुअल समिट नाम दिया गया है. इस बार जी-20 सम्मेलन के आयोजन का जिम्मा सऊदी अरब के पास है.।.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया, "कोविड-19 महामारी का सामना करने में जी-20 एक अहम रोल अदा करने वाला है."
💐कोरोना से मुकाबले के लिए एक्शन प्लान💐
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे कल इस मुद्दे पर प्रभावी और लाभकारी चर्चा की उम्मीद कर रहे हैं. जी-20 की इस बैठक में कोरोना वायरस के असर और इसके इलाज को लेकर व्यापक चर्चा होगी. जी-20 देश इस दौरान पैकेज की घोषणा कर सकते हैं।.
जी-20 सम्मेलन में 19 औद्योगिक देश और यूरोपियन यूनियन शिरकत कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने जा रहे इस सम्मेलन में कोरोना से लड़ने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक ये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग गुरुवार शाम को 5.30 बजे से लकर शाम 7 बजे तक हो सकती है।.
💐दुनिया में कोरोना से 19 हजार से ज्यादा मौतें💐
कोरोना वायरस से इस वक्त 172 देश प्रभावित हैं. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से 4 लाख 38 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं. जबकि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या साढ़े उन्नीस हजार पार कर चुकी है.
अच्छी बात ये है कि दुनिया भर में 1 लाख 11 हजार लोगों का इलाज भी हो चुका है. जी-20 सम्मेलन में इस बीमारी के आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक प्रभाव पर भी चर्चा होगी।
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💐(A/4प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री निम्मी ने 88 की उम्र अपनी अंतिम सांस ली उनका मुम्बई में निधन💐
बीते दौर की मशहूर एक्ट्रेस निम्मी का मुंबई में निधन हो गया है. वे पिछले कई महीनों से बीमार चल रही थीं. उनकी उम्र 88 साल थी. मुंबई के सरला नर्सिंग होम में उन्होंने अंतिम अंतिम सांसें ली.
💐निम्मी💐
बीते दौर की मशहूर एक्ट्रेस निम्मी का मुंबई में निधन हो गया है. वे पिछले कई महीनों से बीमार चल रही थीं. उनकी उम्र 88 साल थी. मुंबई के सरला नर्सिंग होम में शाम छह बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली. निम्मी ने 16 साल फिल्मों में काम किया. साल 1949 से लेकर 1965 तक वे फिल्मों में सक्रिय रहीं. उन्हें अपने दौर की बेहतरीन एक्ट्रेस के तौर पर शुमार किया जाता था. उनका असली नाम 'नवाब बानो' था. निम्मी ने एस अली राजा से शादी की थी जिनका 2007 में देहांत हो गया था.
💐राज कपूर ने अपनी फिल्म में दिया था निम्मी को ब्रेक💐
निम्मी को राजकपूर की पहली खोज भी कहा जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने ही नवाब बानो का नाम बदलकर निम्मी रखा था. राजकपूर ने उन्हें अपनी फिल्म बरसात में ब्रेक दिया था. इस फिल्म के हिट होने के बाद निम्मी ने कई फिल्मों में काम किया. वे आन, उड़न खटोला, भाई भाई, कुंदन, मेरे महबूब जैसी तमाम फिल्मों में काम कर लोकप्रियता हासिल कर चुकी हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार वे अपने करियर के शुरुआती दिनों में निम्मी काफी डिमांड में थीं. कहा जाता है कि दिलीप कुमार से लेकर राज कपूर, अशोक कुमार, धर्मेंद्र जैसे कई बड़े सितारे उनके साथ काम करने को लेकर उत्सुक थे. निम्मी के निधन को लेकर मशहूर फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट ने भी ट्वीट किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
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💐(B) आज के दिन जन्मी हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका कवीयत्री महादेवी वर्मा का जीवन परिचय लेख💐
