इंदौर। उम्र के नौ दशक पार कर चुके व्यक्ति से आपकी-हमारी और खुद उस व्यक्ति की अपेक्षा महज इतनी ही होती है कि वह स्वस्थ रहे। पर क्या कभी हमने उसके दिल में छुपी ऊर्जा, उम्मीद और खुशी को जानने, समझने की कोशिश की है! यदि कोशिश की होती तो पता चलता कि फैशन के जिस रैंप पर युवतियां अपना एकाधिकार समझती हैं उसपर 94 वर्षीय कमला सोलंकी न केवल आत्मविश्वास लिए चली बल्कि चेहरे पर मुस्कान और अदाओं से सभी का दिल भी जीत लिया। बेशक इन दिनों वे वृद्धाश्रम में रहकर अपनी जिंदगी गुजार रही हैं लेकिन जोश और प्रसन्नता के साथ जीवटता की उनकी ये 'रैंप वॉक' वहां मौजूद हर एक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक सोच का संचार कर गई। यह नजारा एक ऐसे शो का था जिसके बारे में आज तक शायद ही किसी फैशन शो में बात की गई हो।
'द साड़ी एडिक्शन' शो में रैंप पर आने वाली हर मॉडल साड़ी पहनी थी और 29 साल से लेकर 90 की उम्र पार कर चुकी महिलाओं ने रैंप वॉक किया। परिवार से दूर वृद्धाश्रम में रह रहीं दादी-नानी को जब इस शो में बतौर मॉडल लाया गया तो कई के आंसू छलक आए तो कुछ ने उनका हाथ थामे मंच पर लाने वाली युवा मॉडल को दिल खोलकर दुआएं दी। डॉ. रचना दाते के साथ रैंप पर आई कमला बाई ने जहां उन्हें बार-बार आशीर्वाद दिया वहीं आराधना सिंह सेंगर के साथ आईं बेबीबाई सोलंकी अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई और गले लगकर खूब रोईं। भावना सालकड़े जब सुनंदा सोनी का हाथ थामे मंच पर उन्हें लाई तो वे भी भाव विभोर हो गई।
60 वर्षीय पुष्पा जैन, 65 साल की चंदा अग्रवाल, 60 वर्ष की बसु पवार की तरह कई ऐसी दादी-नानियां थीं जो जीवन में पहली बार किसी फैशन शो का हिस्सा बनी और वह भी बतौर मॉडल। शो के जरिए साड़ी पहनने वालों को तो प्रोत्साहित किया ही गया साथ ही परिवार में बुजुर्गों की अहमियत और उनकी भावनाओं को समझने का सार्थक संदेश भी दिया गया। 35 से अधिक दादीनानियों और 50 से ज्यादा महिलाओं ने 5 राउंड के जरिए साड़ी के ग्रेस को दर्शाया। इन्होंने केवल साड़ी की खूबसूरती को ही नहीं दर्शाया बल्कि संस्कृति और परंपरा की पैरवी भी की।