आज चांद ने पूछा सूरज को पकड़ दिनदहाड़े
राज करोगे कब तक दिन पर करके मुझे किनारे
सूरज बोला छोड़ो भाई सारे देख रहे हैं
वे सब जिन्हें बुला रखा है तुमने पीट नगाड़े
हो जाएगा आज फैसला बोला चांद अकड़ के
झूठ तुमने फैला रखा है तुम हो बास हमारे
देख चांद को खड़ा डंटे दुनिया का सर चकराया
सूरज को भी खड़ी दुपहरी दिखने लगे सितारे
बोली धरती क्यों लड़ रहे बेटा चांद चुप हो जा
मेरे पिता हैं सूरज, वे नानू हुए तुम्हारे
चांद चौंक कर हटा सामने से सूरज नाना के
झगड़ा टलता देख जीव खुश हुए जगत के सारे
डॉ. एम.डी.सिंह - होमियोपैथी चिकत्सक
महाराज गंज (उतर प्रदेश)