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (26 मार्च1907 से11 सितंबर1987)
हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों
[क] में सेएक मानी जाती हैं।आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त महिलाकवि में से एक होने के कारण उन्हें मीरा
के नामसे भीजाना जाता है। कवि निराला नेउन्हें“हिन्दी
के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है। महादेवी ने स्वतंत्रता के पहले का भारत भी देखा और उसके बाद का भी। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की।उन्होंनेनकेवल उनका काव्य बल्कि उनक समाजसुधार
के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना भी इस दृष्टि सेप्रभावित रहे।उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा केरूप में स्थापित हुई औरउसने केवलपाठकों
को ही नहीं समीक्षकोंको भी गहराई तक प्रभावितकिया
महादेवी वर्मा
जन्म:- 26 मार्च 1907
जन्मस्थान;- फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व
अवध, ब्रिटिश राज
मृत्यु;- 11 सितम्बर 1987 (उम्र 80)
मृत्युस्थल:- इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश-भारत
व्यवसाय;- उपन्यासकार, कवयित्री, लघुकथा
लेखिका
राष्ट्रीयता;- भारतीय
उच्चशिक्षा:- संस्कृत, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से
अवधि/काल;-बीसवीं शताब्दी
साहित्यिक आन्दोलन- छायावाद
उल्लेखनीय कार्यsयम;- मेरा परिवार,–पथ के साथी
उल्लेखनीय सम्मान;-1956: पद्म भूषण
1982: ज्ञानपीठ पुरस्कार
1988: पद्म विभूषण
जीवनसाथी:~ डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा
उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जोअभी तक केवल बृज
भाषा में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत और बांग्ला के कोमल शब्दों को चुनकर हिन्दी का जामा पहनाया। संगीत की भी जानकार होने के कारण उनके गीतों का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अध्यापन से अपने कार्यजीवन की शुरूआत की और अंतिम समय तक वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनी रहीं। उनका बाल-विवाह हुआ परंतु उन्होंनेअविवाहितकी भांतिजीवन-यापन किया प्रतिभा
वान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होनेके साथ-साथ कुशलचित्रकार
और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं।उन्हें हिन्दी साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। भारत के साहित्य आकाश में महादेवी वर्मा का नाम ध्रुवतारे कीभांति प्रकाशमान हैगतशताब्दी कीसर्वाधिक
लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं।
वर्ष 2007 कोउनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। 2अप्रैल1982 को भारतीय साहित्य मेंअतुलनीय
योगदान केलिएज्ञानपीठ पुरस्कारसेइन्हें सम्मानितकिया
गया था।गूगल ने इस दिवस की याद में वर्ष 2018 में गूगल डूडल के माध्यम से मनाया।
💐जीवनी💐
मुख्य लेख: महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
💐जन्म और परिवार💐
महादेवी का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। उनके परिवार में लगभग 200 वर्षों या सात पीढ़ियों के बाद पहली बार पुत्री का जन्म हुआ था। अतः बाबा बाबू बाँकेविहारी जी हर्ष से झूम उठे और इन्हें घर की देवी-महादेवी मानते हुए पुत्री का नाम महादेवी रखा। उनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। उनकी माता का नाम हेमरानी देवी था। हेमरानी देवी बड़ी धर्म परायण, कर्मनिष्ठ, भावुक एवं शाकाहारी महिला थीं। विवाह के समय अपने साथ सिंहासना धीन भगवान की मूर्ति भी लायी थीं । वे प्रतिदिन कई घंटे पूजा-पाठ तथा रामायण, गीता एवं विनय पत्रिका का पारायण करती थीं और संगीत में भी उनकी अत्यधिक रुचि थी। इसके बिल्कुल विपरीत उनके पिता गोविन्द प्रसाद वर्मा सुन्दर, विद्वान, संगीत प्रेमी, नास्तिक, शिकार करने एवं घूमने के शौकीन, मांसाहारी तथा हँसमुख व्यक्ति थे। महादेवीवर्मा के मानस बंधुओं में सुमित्रानंदन पंत जी
