सुना है
दो दिन बाद
प्रेम दिवस है
मैं क्या परिभाषा दूं
इस प्रेम की
जो आता है
वर्ष में एक बार.
और हम ढोंग करते हैं
प्रेम का, इजहार का
प्रेम होता तो...
माँ न होती वृध्दाश्रम में
प्रेम होता तो...
पिता न तरसे दवा को
प्रेम होता तो...
बहन के अरमां न लूटे जाते
प्रेम होता तो...
नहीं कतरे जाते बेटियों के पर
नहीं लगाई जाती बंदिशे
उनकी परवाज को
प्रेम होता तो...
नहीं मरती इंसानियत
कहां है प्रेम...?
बताओ ना..
मैं भी तो देखूं ..
कैसा होता है प्रेम.
क्या यहीं होता है प्रेम
दो जिस्मों का
इस दिन...
किसी हॉटल के
कमरे में बंद हो जाना.
अगर तुम्हारी नजर में
यही प्रेम है, तो...
मैं नहीं जानता ऐसा प्रेम
मैं नहीं मानता ऐसा प्रेम
- यूसुफ खान साहिल