उज्जैन। उज्जैन शहर से 12 किलो मीटर दूर जूना निनौरा के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में जैसे ही प्रवेश करते है, तो यहां का नजारा किसी प्रयोगशाला से कम नही दिखता।
विद्यालय में 1 कक्ष में पहली से पांचवीं तक की कक्षा के विद्यार्थी दूध के नाप के साथ लीटर व मिलीलीटर का अंतर समझते हुए मापन की इकाई की गणना कर रहे हैं। दूसरे कक्ष में बाल्टियों में गेंद डालकर अंकों की गणना सीखी जा रही है। स्कूल में कक्षावार नहीं बैठाया जाता।
लगती है कॉमन क्लासेस :
विद्यार्थी खुद ही कॉमन क्लास रूम में खेल-खेल में सबकुछ सीख रहे हैं। गांव के पहली से पांचवीं तक के 44 में से 40 बच्चे इसी स्कूल में आते हैं। शिक्षकों के प्रयोग की वजह से यह स्कूल पालकों को भी पसंद हैं।
तराजू से वजन की गणना :
तराजू लगाकर भार की समझ, किलोग्राम व ग्राम की गणना, किसी सामान को खरीदने के लिए रुपयों व बिल की गणना के साथ जोड़-घटाव करना एवं वस्तुओं की परख सिखाई जाती है।
बोर्ड पर लगे है दूध के माप :
एक बोर्ड पर दूध के नाप लगे हुए हैं। यहां मापन इकाई बना रखी है। जिससे बच्चों को लीटर व मिलीलीटर का फर्क एवं जोड़-घटाव व गुणा करना सिखाया जाता है।
हिंदी वर्णमाला का चक्र और मात्राएँ :
एक मात्रा चक्र बनाया है। इसमें हिंदी वर्णमाला को चक्र पर लिखा है। साथ ही पत्तियों में अलग से मात्राओं का एक सेट तैयार किया है। इससे किसी भी शब्द पर मात्रा को लगाकर समझाया जाता है।
लोहे के पत्रों वाला बोर्ड और चुम्बक लगे अक्षर :
वाक्य बोर्ड में लोहे के पतरे वाले एक बोर्ड पर चुंबक लगे टुकड़ों पर शब्द बनाकर लिखे हुए हैं। शब्दों को जोड़कर इस तरह विद्यार्थी वाक्य बनाना सीख रहे हैं, इससे बेहद आसानी हो गई है।
बच्चे खुद का नाम हिंदी व अंग्रेजी में भी लिख सकते है :
पहली कक्षा के विद्यार्थियों को अक्षर ज्ञान है। अंग्रेजी व हिंदी वर्णमाला, फल-सब्जियों के नाम पहचानने के अलावा विद्यार्थी खुद का नाम हिंदी व अंग्रेजी में लिख सकते हैं। पांचवीं के विद्यार्थी हिंदी व अंग्रेजी में लिख व पढ़ सकते हैं। गणित में मीटर, सेंटीमीटर, किलोग्राम, ग्राम, लीटर, मिलीलीटर जैसी गणनाओं के साथ तीन अंकों के गुणा-भाग और करोड़ तक की संख्या का जोड़-घटाव कर सकते हैं।
प्रायवेट से भी बेहतर बनाने की शुरुआत :
स्कूल के प्रधानाध्यापक योगेन्द्र सिंह चावड़ा ने इस तरह सरकारी स्कूल को प्राइवेट से भी बेहतर बनाने की शुरुआत की है। शिक्षिका सीमा उपाध्याय भी इसे बेहतर बनाने में अपना अच्छा प्रयास कर रही है। स्वप्रेरणा से ही स्कूल में खेल-खेल से प्रयोग की शुरुआत हुई।