एवं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का नाम लिया जा सकता है, जो उनसे जीवन पर्यन्त राखी बँधवाते रहे।महादेवी की निराला जी से अत्यधिक निकटता थी।, उनकी पुष्ट कलाइयों में महादेवी जी लगभग चालीस वर्षों तक राखी बाँधती रहीं।
💐शिक्षा💐
महादेवी जी की शिक्षा इंदौर में मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई साथ ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही। बीच में विवाहजैसी बाधा पड़ जाने के कारण कुछ दिनशिक्षा
स्थगित रही। विवाहोपरान्त महादेवी जी ने क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबादमें प्रवेश लियाऔर कॉलेज के छात्रा
वास में रहने लगीं। 1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यहीं पर उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत की। वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं। और 1925 तक जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की, वे एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मेंआपकी कविताओं का प्रका
शन होने लगा था। कालेज में सुभद्रा कुमारी चौहान के साथउनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई।सुभद्रा कुमारी चौहान महादेवी जी का हाथ पकड़ कर सखियों के बीच में ले जाती और कहतीं"सुनो,ये कविता भी लिखती हैं1932
में जब उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया तब तक उनके दो कविता संग्रह
नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुके थे।
💐वैवाहिक जीवन💐
सन् 1916 में उनके बाबा श्री बाँके विहारी ने इनका विवाह बरेली के पास नबाव गंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया,जो उस समय दसवीं कक्षा के विद्यार्थीथे।श्री वर्मा इण्टर करके लखनऊ मेडि
कल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहने लगे। महादेवी जी उस समय क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद के छात्रावास में थीं।श्रीमतीमहादेवीवर्माको विवाहितजीवन सेविरक्ति
थी। ₹कारण कुछ भी रहा हो पर श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कोई वैमनस्य नहीं था। सामान्य स्त्री-पुरुष के रूप में उनके सम्बंध मधुर ही रहे। दोनों में कभी-कभी पत्राचार भी होता था। यदा-कदा श्री वर्मा इलाहाबाद में उनसे मिलने भी आते थे।श्री वर्मा ने महादेवीजीकेकहने
पर भी दूसरा विवाह नहीं किया।महादेवी जी का जीवन तो एक संन्यासिनी का जीवन था। उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र पहना, तख्त पर सोईं और कभी शीशा नहीं देखा। सन् 1966 में पति की मृत्यु के बाद वे स्थाई रूप से इलाहाबाद में रहने लगीं।
💐कार्यक्षेत्र💐
महादेवी का कार्यक्षेत्र लेखन, संपादन और अध्यापन रहा। उन्होंने इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। यह कार्य अपने समय में महिला-शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम था। इसकी वे प्रधानाचार्य एवं कुलपति भी रहीं। 1923 में उन्होंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका ‘चाँद’ का कार्यभार संभाला। 1930 में नीहार, 1932 में रश्मि, 1934 में नीरजा,तथा1936में सांध्यगीतनामक उनकचारकविता
संग्रह प्रकाशित हुए। 1939 में इन चारों काव्य संग्रहों को उनकी कलाकृतियों के साथ वृहदाकार में यामा
शीर्षक से प्रकाशित किया गया। उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये। इसके अतिरिक्त उनकी 18 काव्य और गद्य कृतियां हैं जिनमें मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ और
