पौधारोपण अभियान का सफलतम उदाहरण बना पंचक्रोशी मार्ग

     उज्जैन। उज्जैन नगर के आसपास 118 किलो मीटर लम्बे मार्ग पर प्रतिवर्ष पंचक्रोशी यात्री भीषण गर्मी में धार्मिक यात्रा पर निकलते हैं। पंचक्रोशी मार्ग को हरियाली से आच्छादित करने का सपना कई बार देखा गया, किन्तु पूरा होने में काफी वक्त लग गया। वर्ष 2003 के दौरान तत्कालीन कलेक्टर स्व.श्री भूपालसिंह ने पंचक्रोशी मार्ग को पेड़ों से आच्छादित करने के लिये जिला पंचायत को 'सहयोग हरियाली' कार्यक्रम के तहत पौधारोपण का कार्य जन-सहभागिता से करने के निर्देश दिये। तत्कालीन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आशुतोष अवसथी ने इस निर्देश के तारतम्य में आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करते परिजनों की स्मृति में एक-एक पौधा लगाने का आव्हान किया।
     पर्यावरण एवं श्रद्धा के इस पुनीत अभियान के लिये न केवल उज्जैन नगर बल्कि जिले के बाहर से भी लोगों ने इसमें भागीदारी की एवं एक बड़ी धनराशि जिला पंचायत में एकत्रित हो गई। वर्ष 2005 में  जन-भागीदारी से एकत्रित राशि में उतनी ही राशि जिला प्रशासन ने मिलाकर वन विभाग को पौधारोपण करने का कार्य सौंपा। वन विभाग ने सेंटपॉल स्कूल से लेकर करोहन तक के लगभग 20 किलो मीटर लम्बे मार्ग में पौधारोपण का कार्य कर दिया। बाद में वन विभाग द्वारा सम्पूर्ण पंचक्रोशी मार्ग में पौधारोपण कर 50 हजार से अधिक पौधों का रोपण मार्ग के दोनों ओर कर दिया।
     आज नवम्बर-2019 की स्थिति में पंचक्रोशी मार्ग का भ्रमण करना सुखद अनुभव देता है। चारों ओर हरियाली के बीच मार्ग के दोनों ओर पौधों से नये-नये वृक्ष बने नीम, पीपल, बड़, कचनार और अन्य छाया देने वाले वृक्ष कतारबद्ध आगन्तुकों का स्वागत करते हुए प्रतीत होते हैं। वन विभाग द्वारा लगाये गये पौधों में से 90 प्रतिशत पौधे वृक्ष बन गये हैं और उन्हें आज सुरक्षा की दरकार नहीं है। सरकारी विभाग द्वारा लगाये गये पौधों के जीवित रहने की सफलता की कहानी कहते ये वृक्ष निश्चित रूप से उज्जैन के आसपास के पर्यावरण को शुद्ध बनाये रखने में मददगार साबित हो रहे हैं। आने वाली पीढ़ियों को लम्बे समय तक जीवित रहने वाले ये वृक्ष सरकारी कार्यक्रम की सफलता की कहानी सुनाते रहेंगे।


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