अतीत के चलचित्र प्रमुख हैं। सन 1955 में महादेवी जी ने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की और पं इलाचंद्र जोशी के सहयोग से साहित्यकार का संपादन संभाला। यह इस संस्था का मुखपत्र था। उन्होंने भारत में महिला कवि सम्मेलनों की नीव रखी।इस प्रकार का पहलाअखिल भारतवर्षीय कविसम्मेलन
13 अप्रैल1933को सुभद्रा कुमारी चौहानकीअध्यक्षता
में प्रयाग महिलाविद्यापीठ में संपन्न हुआ।वेहिंदीसाहित्य
में रहस्यवाद की प्रवर्तिका भी मानी जाती हैं महादेवी
बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित थीं।महात्मा गांधी के प्रभाव से उन्होंने जनसेवा का व्रत लेकर झूसी में कार्य किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। 1936 में नैनीताल से25 किलोमीटर दूर रामगढ़ कसबे के उमागढ़ नामक गाँव में महादेवी वर्मा ने एक बँगला बनवाया था। जिसका नाम उन्होंने मीरा मंदिर रखा था। जितने दिन वे यहाँ रहीं इस छोटे से गाँव की शिक्षा और विकासके लिएकाम करती रहीं।विशेष रूपसेमहिलाओं
की शिक्षा और उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने बहुत काम किया। आजकल इस बंगले को महा
-देवी साहित्य संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। शृंखला की कड़ियाँ में स्त्रियों की मुक्ति और विकास के लिए उन्होंने जिस साहस व दृढ़ता से आवाज़ उठाई हैं और जिस प्रकार सामाजिक रूढ़ियों की निंदा की है उससे उन्हें महिला मुक्तिवादी भी कहा गया।
महिलाओं व शिक्षा के विकास के कार्यों और जनसेवा के कारण उन्हें समाज-सुधारक भी कहा गया है। उनके संपूर्ण गद्य साहित्य में पीड़ाया वेदना के कहीं दर्शन नहीं होते बल्कि अदम्य रचनात्मक रोष समाज में बदलाव की अदम्य आकांक्षा और विकास के प्रति सहज लगाव परिलक्षित होता है।
उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में बिताया। 11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में रात 9 बजकर 30 मिनट पर उनका देहांत हो गया।
💐प्रमुख कृतियाँ💐
मुख्य लेख: महादेवी वर्मा की रचनाएँ
महादेवी जी कवयित्री होने के साथ-साथ विशिष्ट गद्यकार भी थीं। उनकी कृतियाँ इस प्रकार हैं।
.पन्थ तुम्हारा मंगलमय हो। महादेवी के हस्ताक्षर
💐महादेवी वर्मा की प्रमुख गद्य रचनाएँ💐
कविता संग्रह
1.. नीहार (1930), 2.रश्मि (1932)
3. नीरजा (1934) 4. सांध्यगीत (1936)
5. दीपशिखा (1942)
6. सप्तपर्णा (अनूदित-1959)
7. प्रथम आयाम (1974)
8. अग्निरेखा (1990)
श्रीमती महादेवी वर्मा के अन्य अनेक काव्य संकलन भी प्रकाशित हैं, जिनमें उपर्युक्त रचनाओं में से चुने हुए गीत संकलित किये गये हैं जैसे आत्मिका,परिक्रमा,
सन्धिनी 19Yयामा (1936),गीतपर्व,दीपगीत,स्मारिकानीलांबरा और आधुनिक कवि महादेवी आदि।
💐महादेवी वर्मा का गद्य साहित्य💐
रेखाचित्र: अतीत के चलचित्र (1941) और स्मृति की रेखाएं (1943),
संस्मरण: पथ के साथी (1956) और मेरा परिवार (1) और संस्मरण (1983)
💐चुने हुए भाषणोंका संकलन: संभाषण (1974)💐
निबंध: शृंखला की कड़ियाँ (1942), विवेचनात्मक गद्य (1942), साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (1962), संकल्पिता (1969)
ललित निबंध: क्षणदा (1956)
कहानियाँ: गिल्लू
संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह: हिमालय (1963),
अन्य निबंध में संकल्पिता तथा विविध संकलनों में स्मारिका, स्मृति चित्र, संभाषण, संचयन, दृष्टिबोध उल्लेखनीय हैं। वे अपने समय की लोकप्रिय पत्रिका ‘चाँद’ तथा ‘साहित्यकार’ मासिक की भी संपादक रहीं। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने प्रयाग में ‘साहित्यकार संसद’ और रंगवाणी नाट्य संस्था की भी स्थापना की।
💐महादेवी वर्मा का बाल साहित्य💐
महादेवीवर्मा की बाल कविताओं के दो संकलन छपे हैं।
1.ठाकुरजी भोले हैं
2.आज खरीदेंगे हम ज्वाला
💐समालोचना💐
💐मुख्य लेख: महादेवी की काव्यगत विशेषताएँ💐
आधुनिक गीत काव्य में महादेवी जी का स्थान सर्वोपरि है। उनकी कविता में प्रेम की पीर और भावों की तीव्रता वर्तमानहोने केकारण भाव,भाषाऔर संगीत की त्रिवेणी
जैसी उनके गीतों में प्रवाहित होती है वैसी अन्यत्र दुर्लभ है। महादेवी के गीतों की वेदना, प्रणयानुभूति, करुणा और रहस्यवाद काव्यानुरागियों को आकर्षित करते हैं। पर इन रचनाओं कीविरोधीआलोचनाएँ सामान्य पाठक को दिग्भ्रमित करती हैं। आलोचकों का एक वर्ग वह है, जो यह मानकर चलते हैं किमहादेवी का काव्य नितान्त वैयक्तिक है।उनकी पीड़ा, वेदना, करुणा, कृत्रिम और बनावटी है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे मूर्धन्य आलोचकों ने उनकी वेदना औरअनुभूतियों की सच्चाई पर प्रश्न चिह्न लगाया है वही दूसरी ओर आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जैसे समीक्षक उनके काव्य को समष्टि परक मानते हैं।
शोमेर ने ‘दीप’ (नीहार), मधुर मधुर मेरे दीपक जल (नीरजा) और मोम सा तन गल चुका है कविताओं को उद्धृत करते हुए निष्कर्ष निकाला है कि ये कविताएं महादेवी के ‘आत्मभक्षी दीप’अभिप्राय को ही व्याख्या
-यित नहींकरतीं बल्कि उनकी कविता की सामान्य मुद्रा और बुनावट काप्रतिनिधि रूप भी मानीजा सकती हैं।
सत्यप्रकाश मिश्र छायावाद से संबंधित उनकी शास्त्र मीमांसा के विषय में कहते हैं ― “महादेवी ने वैदुष्य युक्त तार्किकता और उदाहरणों के द्वारा छायावाद और रहस्यवाद के वस्तु शिल्प की पूर्ववर्ती काव्य से भिन्नता तथा विशिष्टता ही नहीं बतायी, यह भी बताया कि वह किनअर्थों में मानवीय संवेदन के बदलाव और अभि
व्यक्तिके नयेपन का काव्य है। उन्होंने किसी पर भाव साम्य,भावोपहरण आदि का आरोप नहीं लगाया केवल छायावाद के स्वभाव, चरित्र, स्वरूप और विशिष्टता का वर्णन किया।
प्रभाकर श्रोत्रिय जैसे मनीषी का मानना है कि जो लोग उन्हें पीड़ा और निराशा की कवयित्री मानते हैं वे यह नहीं जानते कि उस पीड़ा में कितनी आग है जो जीवन के सत्य को उजागर करती है।
यह सच है कि महादेवी का काव्य संसार छायावाद की परिधि में आता है, पर उनके काव्य को उनके युग से एकदम असम्पृक्त करके देखना, उनके साथ अन्याय करना होगा। महादेवी एक सजग रचनाकार हैंबंगाल के अकाल के समय १९४३ में इन्होंने एक काव्य संकलन प्रकाशित किया था और बंगाल से सम्बंधित “बंग भू शत वंदना” नामक कविता भी लिखी थी। इसी प्रकार चीन के आक्रमण के प्रतिवाद में हिमालय नामक काव्य संग्रह का संपादन किया था।यह संकलन उनकेयुगबोध
का प्रमाण है।
गद्य साहित्य के क्षेत्र में भी उन्होंने कम काम नहींकिया।
उनका आलोचना साहित्य उनके काव्य की भांति ही महत्वपूर्ण है। उनके संस्मरण भारतीय जीवन के संस्मरण चित्र हैं।
उन्होंने चित्रकला का काम अधिक नहीं किया फिर भी जलरंगों में ‘वॉश’ शैली से बनाए गए उनके चित्र धुंधले रंगों और लयपूर्ण रेखाओं का कारण कला के सुंदर नमूने समझे जाते हैं। उन्होंने रेखाचित्र भी बनाए हैं। दाहिनी ओर करीन शोमर की क़िताब के मुखपृष्ठ पर महादेवी द्वारा बनाया गया रेखाचित्र ही रखा गया है। उनके अपने कविता संग्रहों यामा और दीपशिखा में उनके रंगीन चित्रों और रेखांकनों को देखा जा सकता है।
💐पुरस्कार व सम्मान💐
उन्हें प्रशासनिक, अर्धप्रशासनिक और व्यक्तिगत सभी संस्थाओँ से पुरस्कार व सम्मान मिले।
1943 में उन्हें ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ एवं ‘भारत भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद 1952 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या मनोनीत की गयीं। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये ‘पद्म भूषण’ की उपाधि दी। 1979 में साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण करने वाली वे पहली महिला थीं। 1988 में उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार की पद्म विभूषण उपाधि से सम्मानित किया गया।
सन 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय, 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय,नैनीताल,1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय
तथा 1984 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने उन्हें डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया।
इससे पूर्व महादेवी वर्मा को ‘नीरजा’ के लिये 1934 में ‘सक्सेरिया पुरस्कार’, 1942 में ‘स्मृति की रेखाएँ’ के लिये ‘द्विवेदी पदक’ प्राप्त हुए। ‘यामा’ नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।[ वे भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में भी शामिल हैं।1968 मेंसुप्रसिद्ध भारतीय फ़िल्मकार मृणाल सेन ने उनके संस्मरण ‘वह चीनी भाई’ पर एक बांग्ला फ़िल्म का निर्माण किया था जिसका नाम था नीलआकाशेर नीचे।
16 सितंबर 1991 को भारत सरकार के डाकतार विभाग ने जयशंकर प्रसाद के साथ उनके सम्मान में 2 रुपए का एक युगल टिकट भी जारी किया है।
💐महादेवी वर्मा का योगदान💐
💐महादेवी से जुड़े विशिष्ट स्थल💐
साहित्य में महादेवी वर्मा का आविर्भाव उस समय हुआ जब खड़ीबोली का आकार परिष्कृत हो रहा था। उन्होंने हिन्दी कविता को बृजभाषा की कोमलता दी, छंदों के नये दौर को गीतों का भंडार दिया और भारतीय दर्शन को वेदना की हार्दिक स्वीकृति दी। इस प्रकार उन्होंने भाषा साहित्य और दर्शन तीनों क्षेत्रों में ऐसा महत्त्वपूर्ण काम किया जिसने आनेवाली एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया। शचीरानी गुर्टू ने भी उनकी कविता को सुसज्जित भाषा का अनुपम उदाहरण माना जाता है उन्होंने अपने गीतों की रचना शैली और भाषा में अनोखी लय और सरलता भरी है, साथ ही प्रतीकों और बिंबों का ऐसा सुंदर और स्वाभाविक प्रयोग किया है जो पाठक के मन में चित्र सा खींच देता है।छायावादी काव्य की समृद्धि में उनका योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।छायावादी काव्य को जहाँ प्रसाद नेप्रकृतितत्त्व दिया,
निराला ने उसमें मुक्तछंद की अवतारणा की और पंत ने उसे सुकोमल कला प्रदान की वहाँ छायावाद के कलेवर में प्राण-प्रतिष्ठा करने का गौरव महादेवीजी को ही प्राप्त है। भावात्मकता एवं अनुभूति की गहनता उनके काव्य की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है।हृदय कीसूक्ष्मातिसूक्ष्म
भाव-हिलोरों का ऐसा सजीव और मूर्त अभिव्यंजन ही छायावादी कवियों में उन्हें ‘महादेवी’ बनाता है।वे हिन्दी बोलने वालों में अपने भाषणों के लिए सम्मान के साथ याद की जाती हैं। उनके भाषण जन सामान्य के प्रति संवेदना और सच्चाई के प्रति दृढ़ता से परिपूर्ण होते थे। वे दिल्ली में 1983 में आयोजित तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर दिये गये उनके भाषण में उनके इस गुण को देखा जा सकता है।
यद्यपि महादेवी ने कोई उपन्यास, कहानी या नाटक नहीं लिखा तो भी उनके लेख, निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, भूमिकाओं और ललित निबंधों में जो गद्य लिखा है वह श्रेष्ठतम गद्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। उसमें जीवन का संपूर्ण वैविध्य समाया है। बिना कल्पना और काव्यरूपों का सहारा लिए कोई रचनाकार गद्य में कितना कुछ अर्जित कर सकता है, यह महादेवी को पढ़कर ही जाना जा सकता है। उनके गद्य में वैचारिक परिपक्वताइतनी है किवह आज भी प्रासंगिक है।
समाज सुधार और नारी स्वतंत्रता से संबंधित उनके विचारों में दृढ़ता और विकास का अनुपम सामंजस्य मिलता है। सामाजिक जीवन की गहरी परतों को छूने वाली इतनी तीव्र दृष्टि, नारी जीवन के वैषम्य और शोषण को तीखेपन से आंकने वाली इतनी जागरूक प्रतिभा और निम्न वर्ग के निरीह, साधनहीन प्राणियों के अनूठे चित्र उन्होंने ही पहलीबार हिंदी साहित्य कोदिये।
मौलिक रचनाकार के अलावा उनका एक रूप सृजना
त्मक अनुवादक का भी है जिसके दर्शन उनकी अनुवाद-कृत ‘सप्तपर्णा’ (1960) में होते हैं।अपनी सांस्कृतिक चेतना केसहारे उन्होंने वेद,रामायण, थेर
गाथा तथा अश्वघोष, कालिदास, भवभूति एवं जयदेव की कृतियों से तादात्म्य स्थापित करके 39 चयनित महत्वपूर्ण अंशों का हिन्दी काव्यानुवाद इस कृति में प्रस्तुत किया है। आरंभ में 61 पृष्ठीय ‘अपनी बात’ में उन्होंने भारतीय मनीषा और साहित्य की इस अमूल्य धरोहर के सम्बंध में गहन शोधपूर्ण विमर्ष किया है जो
केवल स्त्री-लेखन को ही नहीं हिंदीके समग्रचिंतनपरक
और ललित लेखन को समृद्ध करता है।
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💐(C)आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ 💐
1974 - लाता गाँव, हेन्वाल घाटी, गढ़वाल हिमालय में गौरा देवी के नेतृत्व में 27 महिलाओं के एक समूह ने पेड़ों को बचाने के लिए पेड़ों के आसपास घेरा बना लिया और उन्हें अपने इस प्रयास से भारत में चिपको आंदोलन को आरंभ किया।
1995 - 15 सदस्यीय यूरोपीय यूनियन के सात देशों के बीच आंतरिक सीमा नियंत्रण समाप्त।
1998 - चीन ने अमेरिकी इरीडियम नेटवर्क के दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
1999 - द. अफ़्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने देश की प्रथम प्रजातांत्रिक संसद के विघटन की घोषणा की।
2001 - केन्या में छात्रावास में आठ लगने से 58 छात्र मरे।
2003 - पाकिस्तान ने 200 कि.मी. की दूरी तक मार करने वाली परमाणु प्रक्षेपास्त्र 'अब्दाली' का परीक्षण किया।
2006 - मेलबर्न में 18वें राष्ट्रमंडल खेलों का समापन।
2008 - भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड कोष में 2.90 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में बोर्ड के पूर्व
अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को गिरफ़्तार किया गया।
टाटा मोटर्स ने अमेरिकी कंपनी 'जगुआर' व 'लैंड रोवर' का अधिग्रहण किया।
युसुफ़ रजा गिलानी ने पाकिस्तान के 25वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
भारत व पाकिस्तान ने एक-दूसरे के युद्ध बन्दियों को रिहा करने के लिए विदेश मंत्रालय स्तर पर बातचीत शुरू की।
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💐(D)आज के दिन को जन्मे प्रमुख व्यक्तित्व💐
1893 - धीरेन्द्र नाथ गांगुली, बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक
1907 - महादेवी वर्मा, हिन्दी कवयित्री और हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक
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💐(E) 26 मार्च को हुए निधन 2006 💐
(1). अनिल बिस्वास, भारतीय राजनीतिज्ञ।
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💐आज26 मार्च के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव💐
1 चैत्र नवरात्रि पर्व,एवम जनता कर्फ्यू का दूसरा दिवस
2भारतीय राजनीतिक अनिल बिस्वास की पुण्यतिथि दिवस
3. प्रसिद्ध कवियित्री महादेवी वर्मा की जयंती दिवस/
4.बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता,निर्देशक धीरेन्द्रनाथ गांगुली जी की जयंती।
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आज की बात -आपके साथ" मे आज इतना ही।कल पुन:मुलाकात होगी तब तक के लिये इजाजत दिजीये।
आज जन्म लिये सभी व्यक्तियोंको आज के दिन चैत्रीय नवरात्रि के द्वितीय दिवस बृह्मचारिणी देवी दिवस की हार्दिक बधाई। आज जिनका परिणय दिवस हो उनको भी हार्दिक बधाई। बाबा महाकाल से निवेदन है की बाबा आप सभी को स्वस्थ्य,व्यस्त मस्त रखे।
💐।जय चित्रांश।💐
💐जय महाकाल,बोले सो निहाल💐
💐।जय हिंद जय भारत💐